योगी सरकार के दोहरे मापदण्ड!

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार भले ही विज्ञापनों एवं भाषणों में स्वयं की प्रशंसा करती रहती है; मगर प्रदेश की सच्चाई कुछ अलग ही है। प्रदेश में कई सुखद एवं कई दु:खद समाचारों की धारा बहती है; मगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं उनके मंत्री प्रचार यही करते हैं कि उनसे अच्छा शासन पूरे विश्व में कहीं नहीं है। स्थिति यह है कि राम राज्य का ढिंढोरा पीटने वाले योगी आदित्यनाथ ने किसी भी तरह उपचुनाव में नौ में सात सीटें अवश्य जीत ली हों; मगर प्रदेश की अधिकांश जनता में अब उनकी स्वीकार्यता घट रही है। एक भाजपा नेता एवं राजनीति के अच्छे जानकार नाम प्रकाशित न करने की विनती करते हुए कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ अपनी पीठ स्वयं थपथपाते रहते हैं; मगर सच्चाई यह है कि भाजपा के ही अधिकांश नेता, विधायक एवं मंत्री भी उनसे प्रसन्न नहीं हैं। इसका सबसे महत्त्वपूर्ण कारण यही है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने अलावा किसी को भी कुछ नहीं मानते हैं। उन्हें अधिकारी भी वही पसंद हैं, जो उनकी चरण वंदना करने के लिए तत्पर रहते हैं।

राजनीति के जानकार अध्यापक बलवंत सिंह कहते हैं कि जनता से लोकतांत्रिक मूल्य एवं स्वतंत्रता छीन लेने का प्रयास करना भी एक अपराध है, जो अब उत्तर प्रदेश के चुनावों में दिखने लगा है। बीते कई दशकों से होते आ रहे चुनावों में हर पार्टी ने यह किया है; मगर भारतीय जनता पार्टी से ऐसी आशा नहीं थी। इस पार्टी से आशा थी कि वह लोकतांत्रिक मूल्यों एवं संविधान की गरिमा का पालन करते हुए जनता के साथ न्यायपूर्वक व्यवहार करेगी; मगर ऐसा नहीं हो रहा है। बहराइच के बाद संभल में हिंसा एवं प्रयागराज में जिस प्रकार का व्यवहार विद्यार्थियों से किया गया है, वह भी इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि योगी आदित्यनाथ नौकरियाँ देने की जगह युवाओं को पीटने के लिए पुलिस को आगे कर रहे हैं। प्रयागराज में तो यह कई बार हो चुका है। अपनी कमियों को सुधारने की जगह मुख्यमंत्री योगी स्वयं को सबसे सही एवं न्यायप्रिय नेता घोषित करने में लगे हैं, जबकि ऐसा नहीं है। उन्हें कट्टर हिन्दू नेता होने से कोई नहीं रोक रहा है; मगर उन्हें एक हिन्दू संत अथवा हिन्दू नेता होने के साथ एक अच्छे न्यायप्रिय मुख्यमंत्री की भूमिका भी निभानी चाहिए जिसमें वह विफल ही रहे हैं। उनके लिए जनता में सभी समान हैं; मगर वह सभी को एक समान नहीं मानते हैं। इसका प्रमाण यह है कि उनका प्रशासन जाति एवं धर्म देखकर ही लोगों के साथ व्यवहार करता है। कहीं तो उन्हें पीड़ितों का रुदन भी सुनाई नहीं देता अपराधियों के अपराध दिखायी नहीं देते तो कहीं-कहीं विरोधी भी अपराधी ही दिखायी देते हैं। एक मुख्यमंत्री होने के नाते उन्हें जनता को देखने की दो दृष्टियाँ नहीं रखनी चाहिए। यही तो पहले के मुख्यमंत्रियों ने किया है, जिससे तंग आकर जनता ने योगी आदित्यनाथ को संत समझकर अपना मुख्यमंत्री चुना। मगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी उन्हें वही व्यवहार मिल रहा है, जो पहले के मुख्यमंत्रियों से मिला।

अखाड़ों को दी गयी भूमि

प्रयागराज में इन दिनों महाकुंभ की चहल-पहल है। आजकल प्रयागराज दिन में जितना सुंदर लग रहा है, उससे अधिक सुंदर रात्रि में लग रहा है। महाकुंभ से पहले ही बढ़ी यह चहल-पहल योगी आदित्यनाथ एवं उनकी सरकार की हिन्दू त्योहारों में विशेष रुचि को दर्शाती है। यह सच है कि पहले की सरकारों से अधिक व्यवस्था मुख्यमंत्री योगी ने महाकुंभ के उपलक्ष्य में प्रयागराज में की है; मगर इसके इतर दु:खद समाचार यह रहा कि बीते दिनों महाकुंभ की तैयारी के दौरान अखाड़ों में एवं नेताओं में अलग अलग मतों को लेकर इतना विवाद हुआ कि मारपीट तक हो गयी। जैसे तैसे झगड़ा निपटाया गया। अब सभी अखाड़े अपने अपने डेरे जमा रहे हैं। अखाड़ों की बसावट की प्रक्रिया एवं व्यवस्था सरकार द्वारा की जा रही है। साधु संतों की सेवा एवं महाकुंभ की तैयारियों में प्रदेश सरकार कोई कमी नहीं रखना चाहती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मेला प्रशासन ने सभी अखाड़ों को कुंभ क्षेत्र में भूमि आवंटन करने की प्रक्रिया में कई बड़े अखाड़ों को भूमि आवंटित कर दी है। 12 वर्ष में एक बार लगने वाले महाकुंभ को सरकार ने इस बार भव्य महाकुंभ नाम दिया है। साधु संतों के अखाड़ों को दी गयी भूमि पर छावनियाँ बनायी जा रही हैं। भूमि आवंटन को लेकर सभी 13 अखाड़े एकजुट एवं सहमत हैं। विदित हो कि गंगा, यमुना एवं सरस्वती आदि तीन पवित्र नदियों के संगम स्थल प्रयागराज में लगने वाला महाकुंभ 12 वर्ष में एक बार लगता है। एवं अर्ध महाकुंभ हर छ: वर्ष में एक बार लगता है। इस बार दिन सोमवार दिनाँक 13 जनवरी, 2025 से दिन बुधवार दिनाँक 26 फरवरी, 2025 तक महाकुंभ लगेगा। शाही स्नान मकर संक्रांति के दिन मंगलवार दिनाँक 14 जनवरी को, मौनी अमावस्या के दिन बुधवार दिनाँक 29 जनवरी को, बसंत पंचमी के दिन सोमवार दिनाँक 03 फरवरी को, माघी पूर्णिमा के दिन बुधवार दिनाँक 12 फरवरी को एवं महाशिवरात्रि के दिन बुधवार दिनाँक 26 फरवरी हो होंगे। महाशिवरात्रि के दिन बुधवार दिनाँक 26 फरवरी 2025 को अंतिम स्नान के साथ महाकुंभ का समापन होगा।

विद्यार्थियों की बार-बार पिटाई

प्रयागराज में ही महाकुंभ की तैयारियों के बीच बीते दिनों विद्यार्थियों पर पुलिस बल के प्रयोग से स्थिति इतनी बिगड़ गयी कि योगी आदित्यनाथ की रोज़गार देने की नीयत पर प्रश्नचिह्न लग गये। वास्तव में बात इनती बड़ी नहीं थी, जितनी पुलिस एवं प्रशासन ने बढ़ा दी। विद्यार्थियों ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से पीसीएस एवं आरओ, एआरओ प्रारंभिक परीक्षा को एक ही दिन में एक ही समय में कराने की माँग की थी; मगर छात्रों के हंगामा करने पर पुलिस ने चार छात्रों को हिरासत में ले लिया। इसके बाद क्रोधित हज़ारों छात्रों ने लोकसेवा आयोग के बाहर पहुँचकर उग्र प्रदर्शन किया एवं नारे लगाते हुए आन्दोलन की घोषणा कर दी। प्रदेश की जनपदीय पुलिस ने इस पर आयोग जाने वाले सभी रास्तों को बैरिकेड लगाकर बंद कर दिया एवं प्रतियोगी विद्यार्थियों को रोकने के लिए सैकड़ों पुलिसकर्मियों ने बल प्रयोग करना आरंभ कर दिया। इससे स्थितियाँ इतनी बिगड़ीं कि टकराव आरंभ हो गया।