संसद समिति के जम्मू-कश्मीर दौरे से पहलगाम को बाहर रखने पर बढ़ा विवाद

अंजलि भाटिया
नई दिल्ली: संसद की गृह मामलों की स्थायी समिति के प्रस्तावित जम्मू-कश्मीर दौरे से पहलगाम को बाहर रखने को लेकर राजनीतिक विवाद गहराता जा रहा है। समिति की दो दिवसीय बैठक गुरुवार से शुरू हुई, जिसमें साइबर अपराध की रोकथाम, समाधान और उससे निपटने के उपायों पर चर्चा की गई। बैठक की अध्यक्षता बीजेपी सांसद डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल ने की।बैठक में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक के अधिकारियों ने हिस्सा लिया और साइबर अपराध से निपटने के लिए उठाए गए कदमों पर विस्तार से जानकारी दी। शुक्रवार को हुई बैठक में SEBI, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, नेशनल क्रिटिकल इंफॉर्मेशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन सेंटर और नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर के अधिकारी उपस्थित रहे।समिति जल्द ही जम्मू-कश्मीर दौरे पर जाने वाली है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति और विकास कार्यों का जायजा लेना है। यह समिति संसद की 24 विभागीय स्थायी समितियों में से एक है, जो विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की कार्यप्रणाली की निगरानी करती है और उनकी कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए सुझाव देती है।दौरे के दौरान समिति के सदस्य स्थानीय प्रशासन, सुरक्षा बलों और आम नागरिकों से संवाद करेंगे, जिससे उन्हें क्षेत्र की वास्तविक स्थिति की प्रत्यक्ष जानकारी मिल सके। यह जानकारियाँ संसद में प्रस्तुत की जाने वाली रिपोर्ट और सिफारिशों का आधार बनेंगी।सूत्रों के अनुसार, 31 अगस्त से 7 सितंबर के बीच समिति श्रीनगर, जम्मू, लेह और कश्मीर के अन्य संवेदनशील क्षेत्रों का दौरा करेगी। हालांकि, हाल ही में आतंकी हमले से प्रभावित पहलगाम को इस सूची से बाहर रखा गया है, जिस पर सवाल खड़े हो रहे हैं।गौरतलब है कि इसी इलाके में हाल ही में हुए आतंकी हमले में कई निर्दोष पर्यटक मारे गए थे। इसके बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नामक सैन्य अभियान को लेकर देशभर में चर्चा तेज हुई थी, जिसमें सेना की कार्रवाई और महिला नेतृत्व की भूमिका की व्यापक सराहना हुई थी।ऐसे में पहलगाम जैसे संवेदनशील और हालिया घटनाओं के केंद्र रहे क्षेत्र को दौरे से बाहर रखना कई लोगों को असमंजस में डाल रहा है। राजनीतिक हलकों में यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या इसे सुरक्षा कारणों से बाहर किया गया है या फिर इसके पीछे कोई राजनीतिक रणनीति है?विपक्षी दलों ने इस निर्णय को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि जिस क्षेत्र में हाल ही में आतंकी हमला हुआ, वहां की जमीनी हकीकत जानने से समिति का पीछे हटना समझ से परे है।बता दें कि अक्टूबर 2021 में संसद की साबऑर्डिनेट लेजिस्लेशन समिति ने भी लेह और श्रीनगर का दौरा किया था। लेकिन इस बार पहलगाम को बाहर रखने का फैसला सरकार के लिए एक नए राजनीतिक दबाव का कारण बनता दिख रहा है।