दिल्ली विधानसभा चुनाव वादों की दौड़ में बदल गया है, जिसमें आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस सभी मतदाताओं को मुफ़्त उपहारों की पेशकश कर रही हैं, जो एक बड़ा प्रतियोगी दाँव बन रहा है। अपने घोषणा-पत्र ‘केजरीवाल की गारंटी’ में आम आदमी पार्टी ने 15 वादे किये हैं, जिनमें रोजगार सृजन और महिलाओं के लिए नक़द सहायता से लेकर वरिष्ठ नागरिकों के लिए मुफ़्त स्वास्थ्य देखभाल तक शामिल हैं। पार्टी ने सभी घरों के लिए 24/7 स्वच्छ पेयजल, स्वच्छ यमुना नदी और विदेश में पढ़ने वाले दलित छात्रों के सभी ख़र्चों को कवर करने वाली छात्रवृत्ति का भी वादा किया है। इसके अलावा आप ने छात्रों के लिए मुफ्त बस, मेट्रो में छात्रों और महिलाओं का आधा किराया और दिल्ली में विश्व स्तरीय सड़कों के निर्माण का वादा किया है।
‘विकास दिल्ली संकल्प-पत्र’ के बैनर तले भाजपा का घोषणा-पत्र भी उतना ही महत्त्वाकांक्षी है। इसमें महिला समृद्धि योजना, उन्हें नक़द राशि, एक विस्तारित आयुष्मान भारत योजना और वरिष्ठ नागरिकों और आर्थिक रूप से वंचित परिवारों के लिए 10 लाख रुपये के स्वास्थ्य बीमा का वादा किया गया है। भाजपा ने होली और दिवाली जैसे त्योहारों के दौरान मुफ़्त सिलेंडर सहित एलपीजी सिलेंडर पर 500 रुपये की सब्सिडी के साथ 200 यूनिट तक मुफ़्त बिजली का भी वादा किया है।
कांग्रेस ने महिलाओं के लिए भाजपा के नक़द हस्तांतरण की बराबरी ‘प्यारी दीदी योजना’ से की है, जो प्रति माह 2,500 रुपये की पेशकश करती है। पार्टी ने आप और भाजपा दोनों की योजनाओं को पीछे छोड़ते हुए 300 यूनिट तक मुफ़्त बिजली देने का भी वादा किया है। स्वास्थ्य देखभाल के लिए कांग्रेस ‘जीवन रक्षा योजना’ के तहत सभी निवासियों के लिए 25 लाख रुपये के स्वास्थ्य बीमा की पेशकश कर रही है। इसके अतिरिक्त कांग्रेस ने 500 रुपये में सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर के भाजपा के वादे को भी दोहराया है।
इन वादों के बीच एक सामान्य सूत्र महिलाओं पर विशेष ध्यान केंद्रित करना है, जो हाल के चुनावों में एक निर्णायक वोटिंग ब्लॉक बन गयी हैं। आप अपनी ‘मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना’ के तहत वित्तीय सहायता 1,000 रुपये से बढ़ाकर 2,100 रुपये प्रति माह करने की योजना बना रही है। भाजपा ने दिल्ली में महिलाओं को 2,500 रुपये देने का वादा करते हुए अपनी ‘महिला समृद्धि योजना’ का प्रचार किया है। इस बीच कांग्रेस अपनी ‘प्यारी दीदी योजना’ शुरू कर रही है, जिसमें प्रति माह 2,500 रुपये की समान सहायता की पेशकश की जा रही है।
कांग्रेस के लिए चुनौती बिखर चुके इंडिया गठबंधन की पार्टियों को संतुलित करने की है, जहाँ ममता बनर्जी जैसी साझीदार हैं। हेमंत सोरेन और अखिलेश यादव ने खुलेआम आप और उसके नेता अरविंद केजरीवाल का समर्थन किया है। यह राजनीतिक जटिलता कांग्रेस की स्थिति को और भी अधिक अनिश्चित बना देती है; क्योंकि वह अपने सहयोगियों के साथ गठबंधन करने के साथ-साथ महिलाओं को भी आकर्षित करने की कोशिश करती है।
‘तहलका’ की आवरण कथा- ‘नुक्कड़ नाटकों के ज़रिये राजनीति’ इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने के लिए अपरंपरागत रणनीति कर रहे हैं। ‘तहलका’ की विशेष जाँच टीम (एसआईटी) की पड़ताल से पता चलता है कि पारंपरिक नुक्कड़ नाटक, जिनका उद्देश्य कभी सामाजिक जागरूकता बढ़ाना था; अब पार्टियों द्वारा अपने चुनावी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए अपनाये जा रहे हैं। कभी-कभी ये युक्तियाँ नैतिक सीमाओं को भी पार कर जाती हैं।
भाजपा, विशेष रूप से 2024 के लोकसभा चुनावों में आप के ख़राब प्रदर्शन के मद्देनजर उसे मात देने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। पार्टी आप को लगातार चुनौती दे रही है, जिसमें केजरीवाल के इस दावे पर चुनाव आयोग (ईसी) में शिकायत दर्ज करना भी शामिल है कि यमुना नदी को ज़हरीला बनाया जा रहा है। इसके बाद चुनाव आयोग ने इस आरोप के लिए सुबूत की माँग की, जिससे केजरीवाल को अपनी टिप्पणी पर स्पष्टीकरण देना पड़ा।
चुनौतियों के बावजूद सभी की निगाहें दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य पर टिकी हुई हैं, जहाँ अरविंद केजरीवाल अंतराल में भी शासन की कमान सँभाले हुए हैं। भाजपा ने शराब नीति मामले में आप की कथित भूमिका से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों, केजरीवाल के आधिकारिक आवास के नवीनीकरण और पार्टी पर दबाव बनाने जैसे मुद्दों को उठाया है। जैसे-जैसे चुनाव अभियान तेज़ होगा, ये विवाद बहस को बढ़ावा देते रहेंगे। निःसंदेह 08 फरवरी को मतों की गिनती नतीजों को आकार देगी।