हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की निराशा बढ़ती जा रही है…

खालिद सलीम

2024 के चुनाव के छ चरण पूरे हो चुके हैं अब तक चुनाव के जो आंकड़े और समीकरण बने हैं वह प्रधानमंत्री और बीजेपी के लिए बहुत ही परेशान करने वाले हैं पहले चरण के चुनाव के बाद प्रधानमंत्री जी ने समझ लिया था की 2024 का यह चुनाव 2014 और 2019 के बिल्कुल विपरीत है क्योंकि उनके पास आवाम को समझने के लिए अपनी उपलब्धियां नहीं थी उन्होंने नौजवानों को 2 करोड़ नौकरियां देने और हर एक गरीब हिंदुस्तानी के खाते में 15 लख रुपए देने का जो वादा किया था वह उसे पर खडरे नहीं उतरे चुनाव जीतने के लिए उनके पास अब एक ही विकल्प रह गया था कि माहौल को हिंदू मुस्लिम कर दिया जाए इसीलिए उन्होंने हिंदुओं को भड़काने के लिए मुसलमान के खिलाफ माहौल तैयार करने का प्रयास किया प्रधानमंत्रीजी ने कांग्रेस पर इल्जाम लगाया कि वह हिंदू मां और बहनों के मंगलसूत्र उतार कर घुसपैठियों और दहशतगर्दो को दे देगी यानी प्रधानमंत्री जी ने मुसलमान को घुसपैठया और दहशतगर्द करार दे दिया प्रधानमंत्री जी यहीं पर नहीं रुके बल कि माहौल को कैमरे करने के लिए उन्होंने कांग्रेस पर यह भी इल्जाम लगाया कि वह एस सी एस टी और ओबीसी का रिजर्वेशन उन से छीन कर मुसलमानो को दे देगी, प्रधानमंत्री जी को मालूम हो गया है की 2024 का चुनाव जितना उनके लिए लोहे के चने चबाने के बराबर है इसीलिए वह तमाम हरबे इस्तेमाल कर रहे हैं जो की हमारे हिंदू भाइयों को मुसलमान के खिलाफ भड़काने के काम आ सकते हैं
लेकिन दिलचस्प बात यह है की चुनाव से पहले 22 जनवरी को उन्होंने राम मंदिर का जो उद्घाटन किया वह भी इलेक्शन जीतने की एक मुहिम का ही हिस्सा था हमारे हिंदू भाई इस बात को अच्छी तरह समझते हैं कि राम मंदिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की वजह से बना है और वह बन चुका है राम मनदिर अब चुनाव का कोई मुद्दा नहीं रहा चुनाव के जो असल मुद्दे हैं वे बेरोजगारी महंगाई लॉ एंड ऑर्डर के मसले हे ,
पेट्रोल की बढ़ती हुई कीमत सिलेंडर की कीमतें यह सारे मसले आम हिंदुस्तानी के मसले हैं इन मसाले से हिंदू मुसलमान सिख इसाई सब बराबर जूझ रहे हैं और यही मसले चुनाव के मुद्दे हैं
हैरत की बात यह है कि हमारे प्रधानमंत्री जी इन बातों को क्यों भूल गए हैं और वह सिर्फ क्मयूनल बुनियाद पर ही चुनाव जीतने के मंत्र को फिर आजमाना चाहते हैं
बच्चों
चुनाव के चार मरहले पूरे हो चुके हैं और प्रधानमंत्री जी को यह अंदाजा हो गया है की चुनाव उनके हाथ से निकला चला जा रहा है बीजेपी और उसके एलाइंस को उतनी सिटें भी नहीं मिल रही है़ जिस से वह दोबारा सत्ता में आ सके हिंदी बेल्ट जो बीजेपी का घर समझा जाता था जैसे योपी, राजस्थान ,मध्य प्रदेश ,हरियाणा ,हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड बिहार यहा़
बीजेपी को बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है बड़े-बड़े पत्रकार आओर विशेषज्ञ अपने अपने अनुभव और लोगों से मिलकर जो आंकड़े पेश कर रहे हैं उनके मुता
अनुसार एनडीए को 225 या उससे भी कम सीट मिल रही है यह अलग बात है की गोदी मीडिया न्यूज़ चैनल अभी भी एनडीए एलाइंस को हुकूमत बनाता हुआ दिख रहा है लेकिन साउथ में बीजेपी के लिए पहले की तरह ही कुछ भी नहीं है और हिंदी पट्टी में उसे भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी के बड़े लीडर भी इस बात को समझ रहे हैं यहां तक की आरएसएस बी इस चुनाव को गंभीरता से नहीं ले रहा है बताया जाता है कि आरएसएस का कैडर
जिस तरह 2014 और 2019 में चुनाव अभियान में जुट गया था और घर-घर जाकर मुहिम चला रहा था वह इस मर्तबा खामोश बैठा हुआ है और सुस्त है इस बार भाजपा के साथ यह क्यों हुआ उसके बहुत से कारण है सबसे पहली बात तो यह है कि प्रधानमंत्री जी बीजेपी से बड़े हो गए हैं यह आरएसएस और बीजेपी के बड़े लीडरों को भी पसंद नहीं है मगर वह हालात की वजह से खामोश बैठे हुए हैं जिसका चुनाव परिणाम यह होने जा रहा है कि बीजेपी हार की तरफ बढ़ रही है दूसरी वजह यह है कि प्रधानमंत्री जी ने मोदी की गारंटी के नाम से लोगों को बहलाया और फुसलाया था वह गारंटी कहीं भी दिखाई नहीं दे रही है यही वजह है कि हमारे प्रधानमंत्री जी इस मर्तबा बहुत ज्यादा अओर निराश हैं उनके अंदर ना 2014 का जोश है और ना 2019 की लगन और मेहनत नजर आ रही है फिर भी वह चाहते हैं के 4 जून 2024 को तीसरी मर्तबा भी प्रधानमंत्री के पद को संभाले़ं
हमें नहीं लगता कि यह चमत्कार तीसरी मर्तबा भी होने जा रहा है आपको क्या लगता है

लेखक खालिद सलीम,स्तंभकार हैं, विचार व्यक्तिगत हैं