महाराष्ट्र में चलेगी भाजपा की मर्ज़ी

के. रवि (दादा)

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भाजपा ने सबको चौंकाते हुए 232 सीटों को जीतकर अपनी महायुति की सरकार बनाने की राह बना ली। भाजपा ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने का सपना ही पूरा करते हुए महाराष्ट्र के इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी जीत हासिल की है। मुंबई के कोने-कोने में ऐसी चर्चा है कि अब महायुति सरकार अपनी मनमानी करेगी और महाराष्ट्र में अब कई घपले-घोटाले होंगे। फ़िल्म इंडस्ट्री, मछली के व्यवसाय मुंबई के बड़े पैसे कमाने के दो धंधे हैं, जिन पर भाजपा का क़ब्ज़ा बहुत पहले से हो चुका है और अब इन पर भाजपा की ज़्यादा मनमानी चलेगी। इसमें घोटाले हों, तो हैरान नहीं होने का। घोटाले तो पहले भी होते ही रहे हैं। पर सबसे बड़ा घोटाला होगा- एशिया के सबसे बड़ी झोंपड़पट्टी धारावी की ज़मीन उसकी पुनर्विकास योजना के नाम पर हड़प लेना। कोई 20 साल से धारावी के पुनर्विकास में कुछ नहीं हो सका, तो महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने अदाणी ग्रुप के साथ मिलकर इस झोंपड़पट्टी के विकास के नाम पर अपना प्रोजेक्ट शुरू कर दिया।

अभी सर्वे ही पूरा नहीं हो पाया है। आदित्य ठाकरे, राहुल गाँधी और दूसरे कई विपक्षी नेताओं ने इस प्रोजेक्ट को भाजपा की नीयत पर सवाल उठाते हुए धारावी की ज़मीन हड़पने की नीयत वाला प्रोजेक्ट माना है। अभी हाल ही में कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गाँधी ने मुंबई में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके धारावी के पुनर्विकास की योजना को लेकर भाजपा और महायुति सरकार की नीति और नीयत पर सवाल उठाये। उन्होंने एक तिजोरी से दो पोस्टर निकालकर जनता को दिखाये, जिसमें एक पोस्टर में ‘एक हैं तो सेफ हैं’ लिखा था और दूसरे पोस्टर में धारावी की तस्वीर लगी थी। राहुल गाँधी ने दोनों पोस्टर लहराते हुए कहा कि भाजपा धारावी की ज़मीन अडाणी को देना चाहती है। एक हैं तो सेफ हैं का मतलब है कि मोदी, अडाणी, शाह एक हैं, तो सेफ हैं। और नुक़सान जनता का होगा। उन्होंने कहा कि सात लाख करोड़ के कई प्रोजेक्ट्स महाराष्ट्र से छीनकर अन्य राज्यों को दे दिये गये और पाँच लाख लोगों का रोज़गार छीन लिया गया है। उन्होंने साफ़ कहा कि धारावी का भविष्य सुरक्षित नहीं है। राहुल गाँधी की बात को धारावी के लोग जितना समझ सकते हैं उतना कोई और नहीं समझ सकता। हम यह नहीं कहते कि धारावी का विकास नहीं होना चाहिए; मगर यहाँ तो ‘बिल्ली से दूध की रखवाली करायी जाएगी, तो दूध कैसे सुरक्षित रहेगा’ वाली बात है। 12-13 लाख लोगों की बस्ती धारावी पर क़रीब 23,000 करोड़ रुपये ख़र्च होने हैं। अडाणी ग्रुप और महायुति सरकार की योजना है कि यहाँ, जिनकी झोंपड़पट्टियाँ हैं, उन्हें 350 वर्ग फीट एरिया में बने फ्लैट दे दिये जाएँ और बाक़ी ज़मीन पर अडाणी जो मर्ज़ी करें। पहले 01 जनवरी, 2000 से पहले धारावी में बसे लोगों को पक्के फ्लैट देने की योजना थी, पर 2019 में महाविकास अघाड़ी की सरकार बनने से भाजपा की यह योजना थम गयी। सन् 1999 में भाजपा-शिवसेना सरकार ने पहली बार धारावी के पुनर्विकास का प्रस्ताव विधानसभा में रखा था, पर जानकार बताते हैं कि इसमें मलाई लूटने के खेल में भाजपा और शिवसेना में अंदर-ही-अंदर झगड़ा बढ़ने लगा और जब दोनों ने गठबंधन तोड़ लिया, तो भाजपा के मंसूबे पर पानी फिरता दिखायी दिया। पर इससे पहले 2003 में तो इन्हीं पार्टियों की महाराष्ट्र सरकार ने धारावी को इंटीग्रेटेड प्लांड टाउनशिप की तरह विकसित करने के प्रस्ताव को स्वीकार्यता भी दे दी थी। सन् 2011 में कांग्रेस की सरकार ने सभी टेंडर कैंसिल कर दिये और अपना अलग एक मास्टर प्लान बना लिया। इस योजना पर बोलियों का खेल शुरू हुआ, पर बोली को 2019 में पॉवर में आते ही महायुति सरकार ने रिजेक्ट कर दिया।

जब बीच में ही एकनाथ शिंदे शिवसेना तोड़कर महाअघाड़ी सरकार गिराकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे, तो अक्टूबर 2022, में उन्होंने नये टेंडर जारी करके अडाणी ग्रुप को इस झोंपड़पट्टी के पुनर्विकास का ठेका दे दिया। कुछ अड़चन लगी, तो 29 नवंबर, 2022 को फिर बोली के तहत अडाणी ग्रुप को ठेका मिला। इस ठेके में 80 प्रतिशत अडाणी ग्रुप की और 20 प्रतिशत महाराष्ट्र सरकार की हिस्सेदारी है। अब भाजपा की चलेगी और काम अडाणी से ही कराया जाना तय है। इस योजना के तहत तय हुआ है कि जो लोग धारावी के रहने वाले हैं; उन्हें एमएमआर योजना के तहत मुंबई के बाहर 300 वर्ग फीट का घर मिलेगा। हालाँकि इस बात का निर्णय सर्वेक्षण और सरकार के डेटा के आधार पर लिए जाने की बात तय हुई है, पर जब भाजपा की सरकार अपनी-अपनी ही मनमानी करेगी।

समस्या यह है कि हमारे देश के सभी शहरों में झोंपड़पट्टियाँ हैं, पर उनके पुनर्विकास के नाम पर सरकारें अपने मनपसंद ठेकेदारों से मिलकर पैसा बनाती हैं। धारावी कोई आम झोंपड़पट्टी नहीं है, यहाँ हर तरह के काम-धंधे लोगों के चलते हैं और क़रीब-क़रीब हर चीज़ यहाँ बनती है, कपड़े से लेकर खिलौने तक और बहुत तरह की फैक्ट्रियाँ तक यहाँ हैं। लोगों के पुनर्विकास का सीधा मतलब है- उनके रोज़गार भी छिन जाना। धारावी के लोग भी विकास चाहते हैं, पर वो धारावी से उजड़कर नहीं चाहते, ख़ासकर अपने धंधे चौपट नहीं करना चाहते। मेरी धारावी के लोगों की तरफ़ से सरकार से विनती  है कि नयी सरकार इस बात पर भी ध्यान दे।