बन गई सहमति, नया भाजपा अध्यक्ष 20 अप्रैल से पहले

15 महीने की लंबी देरी के बाद नए भाजपा प्रमुख को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा के बीच आम सहमति बनती दिख रही है। हालांकि भाजपा प्रमुख जे.पी. नड्डा की जगह आने वाले नए अध्यक्ष को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर काम करना होगा, लेकिन यह भी साफ है कि उनकी जड़ें मूल संगठन आरएसएस में भी गहरी होंगी। संघ परिवार से आ रही खबरों की मानें तो यह साफ है कि नए प्रमुख का चुनाव 20 अप्रैल तक हो जाएगा। हालांकि जेपी नड्डा का कार्यकाल जनवरी, 2024 में खत्म हो गया था, उनकी जगह नए पार्टी प्रमुख के मुद्दे पर भाजपा में पूरी तरह से चुप्पी है। लेकिन अब यह सामने आ रहा है कि संघ परिवार के घटकों के बीच पर्दे के पीछे लंबी बातचीत के बाद अच्छे नतीजे सामने आए हैं। पिछले साल जनवरी में जब नड्डा का कार्यकाल खत्म हुआ तो आम चुनाव से पहले पार्टी के संविधान में बदलाव किया गया, ताकि संसदीय बोर्ड, सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था को ‘आपातकालीन स्थितियों’ में पार्टी अध्यक्ष का कार्यकाल बढ़ाने की अनुमति मिल सके, जिसका इस्तेमाल बाद में नड्डा के कार्यकाल को बढ़ाने के लिए किया गया। इस महीने के अंत में प्रधानमंत्री के रूप में मोदी का महाराष्ट्र के नागपुर में आरएसएस मुख्यालय जाना तय हो गया है, जो इस बात का संकेत है कि कई पेचीदा मुद्दों का समाधान हो गया है। मोदी आरएसएस मुख्यालय जाने वाले पहले प्रधानमंत्री होंगे, जबकि दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ऐसा करने से परहेज किया था।

आरएसएस भाजपा और मोदी का वैचारिक मार्गदर्शक है। मोदी हाल ही में अपने जीवन पर आरएसएस के प्रभाव के बारे में बार-बार बोलते रहे हैं, ताकि मातृ संगठन का सुचारु संचालन और निरंतर समर्थन सुनिश्चित हो सके। मोदी का आरएसएस से परिचय 8 साल की उम्र में हुआ था और 1971 में 21 साल की उम्र में वे गुजरात में आरएसएस के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए थे।

ऐसा कहा जा रहा है कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री मनोहरलाल खट्टर पर आखिरकार दांव चल सकता है। खट्टर पूर्णकालिक आरएसएस प्रचारक, अविवाहित और मोदी के करीबी विश्वासपात्र हैं। अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि दक्षिण भारत से केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी अभी भी चर्चा में हैं। लेकिन खट्टर के पक्ष में आम सहमति बनती दिख रही है।