अंजलि भाटिया
नई दिल्ली: भारत की रक्षा तैयारी में एक और बड़ी छलांग लगाते हुए डीआरडीओ {DRDO} ने पूरी तरह स्वदेशी ‘Mounted Gun System’ एमजीएस(MGS) तैयार कर ली है। यह गन सिस्टम अब सेना के ट्रायल के लिए तैयार है और इसे देश के अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों जैसे रेगिस्तान, ऊंचे पहाड़ और मैदान में परखा जाएगा। रक्षा विश्लेषकों के अनुसार, यह तोप प्रणाली आने वाले समय में युद्ध की दिशा बदल सकती है।
यह गन सिस्टम एक हाई मोबिलिटी वाहन पर 155 मिमी / 52 कैलिबर की एडवांस्ड तोप एटीएजीएस(ATAGS) को माउंट कर तैयार किया गया है। इस परियोजना को डीआरडी के वाहन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान वीआरडीई(VRDE) ने सिर्फ ढाई साल में तैयार किया है। इसकी खासियत यह है कि
एमजीएस की सबसे बड़ी ताकत इसकी ‘शूट एंड स्कूट’ तकनीक है। यानी यह दुश्मन पर फायर करने के तुरंत बाद अपनी स्थिति बदल सकती है, जिससे दुश्मन की जवाबी गोलीबारी बेअसर हो जाती है। इसे कहीं भी तेजी से तैनात किया जा सकता है और फायरिंग के बाद तत्काल स्थान बदला जा सकता है।
इस तोप की अधिकतम रेंज 45 किलोमीटर है और यह महज 85 सेकंड में फायरिंग के लिए तैयार हो जाती है। एक मिनट में 6 राउंड फायर कर सकती है और लगभग 50 वर्गमीटर क्षेत्र को पूरी तरह कवर कर सकती है। इसकी सटीकता और निरंतरता इसे दुश्मन के ठिकानों पर घातक बनाती है।
कहीं भी ले जाने में यह सक्षम है चाहे सियाचिन की बर्फीली ऊंचाइयां हों या पूर्वोत्तर के घने पहाड़ी जंगल, यह सिस्टम हर इलाके में प्रभावी ढंग से काम कर सकता है। 30 टन वजनी इस सिस्टम को रेल या C-17 विमान से भी कहीं भी आसानी से ले जाया जा सकता है।
यह गन सिस्टम कठिन इलाकों में 60 किमी प्रति घंटे और समतल क्षेत्रों में 90 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है। इसका कुल वजन लगभग 30 टन है। जिसमें वाहन और गन दोनों का वजन शामिल है (15-15 टन)। इसमें सात सदस्यीय चालक दल के लिए बुलेटप्रूफ केबिन की व्यवस्था की गई है, जिससे युद्ध के हालात में उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
इस गन सिस्टम में प्रयुक्त 80 प्रतिशत उपकरण पूरी तरह भारत में बने हैं। यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक और ठोस कदम है। सात सदस्यीय चालक दल के लिए बुलेटप्रूफ केबिन की व्यवस्था की गई है, जिससे युद्ध के हालात में उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
एमजीएस सिस्टम, एटीएजीएस पर आधारित है। मार्च में ही सरकार ने टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स और भारत फोर्ज से ₹6,900 करोड़ की डील की है, जिसमें 307 एटीएजीएस और उनके ट्रांसपोर्ट व्हीकल्स खरीदे जाएंगे। भारत अब उन गिने-चुने देशों की सूची में आ गया है जो माउंटेड गन सिस्टम बनाते हैं।
रूस-यूक्रेन संघर्ष में माउंटेड गन सिस्टम की अहम भूमिका देखी गई है। भारत न केवल इनसे सबक ले रहा है, बल्कि भविष्य की लड़ाइयों के लिए खुद को तैयार भी कर रहा है। यह गन सिस्टम इसी तैयारी का अहम हिस्सा है।
सेना सूत्रों के अनुसार, ट्रायल सफल रहने पर आने वाले महीनों में इस सिस्टम को बड़े पैमाने पर सेना में शामिल किया जा सकता है। यह भारत की युद्ध क्षमता को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाला कदम होगा।