भारत के लिए उदाहरण बनेगा भिखारी-मुक्त इंदौर !

मध्य प्रदेश का मिनी मुंबई यानी इंदौर की एक प्रमुख पहचान उसकी साफ़-सुथरी सड़कें, गली-मोहल्ले हैं। खुली गाय-भैंस-सांड वाला दृष्य भी यहाँ नज़र नहीं आता। इंदौर को लगातार सातवीं बार सबसे स्वच्छ शहर का पुरस्कार मिला है। 01 जनवरी, 2025 से इंदौर अपनी सबसे स्वच्छ शहर वाली राष्ट्रीय पहचान में एक और पहचान जोड़ने जा रहा है- भारत का पहला भिखारी मुक्त शहर।

नगर प्रशासन ने घोषणा की है कि अगर कोई व्यक्ति 01 जनवरी से भीख माँगता हुआ पाया जाता है, तो उसके ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की जाएगी। यही नहीं, अगर कोई व्यक्ति भीख देते हुए पकड़ा गया, तो उसके ख़िलाफ़ भी एफआईआर दर्ज की जाएगी। ज़िला कलेक्टर आशीष सिंह ने लोगों से भिखारियों से पैसे देना बंद करने की अपील की। उन्होंने कहा-‘ मैं इंदौर के सभी निवासियों से अपील करता हूँ कि वे लोगों को भीख देकर पाप के भागीदार न बनें।’

दरअसल इंदौर की भिक्षावृत्ति मुक्त उप योजना केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की फरवरी, 2022 से शुरू की गयी ‘स्माइल-आजीविका और उद्यम के लिए हाशिये पर पड़े व्यक्तियों के लिए सहायता’ नामक योजना के तहत आती है। इस योजना में भीख माँगने के कार्य में लगे व्यक्तियों के व्यापक पुनर्वास के लिए प्रयास शामिल हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य दीर्घकालिक समाधान प्रदान करके शहरों को भिक्षावृत्ति मुक्त बनाना है। लोगों को सड़कों से हटाने की बजाय, स्माइल उनका पुनर्वास करने पर ध्यान केंद्रित करता है। यह भीख माँगने में फँसे लोगों को उनके जीवन को फिर से बनाने में मदद करने के लिए चिकित्सा देखभाल, शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण और नौकरी के अवसर प्रदान करता है।

इसका लक्ष्य उन्हें सम्मान और स्वतंत्रता के साथ जीने में सक्षम बनाना है। सामाजिक न्याय मंत्रालय भीख माँगने को ग़रीबी का सबसे चरम रूप बताता है। मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि अधिकांश लोगों के लिए भीख माँगना कोई विकल्प नहीं है, यह जीवनयापन का साधन है। इसलिए उनके पुनर्वास पर केंद्रित कार्यक्रम पर फोकस करना बहुत ज़रूरी है।

ग़ौरतलब है कि स्माइल योजना के तहत देश के 30 ऐसे शहरों का चयन किया गया है, जो ऐतिहासिक, धार्मिक व पर्यटन शामिल हैं। इन्हें 2026 तक भिक्षावृत्ति मुक्त बनाना है। 10 शहर पायलट परियोजना में दिल्ली, लखनऊ, हैदराबाद, चेन्नई, अहमदाबाद, हैदराबाद, मुंबई, नागपुर, पटना, बेंगलूरु आदि शहरों को शामिल किया गया है। ताज़ा अनुमान के अनुसार, देश में क़रीब 6.20 लाख भिखारी हैं। सन् 2011 की जनसंख्या के आँकड़ों के अनुसार, उस समय देश भर में 3.72 लाख से अधिक भिखारी थे। सबसे अधिक भिखारी पश्चिम बंगाल में बताये जाते हैं। उसके बाद भिखारियों की सबसे अधिक संख्या उत्तर प्रदेश में है।

दरअसल, भारत में भीख माँगने से रोकने को लेकर कोई केंद्रीय क़ानून नहीं है। जुलाई, 2021 में सर्वोच्च न्यायालय ने भीख माँगने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और कहा था कि यह सामाजिक-आर्थिक समस्या है। पढ़ाई-लिखाई न होने और नौकरी नहीं मिल पाने के कारण लोग भीख माँगने को मजबूर होते हैं। लेकिन इंदौर प्रशासन ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा-163 के प्रावधान के तहत 01 जनवरी, 2025 से भिखारियों को भीख और पैसे देना और भीख माँगना एक अपराध बना दिया है। ऐसा करने वालों के ख़िलाफ़ दंडात्मक कार्रवाई शुरू की जाएगी। इस धारा के तहत जारी आदेशों का उल्लंघन करने वाले को अधिकतम छ: महीने की जेल और 1,000 रुपये तक का ज़ुर्माना हो सकता है।

ग़ौरतलब है कि इंदौर ज़िला प्रशासन ने फरवरी, 2024 में शहर में भिक्षावृत्ति अभियान के तहत पड़ताल शुरू की थी। इस अभियान के दौरान पता चला कि कुछ भिखारियों के पास पक्के मकान हैं। कुछ भिखारी पैसा ब्याज पर देते हैं। पड़ताल में अनुमान लगाया गया कि एक संगठित गिरोह इंदौर में सक्रिय है, जो भिक्षावृत्ति को ख़ास संरक्षण प्रदान करता है। मध्य प्रदेश के सामाजिक कल्याण मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा ने कहा कि इंदौर का एक संगठन सरकार के इस प्रयास के लिए आगे आया है। यह संगठन उन्हें छ: महीने तक आश्रय प्रदान करेगा और उनके लिए काम खोजने का प्रयास करेगा।

यह एक सराहनीय पहल है, जो इंदौर को वास्तव में भिखारी मुक्त शहर बनाने में मदद कर सकती है। लेकिन इस योजना की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि लोग प्रशासन का कितना सहयोग करते हैं।’ इसमें कोई दो-राय नहीं कि ऐसी योजनाओं को सफल बनाने में जन सहयोग बहुत ज़रूरी है।

लेकिन जानना अहम हो जाता है कि पुनर्वास और रोज़गार किस स्तर का मुहैया कराये जा रहे हैं? ये कितने टिकाऊ हैं? क्या भिक्षावृत्ति को दंडात्मक कार्रवाई घोषित करना इससे मुक्ति पाने का सही और सफल समाधान है? इन सवाल के जवाब में इंदौर की कल्पना जैन का अभी तक यही जवाब है कि ‘यह उल्लेखनीय पहल है। उम्मीद है कि यहाँ की जनता इस प्रयास में अपना सहयोग उसी प्रकार देगी, जैसे कि स्वच्छता अभियान में दे रही है।’