छत्तीसगढ़ की राजनीति में इन दिनों भूचाल आया हुआ है. नागरिक आपूर्ति घोटाले से घिरी राज्य की भाजपा सरकार को लेकर कांग्रेस ने जो मशाल उठाई थी, उसमें भाजपा को तो कोई विशेष नुकसान नहीं पहुंचा, उलटे कांग्रेस के घर में आग की लपटें उठने लगी हैं.
जब दिल्ली समेत पूरे देश में कांग्रेस ने सुस्त रवैया अपना रखा है, उस वक्त आश्चर्यजनक रूप से छत्तीसगढ़ में पार्टी के नेता दोगुने उत्साह से काम करते नजर आ रहे हैं. कांग्रेस के जोश पर आश्चर्य इसलिए जताया जा रहा है क्योंकि नया राज्य बनने के बाद से अब तक कांग्रेस पर असफल और कमजोर विपक्ष का ठप्पा लगता रहा है. कई बड़े और जनसरोकारी मुद्दों पर कांग्रेस का मौन न केवल कार्यकर्ताओं बल्कि मतदाताओं को भी खटकता रहा है. खुद अपने 20 प्रमुख नेताओं (झीरम घाटी नक्सल हत्याकांड) की हत्या के मामले को भी कांग्रेस सही तरीके से न उठा पाई थी, न ही विधानसभा चुनावों में भुना पाई थी.
राज्य में कांग्रेस का नेतृत्व हर मुद्दे पर अब मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनकी कैबिनेट को आड़े हाथ ले रहे हैं. किसानों को धान का बोनस नहीं दिए जाने के मुद्दे से लेकर भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी सरकार से रोज जवाब मांगा जा रहा है. दिक्कत ये है कि कांग्रेस अपनी गुटबाजी से उबर नहीं पा रही है. यही कारण है कि भाजपा सरकार के खिलाफ शुरू हुई कांग्रेस की लड़ाई ने अपने ही घर में सिर-फुटौव्वल का रूप ले लिया है. छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी रोज एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी पर उतर आए हैं. दोनों के बीच खींचतान नई बात नहीं है, लेकिन जिस मुद्दे पर दोनों उलझ रहे हैं, वह मुद्दा भाजपा सरकार को उलझाने के लिए उपयोग किया जाना था.
दरअसल पिछले महीने प्रदेश के नागरिक आपूर्ति निगम (नान) पर राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने छापा मारकर करोड़ों की अनियमितता और भ्रष्टाचार के मामले को उजागर किया था. कथित तौर पर एसीबी के हाथ नान के अफसरों की एक डायरी भी लगी थी, जिसमें कई सौ करोड़ के रुपयों के लेन-देन का ब्योरा था. भूपेश बघेल इस कथित डायरी को लेकर मुख्यमंत्री रमन सिंह से हर दूसरे दिन जवाब तलब कर रहे हैं. इस बीच अजीत जोगी का बयान आया कि केवल डायरी के आधार पर किसी का दोष सिद्ध नहीं होता. जोगी ने पुराने मामलों का हवाला देते हुए यह भी कहा कि न्यायालय केवल किसी डायरी को साक्ष्य नहीं मानता. बस यहीं से कांग्रेस के दोनों बड़े नेता सरकार को परे रख एक-दूसरे के खिलाफ व्यंग्यबाण छोड़ रहे हैं.
हाल ये है कि कांग्रेस के इन दो नेताओं की लड़ाई को कभी मुख्यमंत्री रमन सिंह तो कभी अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी तड़का लगा रहे हैं. मरवाही विधानसभा सीट से विधायक अमित जोगी अपने पिता का बचाव करते हुए कहते हैं, ‘मेरे पिता ने केवल सुझाव दिया है, उसे मानना या ना मानना संगठन का काम है.’ वे पलटकर सवाल करते हैं कि जब मध्य प्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल घोटाले को कांग्रेस कोर्ट ले जा सकती है तो छत्तीसगढ़ के नान घोटाले को क्यों नहीं ले जा सकती.’
मुख्यमंत्री रमन सिंह कहते हैं, ‘कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई कभी खत्म नहीं हो सकती है. अभी भी कांग्रेस में जो नजर आ रहा है, वो उनके अंदर का मामला है, लेकिन जिस नान घोटाले की कांग्रेस बात कर रही है, उसे सौ बार कहें या हजार बार, झूठ सच में नहीं बदल जाएगा.’
कांग्रेस नेताओं को संयम बरतने की हिदायत
फिलवक्त कांग्रेस की अंदरूनी कलह सतह पर आ गई है. यही कारण है कि कांग्रेस के तेवर से जो राज्य सरकार सहमी नजर आ रही थी, अब वही कांग्रेस पर चुटकी लेने से नहीं चूक रही है। इस आपसी खींचतान का ही नतीजा है कि इसकी आंच अब दिल्ली भी पहुंच गई है. कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा ने दोनों नेताओं को संयम बरतने की हिदायत दी है, वहीं पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल केंद्रीय नेतृत्व को इससे अवगत कराने दिल्ली पहुंच चुके हैं. अजीत जोगी भी दिल्ली जाने की तैयारी कर रहे हैं. उनकी योजना है कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के अलावा छुट्टी से लौट रहे राहुल गांधी से भी मुलाकात कर सकें. दूसरी तरफ जोगी के कुछ समर्थक बघेल पर पार्टी संविधान का पालन नहीं करने और पार्टी के बड़े नेता (जोगी) के खिलाफ अनुशासनहीनता का रंग देकर नया पासा फेंकने की तैयारी में है. अब सरकार की जड़ें ढीली करने के लिए बारूद जुटा रही कांग्रेस खुद ही धमाके का शिकार हो गई है. परिणाम ये हुआ कि राहत की सांस लेते हुए मुख्यमंत्री रमन सिंह अपने मंत्रिमंडल को नया रूप देने में व्यस्त हो गए हैं क्योंकि अप्रैल के अंत तक रमन कैबिनेट का विस्तार होना है.
भूपेश खिसियानी बिल्ली : जोगी
नान घोटाले पर राज्य सरकार के खिलाफ शुरू हुई कांग्रेस की जंग आपसी खींचतान के रूप में सामने आ रही है. अजीत जोगी ने भूपेश बघेल को खिसियानी बिल्ली बोलकर मामले को और संगीन कर दिया है. उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश:
आप लगातार कांग्रेस के स्थानीय नेतृत्व से नाखुश हैं, आपके बयान अपनी ही पार्टी के नेताओं को कठघरे में खड़ा करते नजर आते हैं?
देखिए, मैं पार्टी के आतंरिक मामलों को लेकर कभी कोई टीका टिप्पणी नहीं करता हूं. मैंने कभी ऐसा कोई बयान भी नहीं दिया, जिससे यह लगे कि मैं अपनी ही पार्टी के खिलाफ खड़ा हूं. लेकिन यदि कोई मेरा नाम लेकर ही बयानबाजी कर रहा है तो मैं उसके लिए उर्दू का यह शेर कहना चाहूंगा कि आईना जो उनको दिखाया तो बुरा मान गए.
लेकिन आपको लेकर भूपेश बघेल कह रहे हैं कि जब-जब वे रमन सरकार को घेरते हैं, बुरा आपको लगता है?
यह तो वही बात हुई कि खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे। अब इन बातों से आप खुद ही निहितार्थ लगा लीजिए. मैं ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा। यह जरूर कहना चाहता हूं कि यदि मैंने नान (नागरिक आपूर्ति निगम) घोटाले को लेकर कोर्ट जाने को कहा, बेमतलब की बयानबाजी न करने की सलाह दी, तो क्या गलत कहा.
क्या संन्यास ले लूं : बघेल
पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल भी अजीत जोगी को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे. प्रदेश की भाजपा सरकार से दो-दो हाथ करने के साथ ही बघेल जोगी पर भी बयानों के तीर छोड़ने में पीछे नहीं हैं. उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश:
अजीत जोगी कह रहे हैं कि आप केवल बयानबाजी कर समय खराब कर रह हैं. नान घोटाले को लेकर वो आपको अदालत जाने की सलाह दे रहे हैं. क्या आपको उनकी बातें बुरी लग रही हैं?
मुझे क्यों बुरा लगेगा. जहां तक बयान देने का सवाल है तो वो मैं जरूर दूंगा और देता रहूंगा. कोर्ट जाने की बात तो वे अब कर रहे हैं, मैं तो पहले ही बोल चुका हूं कि नान घोटाले को लेकर हम अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।
अजीत जोगी वरिष्ठ हैं, उनकी सलाह में कुछ तो दम होगा?
मुझे एक बात नहीं समझ आती कि कैसे राजनीतिक व्यक्ति या दल जनता की लड़ाई छोड़ दें. क्या हम संन्यास ले लें? जब भी हम सरकार के खिलाफ कोई बयान देते हैं तो जोगी जी को क्यों तकलीफ होती है, यह समझ से परे है. आप इस पर भी गौर कीजिए की नान घोटाले को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ जोगी जी ने अब तक कोई बयान नहीं दिया है. इस पर क्या कहा जाए.