रिश्वत पर निर्भर परीक्षा परिणाम

– परीक्षाओं में धाँधली से ख़राब हो रहा युवाओं का भविष्य

नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट (नीट) यूजी के रिजल्ट से इस परीक्षा को पास करने वाले विद्यार्थियों, ख़ासकर टॉपर्स को जो ख़ुशी मिली, वह चिन्ता में बदल गयी है। देश भर में नीट की परीक्षा में हुई धाँधली पर उठे सवालों और रिश्वत की बात सामने आने से साफ़ लगता है कि यह एक घोटाला है। इस घोटाले की सीबीआई जाँच की माँग भी उठ रही है। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा, तो सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए से तीखे सवाल पूछे। अब 1,563 विद्यार्थियों के ग्रेस मार्क्स रद्द करके एनटीए उनकी फिर से 23 जून को परीक्षा लेगा।

पेपर लीक ऐसे समय में हुआ, जब देश में लोकसभा चुनाव चल रहे थे और ख़ुलासा तब हुआ, जब केंद्र में एनडीए की मोदी के नेतृत्व वाली सरकार तीसरी बार बन रही थी। अब बैसाखियों के सहारे सरकार बन चुकी है। ऐसे में सवाल यह है कि सबसे ज़्यादा परीक्षा घोटाले कराने को लेकर कथित रूप से बदनाम भाजपा और रोज़गार ख़त्म करने को लेकर बदनाम केंद्र सरकार क्या इस परीक्षा में हुई गड़बड़ी को लेकर कोई उचित क़दम उठाएगी?

हैरानी की बात है कि नीट परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक पर 67 विद्यार्थियों ने परीक्षा टॉप की। इन सभी विद्यार्थियों ने 720 में 720 अंक हासिल किये, जिनमें 53 लड़के और 14 लड़कियाँ शामिल हैं। कई विद्यार्थियों को 719, 718 और 117 अंक भी मिले, जो असंभव है। 720 अंक पाने वाले 67 विद्यार्थियों में से छ: एक ही सेंटर के विद्यार्थी हैं। टॉप करने वाले सबसे ज़्यादा 11 विद्यार्थी राजस्थान के रहे। इसके अलावा कट ऑफ 137 अंकों से बढ़कर 164 अंकों पर पहुँच गयी। नीट 2024 के लिए परीक्षा देने वाले कुल 23,33,000 विद्यार्थियों में से कुल 13,16,000 विद्यार्थियों ने नीट परीक्षा पास की है। सवाल यह है कि नीट की परीक्षा में इतनी बड़ी संख्या में विद्यार्थी टॉप कैसे कर गये? जबकि यह परीक्षा न सिर्फ़ कठिन होती है, बल्कि इस परीक्षा को एक या दो विद्यार्थी ही टॉप करते हैं। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने जिस तरह से नीट परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों को 717 से 720 अंक तक दिये हैं, वह असंभव है।

किसी एक-दो विद्यार्थी के इतने अंक आना फिर भी समझ में आता; लेकिन 67 विद्यार्थियों को 720 अंकों में 720 अंक मिलना गले नहीं उतरता। अब ख़बरें आ रही हैं कि परीक्षा से एक दिन पहले नीट का पेपर लीक हुआ था, जिसके लिए 40 लाख तक रिश्वत लेने के आरोप लग रहे हैं। पटना पुलिस ने इस मामले में ज़िला परिषद के जूनियर इंजीनियर और विद्यार्थियों समेत 13 लोगों को गिरफ़्तार किया। आरोप है कि पटना में विद्यार्थियोंं को बाक़ायदा पेपर दिखाकर पेपर में दिये प्रश्नों के उत्तर रटने के कहा गया। पटना में शास्त्री नगर थाना क्षेत्र के एक लॉज में रहकर नीट की तैयारी करने वाले ललित कुमार नाम के एक विद्यार्थी ने नीट परीक्षा में कम अंक आने पर फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली। विद्यार्थी भोजपुर ज़िले के झाझर गाँव का निवासी था।

परीक्षा दोबारा कराने के फ़ैसले से कुछ दिन पहले ही एनटीए के महानिदेशक सुबोध कुमार सिंह, उच्च शिक्षा सचिव के. संजय मूर्ति और सूचना प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके नीट परीक्षा में लगे आरोपों को ख़ारिज कर दिया था। एनटीए के महानिदेशक सुबोध कुमार सिंह ने कहा था कि हमने सभी चीज़ों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया है। नीट का पेपर 23 लाख से ज़्यादा विद्यार्थियों ने 4,750 सेंटर्स में दिया है, जबकि पेपर लीक का मामला सिर्फ़ 1,600 विद्यार्थियों और छ: सेंटर्स का ही है। ग्रेस मार्क्स के मामले में एक चार सदस्यीय समिति गठित की गयी है, जो एक सप्ताह में रिपोर्ट सौंपेगी। समिति की रिपोर्ट के हिसाब से फ़ैसला लिया जाएगा। फ़िलहाल परीक्षा रद्द करने का सवाल नहीं उठता है। विद्यार्थियों को ग्रेस मार्क्स देने से नीट के नतीजों या क्वालीफाइंग क्राइटएरिया पर कोई फ़र्फ़ नहीं पड़ रहा है।

नीट परीक्षा में बड़ी संख्या में टॉपर्स होने की हैरतअंगेज स्थिति और पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वालों का तर्क है कि नीट के पेपर लीक मामला संविधान के अनुच्छेद-14 में वर्णित समानता के अधिकार का उल्लंघन है। सवाल यह है कि क्या सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दोषियों को सज़ा देगा? सुप्रीम कोर्ट के अलावा अलग-अलग राज्यों में हाई कोर्ट्स में भी नीट परीक्षा में धाँधली के ख़िलाफ़ याचिकाएँ दायर की गयी हैं।

एनटीए के महानिदेशक ने भले ही नीट परीक्षा के मामले में सफ़ाई दे दी; लेकिन एनटीए पर जमकर सवाल उठ रहे हैं और धाँधली के आरोप लग रहे हैं। शुरू से ही ग्रेस मार्क्स पाने वाले विद्यार्थी दोबारा परीक्षा से डर रहे थे और फेल हुए विद्याथी, जिनमें ज़्यादातर निम्न और मध्यम वर्ग के हैं, दोबारा परीक्षा की माँग कर रहे थे। लेकिन अब परीक्षा उन्हीं की होगी, जिन्हें ग्रेस मार्क्स मिले हैं? लेकिन पूरे देश में नीट परीक्षा में हुई कथित धाँधली और कथित घोटाले के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हो रहे हैं। गुजरात के पंचमहल ज़िले के गोधरा में आयोजित नीट परीक्षा में गड़बड़ी का ख़ुलासा होने पर यहाँ लोगों में नाराज़गी है।

आरोप है कि गुजरात में नीट परीक्षा देने से पहले विद्यार्थियों को अच्छे अंकों से पास कराने के लिए रिश्वतख़ोरी हुई थी। आरोप यहाँ तक है कि गुजरात के गोधरा ज़िला कलेक्टर की निगरानी से घोटाला हुआ है, जिसमें ख़ुद ज़िला शिक्षाधिकारी ने तीन लोगों के ख़िलाफ़ पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करायी है। एफआईआर के मुताबिक, ज़िला कलेक्टर ने दावा किया है कि उन्हें 05 मई को होने वाली नीट परीक्षा में घोटाला होने की सूचना मिली, जिसके आधार पर ज़िला कलेक्टर ने ज़िला शिक्षा अधिकारी को इसकी जानकारी दी। घोटाला करने की साज़िश का पर्दाफ़ाश करने के लिए ज़िला शिक्षा अधिकारी ने गोधरा जलाराम स्कूल पहुँचकर छापे मारे, जिसमें छ: विद्यार्थी नक़ल करते पकड़े गये। ज़िला अधिकारी ने डिप्टी सेंटर सुपरिटेंडेंट तुषार भट्ट के मोबाइल पर हुई व्हाट्सएप चैट से पूरे मामले का भंडाफोड़ किया।

जाँच रिपोर्ट में कहा गया है कि तुषार भट्ट के व्हाट्सएप नंबर पर परशुराम रॉय नाम के एक शख़्स ने क़रीब 16 विद्यार्थियों के नाम और रोल नंबर भेजे थे, जिनमें से कुछ के नाम बाद में कैंसिल के लिए भी मार्क किये गये थे। जब इस मामले में ज़िला शिक्षाधिकारी ने तुषार भट्ट से पूछताछ की, तो उन्होंने परशुराम रॉय के साथ परीक्षा में एक विद्यार्थी को अच्छे अंकों से पास कराने के बदले 10 लाख रुपये रिश्वत लेने की डील की बात स्वीकार की। कई विद्यार्थियों ने परीक्षा से पहले दलाल रॉय को एडवांस भी दे दिया था। आरिफ़ नाम के एक विद्यार्थी ने तुषार भट्ट को एडवांस में सात लाख रुपये दिये थे। पुलिस ने इन पैसों और मोबाइल को जाँच टीम ने ज़ब्त करके तुषार भट्ट, परशुराम रॉय और आरिफ़ वोरा के ख़िलाफ़ धोखाधड़ी, विश्वासघात की धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। मामले की जाँच चल रही है।

आरोप लग रहे हैं कि जिन-जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं, उन-उन राज्यों में नीट परीक्षा में धाँधली हुई है। आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि गुजरात, मध्य प्रदेश, बिहार और हरियाणा में नीट परीक्षा में बड़ा घोटाला हुआ है। कुछ लोग उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड में भी धाँधली का आरोप लगा रहे हैं। कांग्रेस की नेशनल स्टूडेंट्स विंग ऑफ इंडिया के प्रभारी कन्हैया कुमार ने नीट परीक्षा में कथित घोटाले को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर कहा कि स्टूडेंट्स आत्महत्या कर रहे हैं। आज 600 अंक लाने के बाद भी स्टूडेंट असमंजस में हैं कि उसे सीट मिलेगी या नहीं। एनटीए के इस नीट घोटाले की जाँच सर्वोच्च न्यायिक अधिकारियों से कार्रवाई जानी चाहिए और प्रभावित स्टूडेंट्स को उचित न्याय दिया जाना चाहिए।

बता दें कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा पेपर लीक के लिए बदनाम राज्य हैं। पिछले 10 वर्षों में इन राज्यों में न सिर्फ़ पेपर लीक के कई मामले उजागर हुए हैं, बल्कि ये मामले कोर्ट तक भी पहुँचे हैं। जब 05 मई, 2024 को नीट की परीक्षा हो रही थी, उसी समय राजस्थान के एक परीक्षा केंद्र पर पेपर लीक की ख़बरें सामने आयी थीं। यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा, जिसकी सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई का समय दिया। लेकिन बीच में ही नीट का रिजल्‍ट आने पर कथित घोटाले की एक बड़ी फ़ेहरिस्त खुल गयी। साल 2015 में एमबीबीएस, बीडीएस एडमिशन के लिए नेशनल लेवल मेडिकल प्रवेश परीक्षा ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट (एआईपीएमटी) में पेपर लीक के आरोप लगे थे। फरवरी, 2024 में उत्तर प्रदेश में पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में पेपर लीक हुआ। इसके बाद मई, 2023 में गुजरात में विद्युत सहायक भर्ती परीक्षा घोटाला सामने आया। जुलाई, 2023 में मध्य प्रदेश में पटवारी भर्ती घोटाला हुआ। सितंबर, 2022 में सीबीआई ने एसएससी भर्ती घोटाले के किया। सितंबर, 2022 में ही उत्तराखण्ड में यूकेएसएसएससी का पेपर लीक हुआ। मई 2016 में बिहार स्कूल परीक्षा घोटाला सामने आया।

इस तरह हर साल हर छोटी-बड़ी परीक्षा के पेपर लीक या उनमें नक़ल कराने के ख़ुलासे लगातार हुए हैं; लेकिन आज तक किसी भी परीक्षा घोटाले में कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की गयी। धाँधली करने के नाम पर किसी-किसी परीक्षा में कुछ लोगों गिरफ़्तार किया गया, लेकिन आगे के परीक्षा में धाँधली नहीं रोकी गयी। इससे पहले से ही कड़ी मेहनत करके तमाम परेशानियों और अभावों में परीक्षा देने वाले ईमानदार विद्यार्थियों के करियर पर ख़राब असर पड़ा है। आज करोड़ों की संख्या में बेरोज़गार घूम रहे विद्यार्थी महँगी पढ़ाई और कई-कई साल की कड़ी मेहनत के बावजूद रोज़गार से वंचित हैं, जिसके चलते हर साल सैकड़ों विद्यार्थी आत्महत्या कर रहे हैं।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आँकड़ों के मुताबिक, साल 2021 में देश में 13,089 विद्यार्थियों ने आत्महत्या की थी। आत्महत्या करने वाले विद्यार्थियों की साल 2020 में संख्या 12,526 थी। साल 2021 में आत्महत्या करने वाले विद्यार्थियों में लड़कों की संख्या 56.54 फ़ीसदी, जबकि लड़कियों की संख्या 43.49 फ़ीसदी थी। ये आँकड़े बताते हैं कि भारत में शिक्षा और परीक्षा का स्तर बहुत ख़राब है और विद्यार्थियों पर करियर बनाने का तनाव और माँ-बाप से लेकर समाज का प्रेशर होता है, जिनके चलते फेल होने या परीक्षा क्लियर न कर पाने की सोच से कई छात्र आत्महत्या जैसा घातक क़दम उठा बैठते हैं।