सिर्फ़ छ: महीने पहले केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय देश भर में कोचिंग सेंटर्स को विनियमित करने के लिए बुनियादी ढाँचे की आवश्यकताओं, अग्नि शमन, भवन सुरक्षा कोड और अन्य मानकों पर दिशा-निर्देश लेकर आया था। हालाँकि ‘तहलका’ की जाँच से पता चला है कि कोई भी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इन मानदंडों को गंभीरता से नहीं ले रहा है। ‘तहलका’ के विशेष जाँच दल के लिए विचार करने के लिए यह पर्याप्त है कि कैसे कोचिंग सेंटर नियमों का घोर उल्लंघन करते हुए चल रहे हैं। कुछ समय पहले सर्वोच्च न्यायालय ने समान रूप से केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को समन जारी करते समय यह टिप्पणी थी कि कोचिंग सेंटर ‘मृत्यु कक्ष’ बन गये हैं। बीते दिनों राज्यसभा में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी ज़ोर देकर कहा था कि ये केंद्र (कोचिंग सेंटर) गैस चैंबर से कम नहीं हैं।
हाल ही में दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर में आईएएस की तैयारी कर रहे तीन अभ्यर्थियों की डूबने से हुई दर्दनाक मौत और छात्र आत्महत्याओं के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र इस अंक की ‘तहलका’ की आवरण कथा ‘असुरक्षित कोचिंग सेंटर’ यह उजागर करती है कि कैसे ये कोचिंग सेंटर छात्र-छात्राओं की सुरक्षा और कल्याण को सुनिश्चित न करते हुए सरकारी दिशा-निर्देशों का मज़ाक़ उड़ा रहे हैं। शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार द्वारा संसद में दी गयी जानकारी से कोचिंग सेंटर्स के कारोबार में भारी वृद्धि का पता चला कि 2023-24 में कोचिंग व्यवसाय इससे पिछले वर्ष 2022-23 की तुलना में 149 गुना बढ़ गया था। नयी शिक्षा नीति में कोचिंग सेंटर्स पर निर्भरता कम करने वाली प्रणालियाँ पेश करने का दावा किया गया था; लेकिन हुआ इसके ठीक विपरीत।
‘तहलका’ के अंडरकवर रिपोर्टर को कई कोचिंग सेंटर्स के एक मालिक ने बताया कि कैसे सरकारी अधिकारी एक विशेष समय पर औचक निरीक्षण के लिए आते हैं और उसके बाद कोई चेकिंग नहीं होती। अगर कोई निरीक्षण होता भी है, तो कोचिंग मालिक किसी भी कार्रवाई से पहले ही बच निकलने में कामयाब हो जाते हैं। किसी भी कोचिंग सेंटर में 16 वर्ष से कम उम्र के छात्रों के प्रवेश पर रोक लगाने वाले दिशा-निर्देशों का पूर्ण उल्लंघन करने वाले इन कोचिंग सेंटर्स में इस आयु वर्ग के छात्रों की एक बड़ी संख्या देखी जा सकती है। छात्रों की आत्महत्या के बढ़ते मामलों, आग की घटनाओं, कोचिंग सेंटर्स में सुविधाओं की कमी और उनके द्वारा अपनायी जाने वाली शिक्षण पद्धतियों की शिकायतों के बाद इस साल जनवरी में दिशा-निर्देश जारी किये गये थे। आरोप है कि गुरुग्राम में 300 से ज़्यादा कोचिंग सेंटर अग्निशमन विभाग की एनओसी के बिना चल रहे हैं।
जब हमारी टीम आवरण कथा पर काम कर रही थी, कोलकाता में एक सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर की बलात्कार के बाद की गयी हत्या ने देश को झकझोरकर रख दिया। इस घटना से आक्रोशित डॉक्टर्स और मेडिकल छात्रों ने देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया। चौंकाने वाली बात यह है कि अनगिनत डॉक्टर्स मरीज़ों को बचाने के लिए अपनी जान की बाज़ी लगाते हैं; फिर भी चिकित्सा समुदाय असुरक्षित है। इसी दौरान एक और ख़बर सामने आयी कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने सेबी की चेयरपर्सन माधबी बुच और उनके पति पर निशाना साधा है। हिंडनबर्ग एक अमेरिकी निवेश अनुसंधान फर्म है, जिसका फोकस शॉर्ट-सेलिंग पर है। हो सकता है कि वह पूरी तरह से बोर्ड से ऊपर न हो; लेकिन कोई भी आरोपों से आँखें नहीं मूँद सकता।
आइए, इंतज़ार करें और देखें कि ‘तहलका’ की पड़ताल और आसपास के अन्य घटनाक्रमों के बाद सरकार क्या प्रतिक्रिया देती है? आख़िरकार सीज़र की पत्नी संदेह से ऊपर होनी चाहिए। क्या बहुत ज़रूरी सुधार होंगे?