दिल्ली के उपराज्यपाल को मिलेगी पदोन्नति!

दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) विनय कुमार सक्सेना ने तीन साल के भीतर ही अपना काम पूरा कर लिया है, क्योंकि दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी हार चुकी है और भाजपा सत्ता में आ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निजी पसंद के मुताबिक दिल्ली के एलजी के तौर पर सक्सेना की नियु​क्ति ने 2022 में कई लोगों को चौंका दिया था, क्योंकि वह केवीआईसी (खादी और ग्रामोद्योग आयोग) से आए थे, जिसके वे 2015 से अध्यक्ष थे।

मोदी भी उनके खादी को लोकप्रिय बनाने के तरीके से प्रभावित हुए थे। सक्सेना ने अकेले दम पर दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की आप को बेनकाब कर दिया, जबकि भाजपा का स्थानीय नेतृत्व कोई रणनीति नहीं बना पाया। एक तरह से उन्होंने शहर में भाजपा की सरकार बनाने का रास्ता साफ कर दिया।

क्या अब सक्सेना को जाना चाहिए या वे बने रहेंगे? दिल्ली के उपराज्यपाल ने ठीक वही किया है जिसकी उनके राजनीतिक आकाओं ने उनसे अपेक्षा की थी और अब दिल्ली में डबल इंजन की बजाय ट्रिपल इंजन वाली सरकार को केंद्र के साथ मिलकर काम करने और दिल्ली के लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए एक नई तरह की भूमिका की आवश्यकता होगी।

ऐसा लगता है कि सक्सेना को पदोन्नत करने का समय आ गया है, हालांकि वे कुछ और समय तक पद पर बने रह सकते हैं, जब तक कि नई दिल्ली सरकार स्थापित नहीं हो जाती। उन्होंने उपराज्यपाल के रूप में अपनी कार्यशैली का परिचय दिया है और हर मुद्दे पर बारीकी से नजर रखी है, जिसमें राजनीतिक मुद्दे भी शामिल हैं, जिन्होंने आप को हर बिंदु पर बेनकाब किया है।

भाजपा को अब शहरी आवास, बुनियादी ढांचे, शहर की गतिशीलता सहित पेयजल पाइपलाइनों, बिजली, यमुना की सफाई, वायु प्रदूषण आदि का ध्यान रखने के अलावा लोकलुभावन वादों को पूरा करने की जरूरत है। लेकिन अभी शुरुआत है और सक्सेना, जिनका ग्राफ बहुत ऊपर चला गया है, पर अंतिम फैसला केवल प्रधानमंत्री लेंगे।