विकसित दिल्ली : भाजपा सरकार की कठिन परीक्षा

प्रियंका तंवर

लगभग पौने तीन दशक बाद राष्ट्रीय राजधानी पर दोबारा क़ब्ज़ा करने वाली भाजपा के लिए दिल्ली की सत्ता पर क़ाबिज़ रहना इसे सुरक्षित करने से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण होगा। इस उद्देश्य से पार्टी ने आने वाले वर्षों में शहर को विकसित करने के लक्ष्य के साथ ‘विकसित दिल्ली’ नाम की योजना शुरू की है। भाजपा ने शहर की सार्वजनिक सेवाओं में सुधार के लिए एक महत्त्वाकांक्षी रोडमैप तैयार किया है; क्योंकि 20 मिलियन से अधिक निवासियों के साथ दिल्ली के बुनियादी ढाँचे में भारी कमियाँ हैं और भाजपा ने इन मुद्दों को सुलझाने का वादा किया है। केंद्र में पार्टी की सरकार नि:संदेह इन आवश्यक परियोजनाओं के लिए धन और समर्थन सुरक्षित करना आसान बना देगी।

भाजपा के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता में यमुना नदी की सफ़ाई है, जो विवादों की वजह से लंबित थी, जिसने मतदाताओं के समर्थन का आधार एक सही विकल्प के रूप में प्रदान किया। भाजपा का ध्यान शहर के बुनियादी ढाँचे को विकसित करने और उस प्रदूषण को दूर करने पर भी है, जिसके कारण हर साल सर्दियों में शहर का दम घुटने लगता है। केंद्र में भाजपा के मज़बूत नियंत्रण के साथ अब उसके पास उन नीतियों को लागू करने का अवसर है, जो स्थानीय और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप हैं और भगवा पार्टी का बहुप्रचारित डबल इंजन मॉडल भी है। स्थानीय और केंद्र की सरकारों के बीच इस सामंजस्य से परियोजनाओं की तेज़ी से मंज़ूरी और उन महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं के कार्यान्वयन का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है, जो लंबे समय से लंबित हैं या राजनीतिक गतिरोध के कारण बाधित हैं।

जीत हासिल करने के तुरंत बाद दिल्ली भाजपा प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि नयी सरकार अगले पाँच वर्षों में दिल्ली को विकसित राजधानी बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगी। उन्होंने कहा कि ‘बैठक में सभी विधायकों ने अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्यों को कैसे आगे बढ़ाया जाए, इस पर चर्चा की। हमारी सरकार सभी परियोजनाओं को पूरा करेगी और लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करेगी। झूठ फैलाकर भाजपा को बदनाम करने की आप की कोशिशों का मुक़ाबला हमारे विधायकों के काम से किया जाएगा।’

विकसित दिल्ली प्रदान करने पर भाजपा के फोकस ने कई लोगों का ध्यान आकर्षित किया है; ख़ासकर युवाओं और परिवारों का, जो देश की राजधानी में जीवन की बेहतर गुणवत्ता के लिए तरस रहे हैं। बेहतर शासन, बेहतर सुरक्षा और स्वच्छ सार्वजनिक स्थानों के पार्टी के वादे निश्चित रूप से उन निवासियों को पसंद आये हैं, जो ठोस बदलाव की आवश्यकता महसूस करते हैं। लेकिन पार्टी स्मार्ट शहरों के निर्माण और शहरी बुनियादी ढाँचे के आधुनिकीकरण के अपने व्यापक राष्ट्रीय एजेंडे के अनुरूप नागरिकों के लिए उच्च गुणवत्ता वाला जीवन प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा, जो शायद है भी। इसके अतिरिक्त अपने पास मौज़ूद राष्ट्रीय संसाधनों के साथ भाजपा का लक्ष्य दिल्ली को सरकार की विकासात्मक नीतियों का एक चमकदार उदाहरण बनाना है। उदाहरण के लिए, मंत्रिमंडल की पहली बैठक में दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में बहुत विलंबित आयुष्मान भारत योजना के कार्यान्वयन को मंज़ूरी दे दी।

हालाँकि यह सिर्फ़ शासन के वादे नहीं हैं, जो दिल्ली के मतदाताओं को आकर्षित कर रहे हैं। भाजपा ने मुफ़्त उपहार देने की रणनीति भी अपनायी है। यह एक ऐसा उपकरण है, जिसका उपयोग भारत में कई राजनीतिक पार्टियाँ चुनाव जीतने के लिए करती रही हैं। बढ़ती महँगाई के चलते जीवनयापन करने में आने वाली मुश्किलों और शहर की दूसरी चुनौतियों के साथ उपयोगिताओं पर सब्सिडी, वंचितों के लिए मुफ़्त शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल तक बेहतर पहुँच जैसे कल्याणकारी उपायों के प्रति पार्टी की प्रतिबद्धता ने दिल्ली के कामकाजी वर्ग और मध्यम वर्ग के मतदाताओं को प्रभावित किया, जो चुनाव परिणामों में परिलक्षित हुआ।

दिल्ली की दो सत्ताओं में से एक दिल्ली नगर निगम अभी भी आम आदमी पार्टी के पास है। नयी सरकार को शहर में आवश्यक स्वच्छता सुधार लाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के साथ पार्टी ने अब ख़ुद को राजधानी के राजनीतिक क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर लिया है। हालाँकि वादों को पूरा करना उसके लिए कठिन चुनौतियों से भरा काम होगा। दिल्ली सरकार और केंद्र की सरकार के बीच तालमेल बनने में अब सुगमता रहेगी और यह भाजपा को अपने महत्त्वाकांक्षी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एक शक्तिशाली मंच प्रदान करेगा। जैसे-जैसे दिल्ली आगे बढ़ रही है, देश की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि भाजपा आने वाले वर्षों में एक सुरक्षित, स्वच्छ और अधिक समृद्ध शहर बनाने के अपने वादों को कैसे पूरा करेगी?