– चीन का खतरनाक मांझा भारत में प्रतिबंधित होने के बाद भी धड़ल्ले से बिक रहा है!
इंट्रो- चीन में बना सामान न सिर्फ घटिया है, बल्कि उससे मानव-जीवन को खतरा पैदा हो चुका है। भारत में आयातित चीन के सामान को हम मौत का सामान कहें, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। चीन से आयातित सामान में से पतंग उड़ाने वाली डोर, जिसे मांझा कहा जाता है; भी एक ऐसा ही जानलेवा प्लास्टिक का सिंथेटिक धागा है। अब तक चीन के मांझे की वजह से सैकड़ों लोगों, छोटे पशुओं, पक्षियों और समुद्री जीवों की जान जा चुकी है। चीन का यह जानलेवा मांझा भारत में प्रतिबंधित होने के बावजूद आज भी देश की राजधानी दिल्ली से लेकर आगरा, कोलकाता और दूसरे कई शहरों के बाजारों में कथित रूप से बिक रहा है। इस मांझे की उपलब्धता को लेकर ‘तहलका’ एसआईटी की पड़ताल पर आधारित यह खुलासा एक परेशान करने वाली वास्तविकता को देश के सामने लेकर आया है कि चीन के मांझे पर प्रतिबंध का बहुत कम या कहें कि कोई प्रभाव नहीं पड़ा है और यह धड़ल्ले से बिक रहा है। पढ़िए, तहलका एसआईटी की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट :-
‘मुझे लगता है कि आप हमारी बातचीत रिकॉर्ड कर रहे हैं। स्टिंग कर रहते हो क्या? अगर आप मुझसे चाइनीज मांझा खरीदना चाहते हैं, तो खरीद लीजिए। आप इतने सारे सवाल क्यों पूछ रहे हैं? ऐसा लगता है, जैसे आप मुझे रिकॉर्ड कर रहे हैं! कृपया सुनिश्चित करें कि मैं परेशानी में न पड़ूँ।’ -उत्तर प्रदेश के आगरा के एक पतंग विक्रेता नासिर खान उर्फ मुन्ना ने यह बात ग्राहक बनकर उसकी दुकान पर गये ‘तहलका’ रिपोर्टर को प्रतिबंधित चीन का मांझा बेचने की पेशकश करते हुए जोर देकर शक करते हुए कही।
‘मैंने अपने कूरियर के माध्यम से कोलकाता से बैंगलोर तक पांच किलोग्राम गांजा (मारिजुआना- एक प्रतिबंधित ड्रग) की आपूर्ति की है। मैंने पैकेट पर दवा लिखा और यह बिना किसी जांच के पास हो गया। इसी तरह मैं कूरियर सेवा का उपयोग करके कोलकाता से दिल्ली तक चाइनीज मांझा भेजूँगा। कोलकाता में भी चाइनीज मांझे पर प्रतिबंध है; लेकिन इसे चुनिंदा ग्राहकों को चोरी-छिपे बेचा जाता है। मैं नियमित रूप से दिल्ली को इसकी आपूर्ति कर सकता हूं।’ यह दावा कोलकाता के एक अन्य प्रतिबंधित चाइनीज मांझा विक्रेता राजेश सिंह (बदला हुआ नाम) ने ‘तहलका’ रिपोर्टर के सामने किया।
‘शाहदरा, दिल्ली का एक मांझा विक्रेता श्याम कुमार 500 रुपए प्रति रोल (मांझे का एक लच्छा) चाइनीज मांझे की आपूर्ति करने के लिए तैयार है। हालांकि श्याम अनजान लोगों से मिलने से सावधान रहता है और फोन पर बात नहीं करना चाहता। वह मेरे माध्यम से सौदा करने को तैयार है।’ -यह बात दिल्ली के जावेद खान (बदला हुआ नाम) ने ‘तहलका’ के रिपोर्टर से कही।
भारत में पतंग उड़ाने का महत्त्वपूर्ण पुरातन और भावनात्मक महत्त्व है। हालांकि पतंग उड़ाने के लिए अवैध चीन के प्लास्टिक के खतरनाक केमिकल और कांच के लेप से बनाये हुए मांझे का अनियंत्रित उपयोग भारत के निवासियों के लिए घातक साबित हुआ है। प्लास्टिक जैसा महसूस होने वाले नायलॉन के धागे से बना चाइनीज मांझा पतला होता है और आसानी से पतंग उड़ाने में मदद करता है। यद्यपि कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थानीय क्षेत्रों में भी निर्मित होता है, जिसका प्राथमिक घटक (सिंथेटिक पॉलीप्रोपाइलीन) चीन से प्राप्त किया जाता है।
भारत में हर साल चाइनीज मांझे से कई मौतें होती हैं और बहुत लोग इससे घायल भी होते हैं। ऐसे मामले आमतौर पर स्वतंत्रता दिवस और मकर संक्रांति से पहले के हफ़्तों में बढ़ जाते हैं, जब राजधानी से लेकर दूसरे शहरों में अधिकांश लोग अपनी-अपनी छतों से या खुले मैदानों में जाकर पतंग उड़ाते हैं। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, कई लोगों की डोर से गला कटने से मौत हो चुकी है। यह नुकसान केवल इंसानों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पशु-पक्षी भी इसके शिकार हो रहे हैं और इस मांझे से पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है। दशकों से चाइनीज मांझे से जुड़ी घटनाएं एक बढ़ता खतरा बन गयी हैं। परिणामस्वरूप, सन् 2017 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने देश भर में ग्लास-कोटेड धागों की बिक्री, निर्माण और आपूर्ति पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन प्रतिबंध के बावजूद चाइनीज मांझे की भारत में भारी मांग बनी हुई है। भारतीय मांझे की तुलना में यह सस्ता और प्रतिस्पर्धियों की पतंग काटने में अधिक प्रभावी है। प्रतिबंधित और संभावित घातक डोर को बेचने के आरोप में देश भर में कई गिरफ्तारियां की गयी हैं; लेकिन पुलिस की सख्त कार्रवाई के दावों के बावजूद बिक्री जारी है।
‘तहलका’ ने आगरा, कोलकाता और दिल्ली में प्रतिबंधित चाइनीज मांझे की कथित बिक्री की गहन पड़ताल की। जांच में पाया गया कि प्रतिबंध काफी हद तक काग़ज़ों तक ही सीमित है। इन शहरों में पतंग आपूर्तिकर्ता प्रतिबंधित डोर बेचते हुए कैमरे में क़ैद हुए। जांच के पहले पड़ाव में ‘तहलका’ रिपोर्टर ने नकली ग्राहक बनकर आगरा के दुकानदार नासिर से बात की। ‘तहलका’ रिपोर्टर ने इस बारे में गहन जानकारी जुटाने के लिए दिल्ली में अपने मनगढ़ंत पतंग व्यवसाय बताकर नासिर से चाइनीज मांझे की नियमित आपूर्ति की मांग की। रिपोर्टर ने अवैध रूप से चाइनीज मांझा बेचने वालों की तलाश करते हुए आगरा के नासिर से संपर्क किया।
रिपोर्टर : मांझा कौन-सा है आपके पास?
नासिर : वही है, जो आपने मंगाया है।
रिपोर्टर : चीन का?
नासिर : प्लास्टिक का बोलते हैं, चीन का।
रिपोर्टर : बोलते तो चाइना का ही हैं; नायलॉन वाला, प्लास्टिक वाला, वही शीशे वाला।
नासिर : हां; वही वाला।
‘तहलका’ रिपोर्टर ने नासिर से कहा कि हम आगरा से दिल्ली तक चाइनीज मांझे की नियमित आपूर्ति चाहते हैं; क्योंकि आगरा की तुलना में दिल्ली में चाइनीज मांझे पर प्रतिबंध बहुत सख्त है। नासिर ने जवाब दिया कि वह जयपुर (राजस्थान) में एक सप्लायर को जानता है, जो प्रतिबंधित मांझे की नियमित आपूर्ति कर सकता है। उसने कहा कि वह उनके (रिपोर्टर के) लिए चाइनीज मांझे का एक नमूना लाया है; और चूंकि उसके पास हमारा (रिपोर्टर का) संपर्क नंबर है, इसलिए जब भी उसे और मांझा मिलेगा, तो वह उन्हें (रिपोर्टर को) सूचित करेगा।
रिपोर्टर : देखो ऐसा है, दिल्ली में तो है नहीं ये।
नासिर : बैन (प्रतिबंधित) है।
रिपोर्टर : पूरे इंडिया में बैन है, इसकी सप्लाई चाहिए ज़्यादा।
नासिर : देखिए, मैं तो छोटा-मोटा दुकानदार हूं। अभी आप ये ले जाइए। अभी ऐसा एक डिस्ट्रीब्यूटर है जयपुर में।
रिपोर्टर : कौन है जयपुर में?
नासिर : ये मुझे मालूम करना पड़ेगा।
रिपोर्टर : डिस्ट्रीब्यूटर है जयपुर में? …चाइना मांझे का?
नासिर : हां। …हम तो छोटे-मोटे दुकानदार हैं। 1-2 लेकर बेचते हैं। आप चाहें इसे ले लीजिए। आगे से आपका नंबर मेरे पास है ही; जैसे मालूम पड़ेगा, आपको बता दूंगा।
इस आदान-प्रदान में ‘तहलका’ रिपोर्टर ने नासिर की पहचान और एक प्रमुख बाजार में उसकी दुकान के स्थान की पुष्टि करने का प्रयास किया। जैसे ही नासिर ने अपना उपनाम ‘मुन्ना’ साझा किया, उससे यह भी पता चल गया कि वह कैसे एक घनिष्ठ अनौपचारिक नेटवर्क में काम करता है।
रिपोर्टर : आपकी दुकान वहीं है ना! मॉल के बाजार में?
नासिर : हां।
रिपोर्टर : किसके नाम से है?
नासिर : मेरे ही नाम से है। …नासिर भाई के नाम से पूछ लेना।
रिपोर्टर : पूरा नाम क्या है?
नासिर : नासिर भाई।
रिपोर्टर : खान, अली, …कुछ नहीं?
नासिर : हां; खान लगा लेना। …आपका शुभ नाम क्या है?
रिपोर्टर : मेरा नाम आमिर अली, …और आपका मुन्ना? …मुन्ना के नाम से पतंग की दुकान है ना?
नासिर : जी।
‘तहलका’ रिपोर्टर ने नासिर से इस बारे में पूछताछ जारी रखी कि वह किस प्रकार के चाइनीज मांझे की आपूर्ति करता है? नासिर ने खुद का छोटा प्रोफाइल बनाये रखते हुए इस बात पर जोर दिया कि उनका स्टॉक एक ही प्रकार- गोल्डन के रंग तक ही सीमित है; जो ग्राहकों के साथ व्यवहार करने में उनके सतर्क दृष्टिकोण को सूक्ष्मता से दर्शाता है।
रिपोर्टर : फिलहाल बताओ मांझे कौन-कौन से हैं?
नासिर : इसमें तो गोल्ड ही है बस।
रिपोर्टर : गोल्ड की एक ही वैरायटी है बस! …और कुछ नहीं है?
नासिर : हम तो एक-एक, दो-दो लेकर ही बेचते हैं भाई!
जब नासिर से पूछा गया कि वह हमें नियमित आधार पर कितनी मात्रा में चाइनीज मांझे की आपूर्ति कर सकता है, तो उसने कहा कि वह अपने आपूर्तिकर्ता से पूछेगा, तब उन्हें (नकली ग्राहक बने रिपोर्टर को) बताएगा। उसने बताया कि फिलहाल उसके पास चाइनीज मांझे का सिर्फ एक ही रोल है।
रिपोर्टर : तो ये बताओ, हमें कितना माल मिल सकता है?
नासिर : अब ये तो पूछकर बताऊंगा, ऐसे कैसे बता सकता हूं।
रिपोर्टर : आप कितना दे सकते हो?
नासिर : एक ही है मेरे पास तो।
रिपोर्टर : अभी नहीं आगे?
नासिर : मैं आपको पूछकर बता दूंगा।
नासिर को तब संदेह हुआ, जब ‘तहलका’ रिपोर्टर ने उससे चाइनीज मांझे के बारे में कई सवाल पूछे। उसने दलील दी कि चूंकि उसके बच्चे बहुत छोटे हैं, इसलिए वह किसी परेशानी में नहीं पड़ना चाहता। रिपोर्टर से अपनी सुरक्षा के बारे में आश्वासन मिलने के बाद नासिर ने बताया कि वह उनके (रिपोर्टर के) लिए चाइनीज मांझे का एक नमूना लाया है, और उसके लिए पैसे की मांग की। एक स्पष्ट बातचीत में हमारे रिपोर्टर ने प्रतिबंधित चाइनीज मांझे की क़ीमत पर सवाल उठाया और पड़ताल की, कि क्या एक रोल के 600 रुपये ज़्यादा हैं?
रिपोर्टर : फिलहाल दिखा दो, कैसा है माल?
नासिर : अब ऐसी बात तो नहीं है सर! …ये लाये हैं।
रिपोर्टर : क्या बात कर रहे हो?
नासिर : मेरे भी छोटे-छोटे दो बच्चे हैं। ऐसी बात तो नहीं, कोई डरने वाली बात?
रिपोर्टर : कोई बात नहीं है, आप क्यूं परेशान हो रहे हो। सुनो, मांझा यहीं दिखाओगे या कहां दिखाओगे?
नासिर : यहां देख लो आप, पैसे दे दो।
रिपोर्टर : मुझे पैसे बता दो कितने हुए?
नासिर : 600 रुपये दे दो मुझे आप।
रिपोर्टर : 600 रुपीज ज्यादा नहीं है?
नासिर : तुम्हारे लिए आया हूं मैं यहां पे, अब मेरा पेट्रोल दे देना। …50 रुपीज और दे देना भाई! दूसरे की गाड़ी लेकर आया हूं।
इस बातचीत में ‘तहलका’ रिपोर्टर ने नासिर से चाइनीज मांझे की तत्काल उपलब्धता और लगातार आपूर्ति सुनिश्चित करने की संभावना को दर्शाया। फिलहाल सीमित स्टॉक के साथ नासिर ने एक ग्राहक मानते हुए रिपोर्टर को आश्वस्त किया कि वह भविष्य में मांझे की आपूर्ति की व्यवस्था कर सकता है और अपडेट के लिए संपर्क में रह सकता है।
रिपोर्टर : मुझे ये बताओ, मुझे कितना माल मिल जाएगा आपसे अभी?
नासिर : सर! मेरे पास तो अभी एक ही है; …आगे होगा, तो आपको दे दूंगा।
रिपोर्टर : मुझे चाहिए लगातार सप्लाई।
नासिर : मेरे पास नंबर तो है ही, …मैं आपको पूछकर बता दूंगा।
अब नासिर ने रिपोर्टर से दिल्ली का पता पूछा और दिल्ली के जाफराबाद या नांगलोई से एक पतंग आपूर्तिकर्ता से संपर्क करने की सिफारिश की, जो उन्हें (रिपोर्टर को) दिल्ली में ही चाइनीज मांझे की आपूर्ति करने में उसने सक्षम बताया।
रिपोर्टर : अच्छा, पतंगें कौन-कौन सी हैं आपके पास?
नासिर : पतंगें सब मिलेंगी। …पन्नी की, काग़ज की, सब मिलेंगी। दिल्ली में कहां है आपकी दुकान?
रिपोर्टर : दिल्ली में मयूर विहार, जमना पार।
नासिर : अच्छा, वहां जाफराबाद में भी तो है। तो जाफराबाद में आप उससे ले लेना, …राज से, लालू से; उन पर मिल जाएगा सब।
रिपोर्टर : चाइनीज मांझा है उनके पास?
नासिर : होगा, शायद…।
रिपोर्टर : आपके जानकार हैं?
नासिर : मेरे खयाल में नांगलोई में हो शायद।
रिपोर्टर के कई सवालों के बाद नासिर को फिर से शक हुआ और उसने रिपोर्टर से पूछा कि क्या वह (रिपोर्टर) उनकी रिकॉर्डिंग कर रहे हैं? यह आश्वासन देने के बाद कि उसकी रिकॉर्डिंग नहीं की जा रही है; नासिर ने रिपोर्टर को बताया कि वह एक सप्लायर से चाइनीज मांझा ले रहा है।
रिपोर्टर : ये बताओ, आपकी सप्लाई कहां है? कौन-से एरिया से है?
नासिर : हम तो लोकल हैं। 10-20 रुपीज खोल के बेचते हैं।
रिपोर्टर : आपकी सप्लाई कहां से है? कहां से आता है आपके पास?
नासिर : एक डिस्ट्रीब्यूटर देने आता है। अरे आप अभी रिकॉर्डिंग क्यूं कर रहे हो?
रिपोर्टर : अरे नहीं।
नासिर : देखो, मेरी बात सुनो; मैं अभी दुकान से उठकर आया हूं। आप मुझे रिकॉर्ड कर रहे हो?
रिपोर्टर : देखो डरो मत, ये देखो मैंने अंदर कर लिया।
नासिर : नहीं, आप इतना क्यूं पूछ रहे हो? …आपने कहा पतंग का, …बालूगंज से आया हूं।
रिपोर्टर : चलो छोड़ो।
तीसरी बार फिर नासिर ने सवाल उठाया कि क्या ‘तहलका’ रिपोर्टर के द्वारा उसकी रिकॉर्डिंग की जा रही है? इस बार उसने रिपोर्टर से धर्म के अनुसार उनके ईश्वर की कसम खाने को कहा कि अगर वह (रिपोर्टर) उसकी रिकॉर्डिंग नहीं कर रहे हैं, तो कसम खाएं। कसम खाने के बाद उसने मांझा देने की पेशकश की; लेकिन रिपोर्टर के उसे टालने के हाव-भाव से नासिर को फिर शक हुआ कि वह (रिपोर्टर) चाइनीज मांझा खरीदने में सिर्फ टालमटोल कर रहे हैं और उसे खरीदने के लिए गंभीर नहीं हैं। नासिर को रिपोर्टर पर काफी शक हो गया; क्योंकि रिपोर्टर ने उससे बहुत सारे सवाल पूछे।
नासिर : अब सर! ये तो आप फॉर्मेलिटी पूरी कर रहे हैं, आपको लेना-वेना कुछ नहीं है।
रिपोर्टर : ऐसी बात नहीं।
नासिर : तो आप इतनी चीजें क्यूं पूछ रहे हो? ये बताइए आप, …आप मुझे अपना एड्रेस दे दो। मैं आपके पास खुद आऊंगा मयूर विहार, पूरा एड्रेस दे दो।
रिपोर्टर : अच्छा लिखो।
नासिर : आप लिखकर दे दो, आपके पास पेन तो होगा।
रिपोर्टर : व्हाट्सएप पर लिख लो, मोबाइल कौन-सा है आपके पास?
नासिर : आप लिखकर सेंड कर दो मुझे। …अरे नहीं भाई!
रिपोर्टर : अरे लो-लो, पैसे लो।
नासिर : आप देखिए, पहले अल्लाह-पाक की कसम खाइए। …आप कुछ कर तो नहीं रहे हैं?
रिपोर्टर : अल्लाह-पाक की कसम।
नासिर : सर पे हाथ रखो मेरे, छोटा भाई हूं।
रिपोर्टर : हां; लो पैसे लो।
‘तहलका’ रिपोर्टर ने नासिर को उसके द्वारा लाये गये मांझे के लिए 700 रुपए देने के बाद चाइनीज मांझा लिए बिना ही यह कहकर छोड़ दिया कि अभी इसे रखे रहो, बाद में ले लेंगे। रिपोर्टर ने उससे चाइनीज मांझा नहीं लिया; क्योंकि यह भारत में प्रतिबंधित है। नासिर के बाद ‘तहलका’ रिपोर्टर ने दिल्ली में राजेश सिंह से मुलाकात की। कोलकाता का मूल निवासी राजेश सिंह के साथ बातचीत में रिपोर्टर ने शहर में प्रतिबंधित चाइनीज मांझे की उपलब्धता की पड़ताल की। राजेश ने स्पष्ट रूप से बताया कि कैसे दुकानदार पुलिस की जांच के बाद भी खुद को इसे बेचने में दूसरे तरीके (रिश्वत आदि) से अभ्यस्त कर लेते हैं या फिर पुलिस की गाड़ी आने पर अक्सर अपने स्टॉक को छुपाते लेते हैं। लेकिन रास्ता साफ होने पर आसानी से ग्राहकों को चाइनीज मांझा बेच देते हैं, जो भूमिगत बाजारों में चल रही कालाबाजारी और पुलिस प्रशासन के लचीलेपन को दर्शाता है।
रिपोर्टर : अब बता, चाइनीज मांझा; …कि कहां-कहां मिल रहा है? …कोलकाता में?
राजेश : चाइनीज मांझे कोलकाता में हर जगह मिलता है। बैन है; पर पुलिस आता है, तो सब छुपा देता है।
इस बातचीत में राजेश सिंह ने प्रतिबंधित चाइनीज मांझे के लिए कोलकाता के एक भूमिगत बाजार के बारे में स्पष्ट रूप से बताया। राजेश ने बताया कि कैसे दुकानदार चतुराई से पुलिस गश्त से अपना स्टॉक छुपाते हैं, और पुलिस के जाते ही इस अवैध उत्पाद की बिक्री फिर से शुरू कर देते हैं, जबकि प्रदर्शन यह करते हैं कि वे कॉटन का मांझा बेच रहे हैं।
रिपोर्टर : कौन-कौन सा मार्केट है?
राजेश : कोलकाता पूरा ही मार्केट है। …कोलकाता में आप कहीं पर भी छोटा-सा दुकान ले लो, बड़ा-सा दुकान ले लो; जब गाड़ी दिखता है, सब छुपा जाता है। धागे वाला सामने चालू हो जाता है। फिर जब गाड़ी गया, फिर चाइनीज वाला शुरू हो जाता है।
इस गहन बातचीत में राजेश सिंह ने कोलकाता के उन खास इलाक़ों का नाम उजागर किया, जहां प्रतिबंधित चाइनीज मांझा बिकता है। उसने कोलकाता के दो बाजारों- टीटागढ़ और बड़ा बाजार का नाम लिया, जहां चाइनीज मांझा मिलता है। उसने कहा कि बड़ा बाजार में चाइनीज मांझा 24 घंटे उपलब्ध रहता है।
रिपोर्टर : कौन-कौन से इलाके हैं कोलकाता के? …जहां चाइनीज मांझा मिलता है?
राजेश : वहां हमको चाइनीज मांझा का नाम नहीं पता, वो लोग लेकर आता है रंग-बिरंगी।
रिपोर्टर : लेकिन इलाका कौन-कौन सा है?
राजेश : अच्छा; इलाका हो गया टीटागढ़।
रिपोर्टर : ये कोलकाता में है?
राजेश : हां; कोलकाता में।
रिपोर्टर : साउथ-ईस्ट या नॉर्थ-वेस्ट? …कौन-सी जगह?
राजेश : साउथ में। …सब जगह में हैं। हद से आधा-एक घंटे का रास्ता है। सब कुछ मिलेगा, टीटागढ़ हो गया। बड़ा बाजार हो गया। …बड़ा बाजार में तो 24 घंटे मिलेगा।
रिपोर्टर : चाइनीज मांझा?
राजेश : 24 घंटा।
इस बातचीत में ‘तहलका’ रिपोर्टर ने राजेश से व्हाट्सएप पर भेजी गयी चरखी के स्रोत के बारे में सवाल किया। राजेश ने खुलासा किया कि इसे टीटागढ़ से प्राप्त किया गया था, जिससे क्षेत्र के बारे में उनके स्थानीय ज्ञान का संकेत मिलता है, जबकि उन्होंने बताया कि वह हवाई अड्डे से सिर्फ 15 मिनट की दूरी पर रहते हैं।
रिपोर्टर : तूने कहां से लिया था, जो मुझे चरखी भेजी थी?
राजेश : टीटागढ़, लोकल है।
रिपोर्टर : लोकल है, मतलब तू वहीं रहता है?
राजेश : हम तो एयरपोर्ट साइड में रहता, वो 15 मिन्ट का रास्ता है।
इस बातचीत में रिपोर्टर ने राजेश से दिल्ली में चाइनीज मांझे की आपूर्ति करने के बारे में पूछताछ की। राजेश ने अवैध व्यापार के लिए अपनी संलिप्तता का इजहार करते हुए कुछ दिनों के भीतर सड़क मार्ग से सामान भेजने की एक सीधी योजना के बारे में आत्मविश्वास से रिपोर्टर को आश्वास्त किया कि वह कई अवैध चीज़ों को मँगाने का प्रबंधन कर सकता है।
रिपोर्टर : तो अगर चाइनीज मांझे का तुझे ठेका दे दिया जाए, दिल्ली सप्लाई करने का, तो तू कर लेगा?
राजेश : कर लूंगा।
रिपोर्टर : कैसे करेगा?
राजेश : वही सेम xxxx वाई रोड 3-4 दिन में, …के अंदर माल।
इस चौंकाने वाली बातचीत में राजेश ने मादक पदार्थों की तस्करी के रहस्य का खुलासा किया। यह पूछे जाने पर कि क्या वह कूरियर के माध्यम से दिल्ली में चाइनीज मांझा की आपूर्ति कर पाएगा? राजेश ने हमें आश्वस्त करने के लिए बताया कि उसने अपनी कूरियर कम्पनी के माध्यम से कोलकाता से बैंगलोर तक प्रतिबंधित ड्रग्स गांजा (मारिजुआना) की आपूर्ति की थी; वह भी पांच-छ: किलोग्राम की मात्रा में।
राजेश : हम लोग, जैसा क्या करते, बैंगलोर हम भेजे वीड (गांजा)।
रिपोर्टर : हैं! वीड? …वीड मतलब चरस?
राजेश : नहीं, गांजा। …वो भेजा बैंगलोर, कोलकाता से xxxx से।
रिपोर्टर : कूरियर से भेजा?
राजेश : कूरियर से भेजा, कब भेजा, वो मेरे इस फोन में नहीं है, उस फोन में है। …एक-दो महीना नहीं, दो-तीन महीने पहले। …पांच-पांच, छ:-छ: केजी (किलोग्राम) गांजा भेजा।
रिपोर्टर : पांच-छ: केजी गांजा भेजा!
राजेश : हां; आराम से ले लिया।
रिपोर्टर : आपने xxxx कूरियर से कोलकाता से बैंगलोर भेजा?
राजेश : हां; हम आपको स्लिप भी दिखा देंगे। पर हम लोग को पता है ना! क्या लिखना चाहिए, क्या चेकिंग होता है, क्या नाम लिखना चाहिए। …अब जैसे ये प्याज है। हम इस प्याज को पैक किया और इसको कोई मेडिसिन का नाम दे दिया. …काग़ज पे मेडिसिन लिखा दिया; गाड़ी में रख दिया और वो निकल गया।
इस अचंभित करने वाली बातचीत में राजेश का दावा है कि अवैध आग्नेयास्त्रों और हथियारों को भी कूरियर किया जा सकता है। राजेश के दावे रेडार के तहत चल रहे अवैध बाजारों की चिंताजनक वास्तविकता को रेखांकित करते हैं, और ऐसी गतिविधियों पर अंकुश लगाने में कानून प्रवर्तन के सामने आने वाली चुनौतियों को भी उजागर करते हैं।
रिपोर्टर : हथियार वग़ैहर सब, रिवॉल्वर एट्च. (इत्यादि)?
राजेश : हां; छोटा सामान होगा, निकल जाएगा।
रिपोर्टर : रिवॉल्वर वग़ैरह निकल जाएगी?
राजेश : हां।
रिपोर्टर : कौन-कौन से आइटम?
राजेश : कोई भी आइटम।
रिपोर्टर : जो भी बैन, इल्लीगल हैं; …सारे?
राजेश : हां; वो हम भिजवा देंगे।
इस बातचीत में राजेश ने आगे चाइनीज मांझे के उपयोग से जुड़े खतरों के बारे में, विशेष रूप से इससे लगने वाली गंभीर चोटों और मौतों की संभावना की बात स्वीकार की। उसने कुबूल किया कि उसने अपनी आंखों से चाइनीज मांझे से लोगों को मरते हुए और घायल होते हुए देखा है। लेकिन इसके बावजूद वह कोलकाता से दिल्ली तक इस अवैध उत्पाद की आपूर्ति करने की बात स्वीकार करते हुए नकली ग्राहक बने हमारे रिपोर्टर के लिए भी आपूर्ति करने को तैयार है।
रिपोर्टर : बड़ा खतरनाक होता है; …उससे लोग भी मर गये हैं। चाइनीज मांझे से।
राजेश : एक्सीडेंट भी होते हैं। जो हेलमेट लेकर चला रहा है, नजदीक जिसके नहीं होता कांच, उसका यहां से लेकर यहां तक (गर्दन की ओर इशारा करते हुए) कटके निकल गया।
रिपोर्टर : गर्दन कट जाती है।
राजेश : आंख के सामने देखा है मैंने ये सब।
अब राजेश ने चाइनीज मांझे के व्यापार के काले रहस्यों पर प्रकाश डालते हुए इसके प्रसार में स्थानीय कानून व्यवस्था की भूमिका पर आरोप लगाया। जब राजेश से रिपोर्टर ने पूछा कि क्या आप पर कभी चाइनीज मांझा बेचने के लिए कोलकाता पुलिस ने छापा मारा है? इसके जवाब में राजेश ने कहा कि पुलिस आरोपियों से 500 रुपये रिश्वत लेती है और उन्हें छोड़ देती है।
रिपोर्टर : कभी पकड़े नहीं गये? …पुलिस ने रेड नहीं की चाइनीज मांझे की?
राजेश : पकड़ने की क्या? …पुलिस तो खुद खाती है। बाई चांस अगर होता भी है, तो वो सेल नहीं