क्रिकेट में कोचिंग घोटाला !

– आईसीसी तक है दलालों की पहुँच, बनवा देते हैं कोचिंग प्रमाण-पत्र

इंट्रो-

पिछले वर्षों के मैच फिक्सिंग जैसे घोटालों की गूँज अभी तक क्रिकेट जगत में सुनायी देती है। अब क्रिकेट जगत एक और संकट का सामना कर रहा है, जिसमें कुछ दलाल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) कोचिंग प्रमाण-पत्र दिलवाते हैं। ‘तहलका’ एसआईटी ने अपनी इस पड़ताल में कुछ दलालों से नक़ली ग्राहक बनकर आईसीसी कोचिंग प्रमाण-पत्र लेने की बात की, जिसमें बड़े पैमाने पर इस धोखाधड़ी का ख़ुलासा हुआ है। ये दलाल आईसीसी कोचिंग प्रमाण-पत्र दिलवाने का दावा करने के साथ-साथ नौकरी का दिलासा भी दे रहे हैं। इसी ख़ुलासे को लेकर तहलका एसआईटी की रिपोर्ट :-

आपको चयन प्रक्रिया या परीक्षा के बारे में चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है। मैं भारत में बैठकर इसका ख़याल रखूँगा। आमतौर पर प्रमाण-पत्र परीक्षा के तीन महीने बाद जारी किये जाते हैं। लेकिन मैं आपके पाठ्यक्रम पूरा करने के तुरंत बाद फोन पर व्यवस्था कर दूँगा। मैंने पहले ही इस तरह से दो प्रमाण-पत्र प्राप्त कर लिये हैं; एक मेरे छोटे भाई के लिए और दूसरा एक रिश्तेदार के लिए। लेकिन मैं केवल आपके किसी क़रीबी के लिए प्रमाण-पत्र सुरक्षित करूँगा; किसी अन्य के लिए नहीं। अन्यथा लोग मुझ पर इससे लाभ कमाने का आरोप लगा सकते हैं।’

यह बात तहलका रिपोर्टर से एक बिचौलिये (दलाल) उस्मान (जिसे अपना पहला नाम ही पसंद है), जो स्थानीय क्रिकेटर और खेल मैदान तैयार करने में शामिल है; ने कही। दिल्ली में रहने वाले उस्मान का दावा है कि उसके पास ऐसे संपर्क हैं, जो उसे दुबई में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) मुख्यालय से सीधे आईसीसी लेवल-1 क्रिकेट कोचिंग प्रमाण-पत्र बनवाकर देते हैं।

उस्मान का दावा है कि उसने कई साल पहले ऐसे दो प्रमाण-पत्रों की व्यवस्था की थी; एक अपने भाई के लिए और दूसरा अपने रिश्तेदार के लिए। उस्मान के अनुसार, उन प्रमाण-पत्रों के आधार पर यह जोड़ी अब भारत में क्रिकेट कोच के रूप में कार्यरत है। उस्मान ने ‘तहलका’ रिपोर्टर से ये चौंकाने वाले दावे किये, जो उससे एक (नक़ली) ग्राहक बनकर मिले थे। बिचौलियों के इस ग़ैर-क़ानूनी काम के ख़ुलासे के लिए ‘तहलका’ रिपोर्टर ने क्रिकेट का मैदान तैयार करने के काम के लिए अपने एक काल्पनिक व्यक्ति को आईसीसी प्रमाण-पत्र दिलाने के लिए उस्मान और उसके साथियों से बातचीत की।

बता दें कि आईसीसी साल में दो बार लेवल-1, लेवल-2 और लेवल-3 के लिए क्रिकेट कोचिंग शिक्षा पाठ्यक्रम आयोजित करता है। लेवल-1 विकास पर केंद्रित है और सबसे छोटे स्तर पर काम करने के लिए योग्यता प्रदान करता है। लेवल-2 लेवल-1 से ऊपर बनता है और मध्य स्तर का प्रतिनिधित्व करने का मौक़ा देता है। अंत में लेवल-3 उच्चतम स्तर पर क्रिकेट की कोचिंग पर ध्यान केंद्रित करने का मौक़ा देता है और सबसे उच्च स्तर के लिए होता है। उस्मान ने दावा किया कि सन् 2017 में उसने अपने भाई और एक रिश्तेदार के लिए लेवल-1 क्रिकेट कोचिंग कोर्स की व्यवस्था करने के लिए दुबई में आईसीसी मुख्यालय में अपने सम्बन्धों का लाभ उठाया था। उस्मान ने दावा किया कि उसने उनका (अपने दोनों सम्बन्धियों का) चयन और परीक्षा की सफलता का काम सुनिश्चित किया। उसने कहा कि अब अगर हम उन्हें क्रिकेट मैदान तैयार करने का ठेका सौंपते हैं, तो वे हमारे उम्मीदवार के लिए भी यह वादा करते हैं। उस्मान के अनुसार, हमें (रिपोर्टर को) बस अपने प्रतियोगी को एक सप्ताह के लिए दुबई भेजना है, जो कि लेवल-1 कोर्स पूरा करने के लिए आवश्यक अवधि है और बाक़ी काम वह ख़ुद कर लेगा।

आईसीसी क्रिकेट के लिए वैश्विक शासकीय निकाय के रूप में कार्य करती है, जो 108 सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व करती है। इसकी प्राथमिक ज़िम्मेदारियों में खेल का प्रबंधन करना और दुनिया भर में क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए सदस्य देशों के साथ सहयोग करना शामिल है। अपने प्रयासों के तहत आईसीसी दुनिया भर में कोच, अंपायर, स्कोरर और पिच क्यूरेटर के विकास को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक प्रशिक्षण और शिक्षा कार्यक्रम प्रदान करता है। इस कार्यक्रम का एक महत्त्वपूर्ण घटक आईसीसी कोचिंग कोर्स लेवल-1 है। यह पाठ्यक्रम प्रतिभागियों को नये और शुरुआती खिलाड़ियों के लिए क्रिकेट सत्र आयोजित करने के लिए आवश्यक तकनीकी ज्ञान प्रदान करता है। हालाँकि लेवल-1 कोर्स में दाख़िला लेने से पहले इच्छुक कोचों को आईसीसी कोचिंग फाउंडेशन सर्टिफिकेट सफलतापूर्वक पूरा करना होता है।

लेवल-1 पाठ्यक्रम में छ: मॉड्यूल शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक में कोचिंग की आवश्यकता होती है। प्रत्येक मॉड्यूल के अंत में प्रतिभागी का मूल्यांकन होता है और उसे अगले चरण में प्रगति के लिए उत्तीर्ण होने के लिए 75 प्रतिशत अंकों का लक्ष्य पाना होता है। सभी मॉड्यूल और मूल्यांकन के सफल समापन पर प्रतिभागियों को समापन प्रमाण-पत्र प्राप्त होता है, जो आधिकारिक तौर पर उन्हें आईसीसी-प्रमाणित कोच के रूप में मान्यता देता है। उस्मान, जिससे ‘तहलका’ रिपोर्टर ने कोचिंग प्रमाण-पत्र मिलने की हक़ीक़त जानने के लिए उससे मुलाक़ात की थी; ने दावा किया कि वह प्रमाणन प्रक्रिया में हेरफेर कर सकता है। उस्मान ने दावा किया कि उसने दो आईसीसी कोचिंग प्रमाण-पत्र प्राप्त किये हैं- एक अपने भाई के लिए और दूसरा एक रिश्तेदार के लिए। इस प्रकार वे आईसीसी-प्रमाणित कोच बनने में सक्षम हुए। अब उस्मान ने ‘तहलका’ रिपोर्टर के काल्पनिक उम्मीदवार के लिए इस उपलब्धि को दोहराने का वादा किया।

आईसीसी लेवल-1 कोचिंग प्रमाण-पत्रों को ठीक करने का विषय उस्मान के साथ हमारे रिपोर्टर की बातचीत के केंद्र में था। हमारे रिपोर्टर की प्रारंभिक बैठक से ही, उस्मान ने उन्हें आत्मविश्वास से आश्वासन दिया कि वह दुबई में अपने ख़ास स्रोत से संपर्क करके हमारे (काल्पनिक) प्रतिभागी के लिए कोचिंग प्रमाण-पत्र सुरक्षित कर सकता है।

रिपोर्टर : होती सिर्फ़ दुबई से ही है?

उस्मान : हाँ; पहले दूर था, अब इन्होंने दुबई, …मेन ब्रांच दुबई में बना ली है। …पहले लंदन में था।

रिपोर्टर : आईसीसी का?

उस्मान : पहले लंदन में था, अब दुबई में ब्रांच खोली है। …तो वहाँ जाना पड़ेगा। तीन-चार दिन रहना पड़ेगा वहाँ पर, …वो मैं करा दूँगा। उसमें कोई दिक़्क़त नहीं है।

रिपोर्टर : वहाँ क्या होता है?

उस्मान : एग्जाम होता है। वो मैं निकलवा दूँगा। यहाँ से बैठे-बैठे निकलवा दूँगा। …परेशान मत हो।

अब उस्मान ने न केवल हमारे लिए आईसीसी लेवल-1 क्रिकेट कोचिंग प्रवेश परीक्षा तय करने का वादा किया, बल्कि हमें यह भी आश्वासन दिया कि हमें आईसीसी की मानक तीन महीने की प्रतीक्षा अवधि को दरकिनार करते हुए पाठ्यक्रम पूरा करने के तुरंत बाद कोचिंग प्रमाण-पत्र प्राप्त होगा।

रिपोर्टर : कितने दिन रहना पड़ेगा?

उस्मान : मेरे ख़याल से 5-6 दिन रहना पड़ेगा। …वो हैंड-टू-हैंड (हाथोंहाथ) आपको सर्टिफिकेट भी दे देंगे।

रिपोर्टर : अच्छा! वैसे प्रोसीजर (प्रक्रिया) क्या है?

उस्मान : प्रोसीजर है तीन महीने में सर्टिफिकेट देते हैं। पर मैं फोन कर दूँगा, …हैंड-टू-हैंड सर्टिफिकेट दे देंगे; …वो आपको सर्टिफिकेट दे देंगे। आप बस बैग में रखकर लाइएगा।

उस्मान ने आगे ख़ुलासा किया कि वह दुबई में आईसीसी में अपने स्रोत को बुलाएगा, यह सुनिश्चित करते हुए कि कोई भी हमारे उम्मीदवार से कई सवाल नहीं पूछेगा। उसने बताया कि एक चार-व्यक्तियों का पैनल, जिसमें इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, भारत और संयुक्त अरब अमीरात के प्रतिनिधि शामिल हैं; कोचिंग नौकरी के लिए हमारे (काल्पनिक) प्रतिभागी की जाँच करेंगे। हालाँकि उस्मान ने कहा कि उसके यूएई प्रतिनिधि से संपर्क हैं, जो यह सुनिश्चित करेगा कि हमारा प्रतिभागी आसानी से उत्तीर्ण हो जाए। उसने हमारे रिपोर्टर को आश्वासन दिया कि आईसीसी प्रबंधन के भीतर अपने सम्बन्धों का लाभ उठाकर प्रमाण-पत्र बिना किसी समस्या के सौंप दिया जाएगा।

उस्मान : वो आपसे ज़्यादा नहीं पूछेंगे। मैं फोन कर दूँगा। (आगे बोलते हुए)…लेकिन वहाँ पर लंदन का भी, इंग्लैंड का कोच आता है। …चार जगह के लोग होते हैं। एक लंदन का था, एक आस्ट्रेलिया का था, एक यूएई का था, और एक इंडियन था। पहले जो थे xxxxx भाई, वो भी हैं; …उनसे भी काम करवा दूँगा। तो आपको सर्टिफिकेट हैंड-टू-हैंड दे दूँगा।

रिपोर्टर : xxxxx भाई आईसीसी में हैं?

उस्मान : आईसीसी में हैं वो, पहले xxxxx थे यूएई के; अब वो मैनेजमैंट हैं आ गये हैं।

अब उस्मान ने ख़ुलासा किया कि कैसे वह आईसीसी लेवल-1 कोचिंग परीक्षा में अपने भाई दानिश के लिए ग्रेड-ए हासिल करने में कामयाब रहा, जिसे हासिल करना काफ़ी मुश्किल है। उसने बताया कि आईसीसी प्रतियोगियों की परीक्षाओं के लिए एक ग्रेडिंग प्रणाली का पालन करता है, जिसमें सम्बन्धित पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद प्रतियोगियों को ग्रेड-ए, ग्रेड-बी और ग्रेड-सी दिये जाते हैं। ग्रेड-ए सर्वोत्तम प्रदर्शन का प्रतिनिधित्व करता है, ग्रेड-बी उसके ठीक नीचे है, और ग्रेड-सी बहुत ख़राब है। उस्मान के अनुसार, आईसीसी केवल ग्रेड-ए और ग्रेड-बी हासिल करने वाले उम्मीदवारों को प्रमाण-पत्र जारी करता है; लेकिन ग्रेड-सी वाले उम्मीदवारों को नहीं। उसने अपने छोटे भाई दानिश के लिए ग्रेड-ए हासिल करने का दावा किया और हमारे उम्मीदवार के लिए भी ऐसा ही करने का वादा किया।

रिपोर्टर : तो ये पास कैसे करते हैं?

उस्मान : पास मैं करवा दूँगा। आप क्यूँ टेंशन ले रहे हो?

रिपोर्टर : नहीं, दूसरे लोगों को कैसे पास करते हैं? आप तो अपने हो, करवा दोगे…।

उस्मान : बाक़ी सब जो हैं ना! ये मान लीजिए टेस्ट दे रहे हैं वो, …उनके वहाँ ग्रेड सिस्टम है। अगर ग्रेड-सी है, तो आप क्वालीफाई नहीं कर पाओगे। ग्रेड-ए है, तो अच्छा है। निकाल देते हैं। बी में भी वो निकाल देते हैं। लेकिन सी वाले को नहीं निकालते। ये समझ लीजिए 50-60 हज़ार रुपीज आपके फिर आपको दोबारा देना पड़ेगा।

रिपोर्टर : ग्रेड-सी वाले को नहीं निकालते?

उस्मान : नहीं, वो सर्टिफिकेट नहीं इश्यू करेंगे।

रिपोर्टर : ग्रेड-बी वाले को?

उस्मान : दे देंगे।

रिपोर्टर : ग्रेड-ए वाले…?

उस्मान : ग्रेड-ए वाले हो, तो आप नेक्स्ट लेवल पर जाओगे, तो उसके लिए और आसानी हो जाएगी।

रिपोर्टर : तो ये आप करवा दोगे?

उस्मान : करवा दूँगा।

रिपोर्टर : ग्रेड-ए का सर्टिफिकेट दिलवा दोगे?

उस्मान : कोशिश करूँगा, थोड़ा दिमाग़ लगाना पड़ेगा। क्योंकि दो और होते हैं वहाँ लंदन…, और पता नहीं कौन होगा…!

रिपोर्टर : दानिश भाई किससे पास हुए हैं?

उस्मान : ग्रेड-ए से; …ग्रेड-ए से करवा दिया था मैंने। …फिर वो जानते भी थे पहले से।

उस्मान के अनुसार, आईसीसी लेवल-1 कोचिंग प्रमाणपत्र प्राप्त करना एक डिग्री हासिल करने के समान है, जो उम्मीदवार के लिए रोज़गार के प्रचुर अवसर खोल सकता है। उन्होंने ग्रेड-ए प्रमाण-पत्र के महत्त्व पर प्रकाश डाला और इस बात पर ज़ोर दिया कि यह नौकरी की संभावनाओं को महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ाता है। इसके अतिरिक्त उस्मान ने उल्लेख किया कि लेवल-1 प्रमाण-पत्र को पूरा करना भारत के भीतर लेवल-2 प्रमाणन को आगे बढ़ाने की क्षमता के साथ आगे की योग्यता और उच्च वेतन के लिए आगे का एक क़दम है।

उस्मान : लेवल-ए के सर्टिफिकेट में अपने आपमें एक बात होती है। …आप ये समझ लीजिए, आपको डिग्री जा रही है।

रिपोर्टर : इससे सैलरी भी मिल जाती होगी, जहाँ आप कोचिंग दे रहे हो?

उस्मान : हाँ; एक बात और बता दूँ, …अगर आपको नौकरी करनी है; लेवल-1 करिए। फिर मैं आपको बताऊँगा छ: मंथ का कोर्स होता है; वो यहीं हो जाएगा आपका इंडिया में। …वो आप कर लेंगे और लेवल-2 कर लीजिएगा। …कोई नहीं रोक सकता आपको किसी भी इंस्टीट्यूट में।

अब उस्मान ने ‘तहलका’ रिपोर्टर को एक बार फिर आश्वासन दिया कि वह सुनिश्चित करेगा कि हमारा उम्मीदवार आईसीसी लेवल-1 क्रिकेट कोचिंग परीक्षा में उत्तीर्ण हो। उन्होंने ख़ुलासा किया कि उन्होंने पहले दो आईसीसी लेवल-1 कोचिंग सर्टिफिकेट तय किये थे, एक उनके भाई दानिश के लिए और दूसरा एक रिश्तेदार के लिए। हालाँकि उस्मान ने इस बात पर ज़ोर दिया कि वह मुनाफ़ाख़ोरी की धारणा से बचने के लिए केवल उन लोगों की मदद करना चाहेंगे, जो हमारे क़रीब हैं। उन्होंने उम्मीदवार के लिए बुनियादी समझ के महत्त्व का भी उल्लेख किया और ज़रूरत पड़ने पर अतिरिक्त कोचिंग लेने का सुझाव दिया।

रिपोर्टर : लेकिन ऐसा न हो, ये बंदा पास न हो? …ये आपकी ज़िम्मेदारी है।

उस्मान : ये मेरी ज़िम्मेदारी है; मगर आप भेजिए तो सही एक बार। …लेकिन थोड़ी बेसिक्स समझा दीजिए; अगर नहीं हैं तो 2-3 दिन दे दीजिए, ताकि कोई समझा देगा। …(और जानकारी देते हुए), वैसे कोचिंग करने की ज़रूरत ही क्या है?

रिपोर्टर : नहीं, मैंने बताया ना मेरे भाई का है।

उस्मान : हाँ; तो फिर कर लीजिए। जो बिलकुल ख़ास हो ना, उसी का लेना। अभी मैंने भाई का कराया है और एक लड़का और है; उसका। बाक़ी लोगों को मैं मना ही कर देता हूँ। किसी के दिमाग़ में ये ना आ जाए कि हम पैसा कमा रहे हैं।

रिपोर्टर : वो लड़का भी ख़ास ही है आपका?

उस्मान : वो मेरी फूफी (बुआ) का लड़का है।

रिपोर्टर : बन गया या बनवाओगे?

उस्मान : बन गया। वो दुबई चला गया।

रिपोर्टर : वो ही सेटिंग से?

उस्मान : हाँ; पर ये दोनों खेले हैं भाई! वो भी यूनिवर्सिटी खेला हुआ है। वो भी आगरा से है।

रिपोर्टर : हमें मिलाकर तीन लोग हो जाएँगे? इस सर्टिफिकेट के बिना पर नौकरी मिल जाएगी?

उस्मान : बिलकुल; आईसीसी में। …मैं तो ये कहूँगा, इसको करने के बाद एक कोर्स है, वो कर लेना। उसके बाद ना अच्छे स्कूल में, कॉलेज में नौकरी मिल जाएगी।

रिपोर्टर : वो तो इंडिया में ही होगा ना! दूसरा कोर्स?

उस्मान : हाँ।

उस्मान ने ख़ुलासा किया कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए ख़ुद दुबई गये थे कि उनके भाई दानिश को बिना किसी परेशानी के आईसीसी लेवल-1 कोचिंग सर्टिफिकेट मिले। हालाँकि उन्होंने यह भी कहा कि जहाँ उन्होंने सब कुछ व्यवस्थित किया, वहीं दानिश के पास आवश्यक कौशल भी थे।

रिपोर्टर : आपने ही बनवाया दानिश का सर्टिफिकेट आईसीसी का?

उस्मान : हाँ; मैं साथ में ही गया था। मैंने ही करवाया था।

रिपोर्टर : पूरी सेटिंग आपने करवायी?

उस्मान : हाँ; बाक़ी उसको आता भी था।

इसके बाद ‘तहलका’ रिपोर्टर की उस्मान से दूसरी मुलाक़ात हुई, इस बार वह अपने भाई मोहम्मद दानिश के साथ मिला, जिसने उस्मान की मदद से दुबई से आईसीसी लेवल-1 कोचिंग प्रमाण-पत्र हासिल किया था। इस बैठक के दौरान उस्मान ने हमें बताया कि कोचिंग पाठ्यक्रम के लिए आवेदन करने के लिए प्रतिभागियों को विश्वविद्यालय स्तर पर क्रिकेट खेला होना चाहिए। जब रिपोर्टर ने बताया कि हमारे उम्मीदवार ने केवल स्कूल स्तर पर खेला है; तो उस्मान ने हमें आश्वासन दिया कि वह विश्वविद्यालय स्तर के क्रिकेट अनुभव को दिखाने में हमारे (काल्पनिक) प्रतियोगी की मदद करने के लिए फ़ज़ीर् दस्तावेज़ों की व्यवस्था कर सकता है। इस तरह हमारा प्रतियोगी अभी भी आईसीसी लेवल-1 क्रिकेट कोचिंग प्रमाणन के लिए आवेदन कर सकता है।

उस्मान : बस यहीं बैठे-बैठे काम करवा दूँगा आपका। …आप टेंशन मत लो।

रिपोर्टर : आप काग़ज़ का इंतज़ाम करवा दो, काग़ज़ नहीं है यूनिवर्सिटी वाले।

उस्मान : मैं बात करता हूँ। टेंशन मत लो। …आप मुझे मेल तो करो। मुझे फोन आया था xxxx  भाई का; …बोले थे- नौकरी करनी है। सेम डे दिलवाया था, उसी दिन मैनेजमेंट से…। वो बस मुझे ना! आप मेल कर दो; स्कूल के सर्टिफिकेट भी मुझे मेल कर दो। उसके हिसाब से मैं कुछ करता हूँ मैनेज…।

आईसीसी-प्रमाणित कोच दानिश ने अब ‘तहलका’ रिपोर्टर को आईसीसी की आंतरिक कार्यप्रणाली के बारे में समझाया, और इस बात पर प्रकाश डाला कि साक्षात्कार पारंपरिक साक्षात्कारों के बजाय एक बोर्ड द्वारा आयोजित किये जाते हैं।

उन्होंने आश्वासन दिया कि उस्मान सीधे आईसीसी को प्रभावित करके हमारे उम्मीदवार को पास कराना सुनिश्चित करेगा। उस्मान ने प्रमाणन प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए हमारे उम्मीदवार की तस्वीर आईसीसी को भेजने का प्रस्ताव रखा।

रिपोर्टर : आपके टाइम में कितने लोग थे?

दानिश : 24 ही होते हैं।

रिपोर्टर : नहीं, नहीं; जो इंटरव्यू ले रहे थे, कितने लोग थे?

दानिश : वो बेसिकली इंटरव्यू नहीं लेते, वो बोर्ड में बढ़ाते हैं। …आपको प्रैक्टिकल कराते हैं। समझाएँगे, फिर जैसे आप एंट्री करोगे ना! आपका नाम होगा। आपको समझाएँगे। नीचे आके आपको डेमो देना है।

रिपोर्टर : पास की गारंटी उस्मान भाई ले रहे हैं?

उस्मान : उसकी टेंशन मत लो; …मैं फोन कर दूँगा।

दानिश : हाँ; ये फोन कर देंगे, …हो जाएगा काम।

उस्मान : आपको कुछ न तो बात करनी है, न कुछ करना है। मैं यहाँ से फोटो भेज दूँगा और उनसे कह दूँगा- ये बंदा है। ये नाम है। अब आपको सर्टिफिकेट देकर ही भेजेंगे। हैंड-टू-हैंड देकर ही भेजेंगे।

अब तहलका रिपोर्टर ने उस्मान से उसके इस धंधे के तीसरे पार्टनर राजबीर के साथ दिल्ली के एक पाँच सितारा होटल में एक बैठक की व्यवस्था की। उस्मान और राजबीर खेल मैदान तैयार करने में साझेदार के रूप में मिलकर काम करते हैं। राजबीर ने आश्वासन दिया कि वह हमारे उम्मीदवार को उनके संपर्कों के माध्यम से आईसीसी लेवल-1 कोचिंग कोर्स में प्रवेश दिलाएगा। उसने यह भी स्वीकार किया कि उन्होंने (उस्मान और राजबीर ने) अतीत में कई व्यक्तियों को प्रवेश में सहायता की है।

रिपोर्टर : इसमें आपकी क्या सेटिंग है? …मैं ये पूछ रहा हूँ?

राजबीर : एडमिशन में।

रिपोर्टर : अच्छा; आप एडमिशन करवाओगे?

राजबीर : हाँ। पास तो आप हो जाओगे। …दूसरे में आपको पढ़ना पड़ेगा।

रिपोर्टर : अच्छा! कोचिंग में एडमिशन के लिए आपकी सेटिंग है?

राजबीर : हाँ।

रिपोर्टर : एडमिशन ऐसे नहीं होता? …कितने आते हैं एडमिशन में? …आल ओवर वर्ल्ड कितने आते होंगे?

राजबीर : एशिया से 50, एशिया के ही आते हैं।

रिपोर्टर : 50 में से लेते कितने हैं ये?

राजबीर : 50 सीट हैं।

रिपोर्टर : और आते कितने हैं?

राजबीर : आते हैं इतने सारे…,(हाथ से इशारा करते हुए)।

रिपोर्टर : एडमिशन करा रहे हैं लोग?

राजबीर : ऐसी बात नहीं है; कितने लोगों की करायी है।

रिपोर्टर : अच्छा!

क्रिकेट, जिसे अक्सर सज्जनों का खेल माना जाता है; को आज कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। अतीत में ऐसे उदाहरण सामने आये हैं, जब कुछ खिलाड़ी इसकी नेक भावना को बरक़रार रखने में विफल रहे, जिससे कुख्यात मैच फिक्सिंग घोटालों से इसकी प्रतिष्ठा धूमिल हुई। इन घोटालों की गूँज विश्व स्तर पर सुनायी दी, जिसका असर खेल पर पड़ा।

इस कठिन समय के दौरान अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। अपने कर्तव्य को कुशलतापूर्वक निभाते हुए आईसीसी ने यह सुनिश्चित किया कि इस प्रतिष्ठित खेल की छवि को धूमिल करने वाले खिलाड़ियों को न्याय का सामना करना पड़े। हालाँकि ‘तहलका’ द्वारा उजागर किये गये नवीनतम घोटाले में एक अप्रत्याशित मोड़ आता है। इस बार क्रिकेट की छवि ख़राब करने के लिए खिलाड़ी नहीं, बल्कि एजेंट (दलाल) ज़िम्मेदार हैं। सवाल यह है कि क्या आईसीसी इस स्थिति से अवगत है?

क्रिकेट प्रेमियों के रूप में हम आशा करते हैं कि खेल के संरक्षक इसकी अखण्डता को बरक़रार रखेंगे और किसी भी ख़तरे का तुरंत समाधान करेंगे। भ्रष्टाचार और घोटाले के ख़िलाफ़ लड़ाई जारी है और आईसीसी की सतर्कता आवश्यक बनी हुई है। यह ज़रूरी है कि सरकार खेल के भविष्य की सुरक्षा के लिए ‘तहलका’ एसआईटी के इस ख़ुलासे से उठी चिन्ताओं पर ध्यान दे।