एक दौर था, जब फोटोग्राफी ख़ास अंदाज़ में होती थी। फोटो स्टूडियो में दीवार पर बनी पेंटिंग या पर्दा लगाकर फोटोग्राफी की जाती थी। फोटो खिंचवाने के कई दिन बाद फोटो मिला करते थे। फोटोग्राफर को फोटो बनाने के लिए काफ़ी मेहनत भी करनी होती थी। निगेटिव धोने से लेकर फोटो प्रिंट करने तक की एक ख़ास तकनीक होती थी। धीरे-धीरे फोटो खींचने में निगेटिव का रोल ख़त्म हो गया और फोटो खिंचवाने वालों को फोटो मिलने के इंतज़ार का समय भी कम हुआ। मोबाइल के आने पर फोटोग्राफरों की दुकानों पर जाकर फोटोग्राफी और उसके साथ-साथ वीडियोग्राफी करवाने का क्रेज भी काफ़ी कम हुआ। ये सब लोगों के हाथ में कैमरे आने से तो हुआ ही, अब पिछले एक दशक से मोबाइल आने से और कम हुआ।
पहले जब फोटोग्राफी एक पैशन हुआ करता था, तब कैमरा चलाना एक हुनर माना जाता था और कैमरामैन भी बड़े सलीक़े से सारे एंगल मिलाने के बाद कैमरे का फ्लैश बटन दबाता था, जिसके साथ ही एक फ्लैश लाइट चमकती थी, जो फोटो खिंचवाने वालों को फोटो खिंच जाने के लिए आश्वस्त करती थी। लेकिन कैमरे और मोबाइल हाथ में आने से फोटो खींचने और वीडियोग्राफी हर कोई करना जान गया, भले ही उसे इसकी सही जानकारी हो या न हो। हालाँकि अब भी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी एक पैशन और अच्छा व्यवसाय बना हुआ है। लेकिन ज़्यादातर लोग इसके लिए प्रोफेशनल फोटोग्राफर और वीडियोग्राफर के पास ख़ास मौक़ों पर ही जाते हैं। बाक़ी ज़रूरतें लोग अपने निजी कैमरे, या ज़्यादातर मोबाइल से ही पूरी कर लेते हैं। क्योंकि क़रीब-क़रीब हर हाथ में एंड्रॉयड मोबाइल के आ जाने से हद से ज़्यादा फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी हो रही है। लोगों में मोबाइल से सेल्फी लेने, फोटो खींचने और वीडियो बनाने का क्रेज काफ़ी ज़्यादा है।

एक अनुमान के मुताबिक, भारत में हर रोज़ सिर्फ़ मोबाइलों के ज़रिये क़रीब 450 करोड़ से ज़्यादा फोटो खींचे जा रहे हैं, जबकि 200 करोड़ से ज़्यादा रील बन रही हैं। यानी एक व्यक्ति हर रोज़ औसतन तीन से चार फोटो खींच रहा है और तीन व्यक्ति औसत दो रील बना रहे हैं। हालाँकि ऐसा नहीं है कि भारत में हर व्यक्ति ही फोटो खींच रहा है और हर व्यक्ति रील बना रहा है। लेकिन एंड्रॉयड मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वाले ज़्यादातर लोग हर रोज़ फोटो खींचने, सेल्फी लेने और रील बनाने में लगे हैं। लेकिन इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि भारत में हर रोज़ लोग औसत चार से पाँच घंटे रील देखने में बिता रहे हैं, जो कि चिन्ताजनक स्थिति है।
अब मोबाइल से फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी से भी आगे निकलकर 3डी प्रिंटर और 3डी मूर्ति बनाने की तकनीक आ चुकी है। चीन ने एक ऐसी 3डी मशीन ईजाद की है, जिसमें फोटोग्राफी के स्टूडियो की तरह ही लोगों की फोटो की जगह अपनी मूर्ति बनायी जाती है। ये मूर्ति दो इंच से लेकर पाँच फीट तक की बनायी जा सकती है।
दरअसल, चीन ने जो 3डी प्रिंटिंग मशीन बनायी है, उसके दो भाग हैं। एक भाग में 3डी प्रिंटर किसी भी व्यक्ति की हू-ब-हू मूर्ति बनाने का काम करता है और दूसरे भाग में एक गोल रोलिंग रूम होगा, जो अपनी मूर्ति बनवाने वाले व्यक्ति की चारों तरफ़ स्कैनिंग करके 3डी प्रिंटर को व्यक्ति के आकार को पहुँचाने का काम करता है। इस स्कैनिंग रूम के अंदर फ़िलहाल पाँच लोग तक खड़े हो सकते हैं। इस स्कैनिंग रूम के अंदर लोग जिस पोजीशन में खड़े होंगे, उसी पोजिशन में उनकी 3डी मूर्ति बनकर एक घंटे के अंदर मिल जाएगी। इस 3डी मूर्ति में लोगों के हेयर स्टाइल से लेकर पहले हुए जेवरात, कपड़े, जूते-चप्पल और चेहरे के हाव-भाव तक हू-ब-हू बनकर निकलते हैं। अभी चीन द्वारा बनायी गयी 3डी प्रिंटिंग मशीन एक बार में किसी व्यक्ति या लोगों को स्कैन करने में 15 से 20 मिनट का समय लेती है और उनकी 3डी मूर्ति बनाने में एक घंटे के क़रीब समय लगता है। डेढ़-दो साल पहले चीन द्वारा बनायी गयी ये 3डी मशीन शुरू-शुरू में 12 घंटे तक ले रही थी, जिसमें मूर्ति भी उतनी साफ़ नहीं आ पा रही थी, जितनी साफ़ और हू-ब-हू मूर्ति होनी चाहिए। लेकिन चीन के वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत और दिमाग़ का इस्तेमाल करके 3डी प्रिंटिंग मशीन बनाने में ही नहीं, बल्कि चौकाने वाली 3डी प्रिंटिंग मशीन बनाने में जो महारत हासिल की है, उसकी माँग भविष्य में बहुत तेज़ी से बढ़ने वाली है। हालाँकि अभी चीन के वैज्ञानिक इस मशीन पर एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। चीन के वैज्ञानिक चाहते हैं कि वे एक ऐसी 3डी मशीन दुनिया के सामने लेकर आएँ, जो सेकंडों में स्कैनिंग रूम में खड़े व्यक्ति का हुलिया स्कैन करके मिनटों में उसकी हू-ब-हू मूर्ति बना दे। वैज्ञानिक चाहते हैं कि इस 3डी मूर्ति बनाने के समय लोगों के बालों का रंग, पहने हुए कपड़ों का रंग और जूते-चप्पलों का रंग, गहनों का रंग, सब कुछ हू-ब-हू बनाया जा सके।
3डी प्रिंटिंग और एआई के इस दौर में चीन के वैज्ञानिक लोगों की स्कैनिंग करके उनकी मूर्ति बनाने का चमत्कार कर चुके हैं। हालाँकि फोटो से मूर्ति उतनी परफेक्ट नहीं बन सकेगी, जितनी परफेक्ट मूर्ति किसी व्यक्ति को स्कैन करके बन सकती है। सोचिए, जब यह मशीन और डेवलप होगी, तो चलते-फिरते लोगों की मूर्ति भी बना सकेगी। हो सकता है कि भविष्य में सीसीटीवी में रिकॉर्ड लोगों की मूर्तियाँ भी ज़रूरत पड़ने पर बनवायी जा सकें। इसके अलावा खुले मैदान में घूम रहे लोगों या किसी पार्टी में इकट्ठे हुए लोगों की भी 3डी मूर्ति बना सके। अगर यह संभव हो सका, तो पुलिस को अपराधियों को पकड़ने में आसानी हो जाएगी। इसके अलावा लोगों को जब अपनी मूर्ति बनवाने का मौक़ा कहीं भी मिलने लगेगा, तो लोग दीवारों पर अपने फोटो टाँगने से बेहतर अपनी मूर्तियाँ बनवाना उचित समझेंगे।
3डी प्रिंटिंग मशीनें एक तरह के मॉडलिंग सॉफ्टवेयर के साथ काम करती है, जिसमें किसी व्यक्ति या चीज़ को स्कैन करके उसकी 3डी मूर्ति तैयार करती है। फोटो से 3डी मूर्ति बनाने में भी यही तकनीकी प्रक्रिया काम करती है; लेकिन फोटो से 3डी मूर्ति बनाने के लिए मशीन फोटो को अपलोड करके उसके आधार पर एक 3डी मॉडल तैयार करेगी, जिसके बाद उस तस्वीर का आकलन करके मूर्ति बना देगी। हालाँकि फोटो से 3डी मूर्ति बनाने में ज़रूरी नहीं कि व्यक्ति या किसी चीज़ की हू-ब-हू सब कुछ तैयार हो सके, क्योंकि मशीन फोटो का फ्रंट हिस्सा ही स्कैन कर पाएगी, बाक़ी का हिस्सा कल्पना के आधार पर मशीन बनाएगी, जिसके हू-ब-हू होने की गारंटी नहीं दी जा सकती। लेकिन फिर भी यह एक कमाल की तकनीक है, जिसके मार्केट में आते ही धूम मच जाएगी और लोग अपनी 3डी मूर्ति बनवाना चाहेंगे।
3डी मूर्ति बनाने में हाथ से मूर्ति बनाने की अपेक्षा कम ख़र्च आएगा और उससे कम समय में 3डी मूर्ति बनकर तैयार हो जाएगी। 3डी प्रिंटिंग मूर्ति एक तरह के कृत्रिम मैटेरियल से बनेगी, जिसमें प्लास्टिक, सिंथेटिक, पत्थर का पाउडर, चीनी मिट्टी आदि का उपयोग किया जा सकता है। 3डी मूर्ति बनाने के अलावा मूर्ति और तस्वीर कुरेदने के लिए 3डी प्रिंटिंग मशीन प्लास्टिक, धातुओं और पत्थरों का भी उपयोग भी कर सकेगी। यानी इस मशीन के द्वारा पुरातन समय की पत्थरों को काटकर की जाने वाली मूर्तिकला और चित्रकला की तरह ही ये 3डी मशीन मूर्तियाँ बनाएगी और चित्रकला भी कर सकेगी। इसके लिए मशीन समय भी कम लेगी और मूर्तिकला से ज़्यादा सफ़ाई से मूर्ति बना सकेगी।
3डी प्रिंटिंग और 3डी मूर्ति बनाने के अलावा 3डी मशीनों के ज़रिये चीन 3डी सेटेलाइट आसमान में भेजने की तैयारी भी कर रहा है। जानकारी के मुताबिक, साल 2028 तक चीन चांग ई-8 अंतरिक्ष यान लॉन्च करने की योजना भी बना रहा है। हर क्षेत्र में आगे निकलने की कोशिश कर रहा चीन अपने अंतरराष्ट्रीय चंद्र अनुसंधान स्टेशन (आईएलआरएस) से चाँद पर रहने की तरकीबें निकालने के लिए प्रयोग कर रहा है। चीन ने ज़मीन के अलावा चाँद की मिट्टी का उपयोग करके चाँद पर ईंटें बनाने की कोशिश कर रहा है और इसके बाद वह उस मिट्टी से 3डी मूर्ति बनाने की कोशिश करेगा।
चीन चाँद पर अपने नागरिकों को बसाने की कोशिश में लगा है, जिसे लेकर वह परीक्षण भी कर रहा है। अगर चीन इसमें सफल हो जाता है, तो वह चाँद की ज़्यादातर ज़मीन पर चीन क़ब्ज़ा कर लेगा, जिसके चलते चाँद पर भी वह वहाँ रहने या ज़मीन ख़रीदने को शौक़ीन लोगों को ज़मीन बेचने का काम कर सकता है। चीन के वैज्ञानिक, आम लोग 3डी मूर्ति बनाने व 3डी प्रिंटिंग तैयार करने में कामयाब होने पर काफ़ी खुश हैं। चीन जानता है कि आने वाला वक़्त नयी तकनीक और आधुनिकता से भरपूर होगा, जिसमें जल्दी क़दम रखने पर उसे बिना कंपटीशन वाला मार्केट भी मिल सकता है, जिसमें वो अपनी इस तकनीक से ईजाद मशीनों की बिक्री करके अरबों रुपये कमा सकता है। बता दें कि चीन ने दुनिया के हर बाज़ार में अपना दबदबा काफ़ी हद तक बनाया हुआ है, जिसके चलते उसकी जीडीपी बहुत अच्छी है और आर्थिक स्थिति भी बहुत मज़बूत है।