किसी भी गंदे और फटे कपड़े पहने लाचार से आदमी को देखकर हममें से कितनों का दिल पसीज जाता है और हम सीधे अपनी जेब में हाथ डालकर उसे 10-20 रुपये दे डालते हैं। पर भिखारी के भेष में भीख माँग रहा कोई आदमी भीख देने वाले से भी ज़्यादा अमीर हो सकता है। मुंबई में ऐसे भिखारी बड़ी तादाद में रहते हैं। इन भिखारियों में असली भिखारी कौन है, नक़ली कौन है? इसका पता लगाना किसी के लिए भी आसान नहीं है। मुंबई भिखारियों का ही नहीं, बल्कि भिखारियों की संख्या बढ़ाने वालों के छुपने का भी मुफ़ीद ठिकाना बन चुकी है। अभी कुछ दिन पहले ही मुंबई के रहने वाले भरत जैन को दुनिया का सबसे अमीर भिखारी माना गया, जिसके पास मुंबई में दो फ्लैट, ठाणे में दो दुकानें और लग्जरी गाड़ियाँ भी हैं। मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस या आज़ाद मैदान जैसी जगहों पर भीख माँगने वाले भरत जैन का बाक़ायदा घर परिवार है और उसकी नेटवर्थ तक़रीबन 7.5 करोड़ रुपये से ज़्यादा बतायी जाती है।
भरत जैन के अलावा मुंबई में बड़े रईस भिखारियों में संभाजी काले और लक्ष्मी दास जैसे करोड़पति भिखारी हैं। इन भिखारियों की महीने की कमायी एक प्राइवेट कम्पनी के नौकरीपेशा मैनेजर के बराबर भी हो सकती है। मुंबई में एक शांताबाई नाम की एक भिखारिन ने भीख माँगकर अपनी बेटी और पोते के नाम क़रीब तीन एकड़ ज़मीन ख़रीदी थी। शांताबाई के बारे में तो कहा जाता है कि जब उसके पति की मौत हो गयी, तो उसने भीख माँगने का काम शुरू किया था, पर मुंबई में तो एक से एक पेशेवर भिखारी हैं, जिनका पेशा ही भीख माँगना है। मुंबई में ऐसे भिखारियों की कोई गिनती नहीं है, जिनका धंधा भीख माँगना ही है। लेकिन इन भिखारियों के बीच में ही कई पेशेवर अपराधी बड़ी सुगमता से पुलिस की आँखों में धूल झोंककर छिपे रहते हैं और किसी भिखारी पर दया-माया करके भीख देने वाले लोगों को ऐसा कुछ भी पता नहीं चलता कि भिखारी के भेष में वाक़ई कोई भिखारी है या कोई शातिर अपराधी। कहने को हमारे भारत में भीख माँगना ग़ैर-क़ानूनी है और मुंबई में तो न जाने कितनी ही बार इन भिखारियों को भीख माँगने से रोकने की कोशिश की गयी हैं; लेकिन कोई कामयाबी सरकार या पुलिस प्रशासन को आज तक नहीं मिल सकी है। हालाँकि बॉम्बे प्रिवेंशन ऑफ बेगिंग एक्ट के मुताबिक, सार्वजनिक जगहों पर भीख माँगना एक अपराध है और ये क़ानून कहता है कि ऐसे किसी भी भिखारी को पकड़कर उसके सुधार के लिए पुलिस प्रशासन द्वारा पंजीकृत संस्था में भेजा जाना चाहिए या उसे पहली बार पकड़े जाने पर तीन साल और दूसरी बार या उसके बाद अगली बार पकड़े जाने पर 10 साल तक की जेल की सज़ा हो सकती है। इसके अलावा आपराधिक क़ानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 के तहत किसी भिखारी के भीख माँगने पर उसे 10 साल तक की जेल की सज़ा हो सकती है। इस क़ानून के मुताबिक, अगर कोई भिखारी किसी दूसरे आदमी, बुद्धों या बच्चों से भीख मँगवाता है, तो उसे कड़ी सज़ा हो सकती है। पर यही क़ानून यह भी कह रहा है कि अगर कोई आदमी अपनी मर्जी से भीख माँग रहा है, तो यह अपराध नहीं है।
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मुंबई पुलिस का यह भी मानना है कि अक्सर दयनीय और उपेक्षित लोग ही भीख माँगते हैं। ऐसे लोग आपराधिक गतिविधियों में भी संलिप्त हो जाते हैं। पर इनकी वजह से क़ानून-व्यवस्था पर बुरा असर पड़ता है, इसलिए ऐसे लोगों के साथ-साथ संगठित भिखारी गिरोहों से सख़्ती से निपटना ही पड़ेगा। मुंबई में भिखारियों की बड़ती तादाद को लेकर 2013 में भी मुंबई पुलिस ने अभियान चलाया था। उसके बाद 2017 और 2021 में भी भिखारी भगाओ अभियान चलाकर भिखारियों को भगाने की कोशिश की थी, जिसके तहत हज़ारों भिखारियों को पुलिस ने पकड़ा भी था। मुंबई में यह अभियान बॉम्बे प्रिवेंशन ऑफ बेगिंग एक्ट-1959 के तहत कई बार चलाया गया है। पर मुंबई में भिखारी घटने की जगह हर दिन बढ़ते ही नज़र आ रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक, मुंबई में जितने जेबतराशी और छोटी-मोटी चोरियाँ होती हैं, उनमें से क़रीब 35 फ़ीसदी चोरियों के पीछे भिखारियों का ही हाथ होता है। इसके अलावा जासूसी, बड़े अपराध और पुलिस की मुखबिरी करने के कामों में भी भिखारियों की बड़ी भूमिका होती है। मुंबई पुलिस में जितने केस दर्ज होते हैं, उनमें से कई केस भिखारियों से जुड़े होते हैं। मुंबई को भिखारियों से मुक्त बनाया जाना चाहिए और भिखारियों को पकड़कर किसी काम-धंधे पर लगाना चाहिए। ऐसे भिखारी सम्पूर्ण मुंबई शहर में रस्ते के सिग्नल पर सिद्धिविनायक, मक़दूम शाह बाबा, महालक्ष्मी, इस्कॉन जैसे मंदिर एवं महिम चर्च के बाहर और ज़्यादा पैमाने पर राहगीरों के झुंड वाले रास्तों पर वर्षों से भीख माँगते नज़र आते हैं।
पुलिस प्रशासन अपना काम करता है; पर ख़ासकर जिन बड़े-बड़े धनी मंदिरों के बाहर यह भिखारी पीढ़ी-दर-पीढ़ी भीख माँग रहे हैं, उन्हें भीख माँगने से मनाकर कम-से-कम नौकरी के लिए प्रोत्साहित लगवाने की कोशिश करनी चाहिए, जिससे मुंबई जैसा सुंदर शहर भिखारियों से मुक्त हो सके। ग़ौरतलब है कि शरद शेलर नामक फ़िल्म के निर्माता ने अभिनेता स्वप्निल जोशी को लेके मराठी फ़िल्म बनायी थी, जिस फ़िल्म के विमोचन में सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की ख़ास मौज़ूदगी थी। भिखारी नामक इस फ़िल्म में बॉक्स ऑफिस पर संतुष्टिपूर्ण कमायी की थी।