योगी के राम-राज्य में जनता की दशा

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासन का दूसरा कार्यकाल चल रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं उनके समर्थक उनके शासन को राम राज्य बताकर अब तक का सर्वश्रेष्ठ शासनकाल कह रहे हैं; मगर जनता में सब इस बात से सहमत नहीं हैं। अनेक समस्याओं एवं प्रशासनिक दबाव से त्राहिमाम कर रही अधिकांश जनता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ-साथ भाजपा से भी छुटकारा पाना चाहती है। इसका स्पष्ट उदाहरण बीते वर्ष लोकसभा चुनाव में भाजपा को अत्यधिक कम मिली सीटें हैं। दूसरा उदाहरण मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर मतदान में हुई कथित गड़बड़ी है।

मास्टर नंदराम कहते हैं कि भाजपा की करनी एवं कथनी में धरती-आकाश का अंतर दिखायी देता है। जनता ने जिस आशा से बड़े सम्मान के साथ भाजपा को देश एवं उत्तर प्रदेश का शासन सौंपा है, जनता को उसका मलाल होने लगा है। प्रदेश में आपराधिक घटनाएँ हर दिन घट रही हैं। बुलडोज़र अवैध निर्माणों के अतिरिक्त निर्दोषों के निर्माणों पर भी दहाड़ रहा है। भ्रष्टाचार भी नहीं रुका है। नौकरियाँ घट रही हैं एवं शिक्षा व्यवस्था ठप होती दिख रही है। इसका परिणाम ये देखने को मिल रहा है कि लूट, चोरी एवं हत्या की वारदात बढ़ती जा रही हैं; मगर शासन प्रशासन में कोई मानने को तैयार नहीं है कि प्रदेश में अपराध हो रहे हैं। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता करन सिंह कहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रदेश की व्यवस्था नहीं सँभल रही है। अपराधों की तो कोई गिनती ही नहीं है। बलात्कार की घटनाओं से मन दु:खी होता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं को न्यायाधीश समझते हैं एवं घोषणा करते हैं कि वह संत हैं; मगर प्रदेश में हर दिन कई-कई जघन्य अपराध होने के उपरांत भी उनका हृदय नहीं रोता है। उनके सारे प्रयास स्वयं की छवि चमकाने एवं अपनी कमियों पर पर्दा डालने के दिखते हैं। उन्होंने आज तक किसी बलात्कार पीड़िता के घर जाकर उसकी पीड़ा को कम करने के लिए बलात्कारियों को नेस्तनाबूद करने की क़सम नहीं खायी। ऊपर से उन्होंने अपनी पार्टी के अनेक बलात्कारियों को बचाने के प्रयास ही किये हैं। उन्नाव कांड, कानपुर कांड, हाथरस कांड, बदायूँ कांड, पीलीभीत कांड, गोरखपुर कांड, बाराबंकी कांड से लेकर हर जनपद में कोई-न-कोई घिनौनी दुराचार की घटना होती रहती है; मगर मुख्यमंत्री योगी की सेहत पर कोई असर नहीं हुआ। उनका हृदय मासूम बच्चियों के बलात्कार से भी नहीं पसीजता है। भाजपा कार्यकर्ता योगेंद्र कहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासन में अपराधी बचे ही नहीं है। जब योगेंद्र से पूछा गया कि अगर प्रदेश में अपराध नहीं हो रहे हैं, तो हर दिन अपराध के अनेक समाचार कैसे प्रकाशित हो रहे हैं? इस पर योगेंद्र ने उत्तर दिया कि छोटी-मोटी घटनाएँ कहाँ नहीं होती हैं? अपराध की बड़ी-बड़ी घटनाओं पर इस प्रकार का उत्तर देना भाजपा की मानसिकता दर्शाता है।

दहल उठीं महिलाएँ

उत्तर प्रदेश में हर दिन बलात्कार की अनेक घटनाओं से समाचार पत्र भरे दिखते हैं; मगर योगी शासन में इन घटनाओं को आम घटनाएँ कहने का चलन बन गया है। एक पुलिसकर्मी नाम प्रकाशित करने की विनती करते हुए कहते हैं कि अपराध पर रोक लगाने में पुलिस को मात्र 24 घंटे का समय पर्याप्त है। मगर अपराध की घटनाओं को अंजाम देकर भी अगर कोई अपराधी पुलिस की पकड़ से बचा रहता है, तो इसका अर्थ स्पष्ट समझ लीजिए कि उस अपराधी का बचाव कोई राजनीतिक ताक़त कर रही है। पुलिस के लिए अपराधियों को सीधा करना कोई कठिन चुनौती नहीं है। राजनीतिक दबाव एवं अपराधियों के संरक्षण का चलन राजनीति में रहता है, क्योंकि नेता चुनाव से लेकर सत्ता में अपना दबदबा बनाये रखने तक के लिए अपराधियों का सहारा लेते हैं।

तात्कालिक आपराधिक घटनाओं पर दृष्टिपात करने पर देखा जा सकता है। बीती 20 जनवरी को बरेली के हाफिजगंज थाना क्षेत्र के एक गाँव में झब्बू नाम के एक व्यक्ति ने खेत पर जा रही सात वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म करके उसका गला दबाकर हत्या करने का प्रयास किया। परिजनों ने बलात्कारी को पकड़ लिया, जिसके बाद पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर न्यायालय में प्रस्तुत किया, जहाँ विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) कोर्ट-3 उमाशंकर कहार ने फोरेंसिक साक्ष्यों के आधार पर झब्बू को दोषी मानते हुए 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 10,000 रुपये के आर्थिक दंड की सज़ा सुनायी। इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्म स्थली उनके ही गोरखपुर नगर में एक हुक्का बार में एक युवती के साथ सामूहिक बलात्कार की वारदात हुई थी। बीती 27 जनवरी को ही मुज़फ़्फ़रनगर में भी एक कैफे में एक 15 वर्षीय 10वीं की छात्रा का सामूहिक बलात्कार किया गया। मुज़फ़्फ़रनगर में ही फरवरी के पहले सप्ताह में एक अन्य नवविवाहिता के साथ सामूहिक बलात्कार करके उसकी हत्या कर दी गयी। 30 जनवरी को भगवान राम की नगरी में एक मंदबुद्धि युवती से सामूहिक बलात्कार करके अज्ञात लोगों ने उसे इतना पीटा कि उसकी पसलियाँ तक टूट गयीं। 2 फरवरी को उसका शव मिला। पुलिस इस घटना को दबाने के प्रयास में लगी रही। अयोध्या में ऐसे जघन्य अपराध की घटना बताती है कि प्रदेश में राम राज्य की बात एक जुमला ही है। 29 जनवरी को शाहजहांपुर में एक छात्रा का अपहरण करके अपराधियों ने सामूहिक बलात्कार करके उसके अश्लील वीडियो बना लिये। अपराधियों ने छात्रा को धमकाते हुए घटना के बारे में किसी को न बताने एवं बुलाने पर चले आने को कहकर छोड़ दिया। घटना की जानकारी पुलिस को हुई, तो अपराधियों की गिरफ़्तारी के लिए दबिश दी गयी मगर अपराधियों ने पुलिस पर ही गोलियाँ चला दीं। मुठभेड़ में पुलिसकर्मी भी घायल हो गये; मगर अपराधी पकड़े गये। अपराधियों के इतने बुलंद हौसले बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में आपराधिक घटनाएँ नहीं रुकी हैं एवं राम राज्य कहीं नहीं है। ये केवल कुछ ही बलात्कार की घटनाएँ हैं। प्रदेश में हर प्रकार के अपराध की घटनाएँ हर दिन घटित हो रही हैं।

बुलडोज़र से समर्थक भी तंग

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के उपरांत भी उत्तर प्रदेश में बुलडोज़र कार्रवाई नहीं रुक रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि बुलडोज़र बाबा के नाम से प्रसिद्ध हो चुके प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुलडोज़र एवं एनकाउंटर को अपनी न्याय नीति का प्रमुख हथियार मानते हैं। यही कारण है कि उनका बुलडोज़र न इलाहाबाद उच्च न्यायालय की आपत्ति पर रुका एवं न सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के उपरांत रुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासन में पुलिस एनकाउंटर को लेकर भी आपत्तियाँ दर्ज हुई हैं; मगर उस पर भी रोक नहीं लगी है। एक भाजपा नेता नाम प्रकाशित न करने की विनती करते हुए कहते हैं कि योगी जनता को डराकर स्वयं को शक्तिशाली घोषित करना चाहते हैं। उनकी बुलडोज़र एवं एनकाउंटर नीतियाँ अनेक अपराधियों को डराने के नाम पर चर्चित अवश्य हुई हैं; मगर आम जनता में इसका संदेश अच्छा नहीं गया है।

बुलडोज़र केवल अपराधियों के घरों, व्यावसायिक केंद्रों एवं अवैध निर्माणों पर ही नहीं चल रहा है, वरन् सरकार के विरुद्ध हुंकार भरने वालों के घरों एवं व्यावसायिक केंद्रों पर चलने के आरोप लग रहे हैं। यह भी नहीं है कि बुलडोज़र केवल भाजपा के पक्ष में खड़े होने वालों के अवैध निर्माण ढहा रहा है। कई गाँवों में देखा गया है कि ग्राम सभा की भूमि पर अवैध निर्माण करने वाले कई भाजपा समर्थकों को भी बुलडोज़र कार्रवाई में छोड़ा नहीं गया है। भाजपा के पक्ष में बोलने एवं मतदान करने वाले दो ऐसे ही व्यक्तियों तुलाराम एवं कोमिल प्रसाद के उन निर्माणों को भी तोड़ने के लिए नाप लिया गया है, जो ग्राम सभा की भूमि पर बने हुए बताये जाते हैं। तुलाराम कहते हैं कि उन्होंने अपने घेर का निर्माण ग्रामसभा की भूमि पर अवश्य कराया है; मगर वह ग्रामसभा की भूमि उन्हें घर बनाने के लिए वर्षों पहले पट्टे पर मिली थी। कोमिल प्रसाद कहते हैं कि उनका घर तो उनके खेत में बना हुआ है फिर भी उसे तोड़ने के लिए सरकारी अधिकारी नापकूत करके ले गये हैं। गाँव के दूसरे लोग कहते हैं कि कोमिल प्रसाद ने अपना घर खेत में ही बनाया है; मगर सड़क किनारे की सरकारी भूमि को भी पाटकर उन्होंने घर सड़क किनारे बनाया है। इन दोनों लोगों के निर्माण अवैध हैं अथवा वैध यह बिना आधिकारिक घोषणा के नहीं कहा जा सकता; मगर दोनों ही लोग भाजपा के कट्टर समर्थक हैं। अब जबसे उनके निर्माणों पर बुलडोज़र चलने की बात सामने आयी है, भाजपा एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीतियों को लेकर दोनों के सुर बदल गये हैं।

उर्दू पर प्रहार का विरोध

बीते दिनों उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी ने उर्दू को कठमुल्लापन की भाषा बताकर विवाद मोल ले लिया है। उर्दू लखनऊ की तहज़ीब वाली भाषा मानी जाती है एवं पूरे प्रदेश में उर्दू के शब्दों का अपनी स्थानीय भाषा एवं हिंदी में सम्मान के साथ सभी लोग उपयोग करते हैं। स्वयं योगी आदित्यनाथ उर्दू का विरोध करते हुए उर्दू के शब्द बोल रहे थे। उन्होंने विधानसभा में एक शायरी भी पढ़ी जो उर्दू की थी। मगर वह उर्दू को मुसलमानों की भाषा एवं उसका अपमान करके फँस गये हैं। उर्दू के प्रति उनकी इस घृणा पर मुसलमान तो फिर भी कम बोल रहे हैं, हिंदू उनको संकीर्ण मानसिकता से ग्रस्त घृणा फैलाने वाला मुख्यमंत्री बता रहे हैं। एक साहित्यकार कहते हैं कि पहली बात तो उर्दू भारतीय भाषा है एवं आम बोलचाल की भाषा का अभिन्न अंग है। दूसरी बात यह एक मीठी ज़ुबान है, जिसके बिना काम चल ही नहीं सकता। मगर योगी आदित्यनाथ को हिंदुत्व के नाम पर राजनीति करनी है एवं उन्हें हिंदुओं का नेता बनने का भूत सवार है; वह भी घृणा फैलाकर, अच्छे काम करके नहीं। ऐसे में उन्हें कौन पसंद करेगा?

संगम के जल पर विवाद

प्रयागराज में महाकुंभ स्नान के बीच संगम में त्रिवेणी के जल को न नहाने योग्य बताने वाली केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भड़क गये हैं। वह उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी पर बरसने के उपरांत त्रिवेणी के जल को नहाने योग्य न बताने वाली रिपोर्ट को लेकर भी भड़क गये। वह कहते हैं कि महाकुंभ में संगम का जल पूर्णत: स्नान करने योग्य है एवं आचमन करने योग्य भी है। संगम के जल में ऑक्सीजन की मात्रा आठ से नौ तक है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण बोर्ड लगातार जल स्वच्छ करने की दिशा में कार्य कर रहा है। इसकी पुष्टि के लिए उन्होंने महाकुंभ में बड़े-बड़े लोगों के स्नान करने की बात कही। मुख्यमत्री योगी आदित्यनाथ ने आरोप लगाया कि महाकुंभ को बदनाम करने की साज़िश चल रही है। झूठे वीडियो चल रहे हैं।

विदित हो कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने संगम के जल के कई नमूने लेकर परीक्षण किया था, जिसकी रिपोर्टर 03 फरवरी को उसने राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण को सौंपी थी। इस रिपोर्ट में कहा था कि गंगा-यमुना के पानी में तय मानक से कई गुना फ़ीकल कोलीफार्म बैक्टीरिया हैं। इसके उपरांत 18 फरवरी को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट को अनुचित बताते हुए एक नयी रिपोर्ट सौंपी। इसके बाद राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जल के पुनर्परीक्षण की नयी रिपोर्ट माँगी है।