के. रवि (दादा)
महाराष्ट्र में इन दिनों गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के ख़िलाफ़ लोगों में ग़ुस्से का उबाल है। इससे महाराष्ट्र की राजनीति में भी उबाल देखने को मिल रहा है। लोगों के इस ग़ुस्से की दो बड़ी वजह बन चुकी हैं। पहली वजह है महाराष्ट्र के बीड के मसाजोग गाँव के सरपंच संतोष देशमुख का हत्याकांड और दूसरी वजह है गृहमंत्री अमित शाह के बाबा साहेब अंबेडकर के बारे में बोले गये शब्द, जो संसद में उन्होंने बोले थे। अब दोनों ही घटनाओं ने महाराष्ट्र की जनता को देश के गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के ख़िलाफ़ तो कर दिया है, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणनीव की अगुवाई में नवगठित महायुति सरकार के ख़िलाफ़ भी एक माहौल खड़ा कर दिया है।
दोनों मामले इतने तूल पकड़ चुके हैं। गृह मंत्री अमित शाह के ख़िलाफ़ तो मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस कुछ कर नहीं सकते, पर बीड के मसाजोग गाँव के सरपंच संतोष देशमुख के हत्याकांड के आरोपियों के ख़िलाफ़ तो कर ही सकते हैं। पर ऐसा आरोप है कि मुख्यमंत्री इस मामले में लकीर पीटने के अलावा कुछ नहीं कर रहे हैं। उन्होंने सरंपच संतोष देशमुख हत्याकांड मामले में फ़रार आरोपियों की संपत्ति ज़ब्त करने का आदेश सीआईडी के अतिरिक्त महानिदेशक को दिये; पर आरोपियों को पुलिस पकड़ भी नहीं पायी। बाद में राजनीतिक दबाव में आरोपी वाल्मिक कराड ने सरेंडर किया। मुख्यमंत्री फडणवीस ने तो बीड के पुलिस अधीक्षक को सिर्फ़ उन आरोपियों की बंदूकों के लाइसेंस जाँच में पुष्टि होने पर रद्द करने के आदेश दिये थे, जिनके हाथों में वायरल फोटो में बंदूक दिख रही है। होती है, तो उन बंदूकधारियों के बंदूक के लाइसेंस रद्द कर दिये जाएँ। आरोपियों को सज़ा देना और उन्हें दोषी ठहराना पुलिस और न्यायालय का काम है, इसमें मुख्यमंत्री को हस्तक्षेप करके जनता की नज़रों में हीरो बनने की ज़रूरत नहीं है। न्यायालय और पुलिस का यह काम है कि वो मिलकर निष्पक्ष रूप से अपराधियों को सज़ा देने का काम करें। क्योंकि नेताओं के फ़ैसले तो पक्षपात वाले होते हैं। जैसे कि कोई उनकी पार्टी का बंदा ग़लत करता है, तो उसके किये पर पर्दा डालते हैं और कोई दूसरा बंदा ग़लत काम करता है, तो उसका कहीं एनकाउंटर करवा देते हैं और कहीं उसके घर पर बुलडोज़र चलवा देते हैं। अगर वो ऐसा करना भी चाहते हैं, तो उन्हें सभी ग़लत बंदों पर एक जैसी ही कार्रवाई करनी चाहिए। पर इसमें किसी अपराधी के घर वालों को सज़ा भी नहीं दी जा सकती, जब तक कि उसके परिवार वाले उस अपराध में शामिल न हों।
महाराष्ट्र के बीड के मसाजोग गाँव के सरपंच संतोष देशमुख की जो निर्मम हत्या हुई है, वो बहुत ग़लत हुई है, क्योंकि देशमुख के बारे में कहा जाता है कि वह बहुत-ही नेकदिल इंसान थे और सबकी मदद करते थे। उनके अच्छे व्यवहार और मददगार होने के चलते आज लोग उनके हत्यारों को सज़ा दिलाने की माँग कर रहे हैं। विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी के साथ ही कुछ छोटी पार्टियों और स्थानीय लोगों ने भी सरपंच संतोष देशमुख के हत्यारों को सज़ा दिलाने की माँग करते हुए 28 दिसंबर को बीड में एक बड़ी रैली निकाली थी। विपक्ष का आरोप है कि संतोष देशमुख हत्याकांड में ख़ुद भाजपा की अगुवाई वाले महायुति गठबंधन के नेता धनंजय मुंडे के लोग शामिल हैं। इसलिए धनंजय मुंडे, उसके बंदों और महायुति के उन नेताओं के ख़िलाफ़ भी जाँच और कार्रवाई होनी चाहिए, जिन पर आपराधिक मामले हैं। हैरानी की बात है कि सरपंच संतोष देशमुख की हत्या को कुछ ही दिनों में एक महीना हो जाएगा; पर सभी आरोपी पुलिस की गिर$फ्त से बाहर हैं। बीड के लोग लगातार आरोपियों को सज़ा दिलाने की माँग कर रहे हैं।
दूसरी ओर बाबा साहेब आंबेडकर को लेकर गृहमंत्री अमित शाह के संसदीय भाषण में की गयी निंदा टिप्पणी से महाराष्ट्र के साथ साथ दुनिया भर के लोग नाराज़ हैं और यहाँ लगातार जगह-जगह प्रदर्शन करके लोग जुलूस निकाल रहे हैं। गृहमंत्री अमित शाह के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी करके उनसे इस्तीफ़ा माँग रहे हैं। इसी का फ़ायदा उठाते हुए महाअघाड़ी गठबंधन ने महायुति सरकार और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर हमले तेज़ तक कर दिये हैं। अभी कुछ दिन पहले ही नांदेड़ के लोहा विधानसभा क्षेत्र और हिंगोली के कलमनुरी में सार्वजनिक रैलियों में शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र की महायुति सरकार पर जमकर हमला बोला। उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का नाम लिए बिना उन पर पाखंड और भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कहा कि वे हमारे ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हैं। क्या मोदी और शाह के साथ संत हैं? मोदी और शाह की गाड़ी में भ्रष्टाचार के पहिये लगे हुए हैं।