पुरस्कार बिकते हैं!

-विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिष्ठा के लिए दिये जाने वाले पुरस्कारों का पर्दे के पीछे होता है सौदा

इंट्रो- प्रसिद्धि पाने की चकाचौंध और ग्लैमर के पीछे लोग इतने दीवाने हैं कि वे बिना कोई बड़ा काम किये ही पुरस्कार (अवार्ड) तक पाना चाहते हैं। ऐसे लोग पुरस्कार लेने के लिए बाक़ायदा एक क़ीमत चुकाते हैं, जिसके लिए पुरस्कारों की घोषणा करने वाले हमेशा लालायित रहते हैं। ये लोग योग्यता और सामाजिक योगदान को दरकिनार करते हुए चंद पैसों, सम्बन्धों, ऊपरी दबाबों और अय्याशी के दूसरे संसाधनों को पाने के लालच में किसी भी ऐरे-ग़ैरे के नाम बड़े-बड़े पुरस्कार कर देते हैं और इन पुरस्कारों के वास्तविक हक़दार कहीं पीछे रह जाते हैं। यह एक फलता-फूलता कालाबाज़ार है, जिसमें एक विशेष क़ीमत के बदले पुरस्कार दिये जाते हैं। ‘तहलका’ एसआईटी ने अपनी इस बार की रिपोर्ट में इसी का पर्दाफ़ाश किया है। ‘तहलका’ की इस रिपोर्ट से पता चलता है कि उपलब्धियों और योग्यता के लिए दिये जाने वाले पुरस्कारों को किस तरह से सस्ती और सुलभ वस्तुओं की तरह पर्दे के पीछे ख़रीदा और बेचा जाता है। पढ़िए, तहलका एसआईटी की यह ख़ास रिपोर्ट :-

‘वे योग्यता के आधार पर पुरस्कार नहीं देते; वे उन्हें बेचते हैं। उनके पास तीन-चार लाख रुपये से लेकर 5.50 लाख रुपये तक के पुरस्कार हैं। सबसे कम 1.20 लाख रुपये का है। उनके पास 5.50 लाख रुपये से ज़्यादा के पुरस्कार भी हैं। लेकिन वे हमारे पास नहीं हैं। वे पिछले 14 वर्षों से पुरस्कार दे रहे हैं।’ -यह बात xxxx टेक्नोलॉजी के रोहन मिश्रा ने ‘तहलका’ के रिपोर्टर को पुरस्कार पाने का इच्छुक ग्राहक समझकर बतायी। रोहन मिश्रा की कम्पनी xxxx टेक्नोलॉजी उसके माध्यम से इच्छुक लोगों को पुरस्कार बेचने वाली कम्पनी के लिए एक चेन पार्टनर के रूप में कार्य करती है।

‘जैसा कि आप जानते हैं कि इन दिनों कई स्टिंग ऑपरेशन हो रहे हैं। इसलिए कम्पनी सीधे ख़रीदारों को पुरस्कार नहीं बेचेगी। वे (कम्पनी वाले) उन्हें (पुरस्कारों को) हमारे माध्यम से बेचेंगे। कम्पनी का कोई भी व्यक्ति आपसे नहीं मिलेगा।’ -रोहन मिश्रा ने आगे बताया।

रोहन मिश्रा

‘पुरस्कारों की पाँच श्रेणियाँ हैं, जो कम्पनी x सितंबर xxxx को भारत मंडपम, नई दिल्ली में आयोजित एक शानदार समारोह में देगी। मैं आपके लिए मीडिया श्रेणी में सबसे निचले श्रेणी के पुरस्कार, जिसकी लागत 1.20 लाख रुपये है; की व्यवस्था करूँगा।’ -‘तहलका’ के अंडरकवर रिपोर्टर को रोहन ने आश्वस्त किया।

दुनिया भर में कई पुरस्कारों को लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं। ऑस्कर से लेकर ग्रैमीज, गोल्डन ग्लोब्स और भारतीय राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार तक सभी को लेकर कभी-न-कभी विवाद खड़ा हुआ है। उदाहरण के लिए, पद्म पुरस्कार-2022 ने भी धूम मचा दी थी। जब नरेंद्र मोदी सरकार ने 2022 में 73वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कार विजेताओं की घोषणा की, तो इस पर बहस छिड़ गयी। पद्म भूषण के लिए चुने गये लोगों में पूर्व सीपीआई (एम) पोलित ब्यूरो सदस्य और पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के साथ ही वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्यसभा में विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद भी शामिल थे। जबकि भट्टाचार्य ने पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया था। ग़ुलाम नबी आज़ाद को मोदी सरकार से इसे स्वीकार करने के लिए कांग्रेस नेताओं के मज़ाक़ का पात्र बनना पड़ा था।

इसी तरह पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न फ़िल्म पुरस्कार विवादों में रहे हैं। इसी के चलते आमिर ख़ान, अजय देवगन, इमरान हाशमी, गोविंदा, सनी देओल और नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी जैसे अभिनेताओं ने सभी फ़िल्म पुरस्कार समारोहों से ख़ुद को दूर कर लिया है। फ़िल्मी पुरस्कारों की तरह ही मीडिया पुरस्कार भी अलग-अलग समय पर विवादों में घिरे रहे हैं। इन विवादों की तह तक जाने के लिए ‘तहलका’ ने पुरस्कार फिक्सिंग पर एक पड़ताल की, जहाँ पुरस्कार योग्यता के आधार पर नहीं, बल्कि एक निश्चित क़ीमत के बदले दिये जाते हैं।

इस सिलसिले में ‘तहलका’ के अंडरकवर रिपोर्टर की मुलाक़ात रोहन मिश्रा से हुई, जिसने नोएडा स्थित कम्पनी xxxx टेक्नोलॉजी में काम करने का दावा किया। ‘तहलका’ रिपोर्टर ने रोहन से अपने लिए एक पुरस्कार पाने का इच्छुक (एक नक़ली ग्राहक) बनकर मुलाक़ात की। रोहन ने तुरंत रिपोर्टर को बताया कि उनकी कम्पनी एक ऐसी कम्पनी के लिए चैनल पार्टनर के रूप में काम कर रही है, जो उनके माध्यम से इच्छुक पार्टियों को पुरस्कार बेचती है। नोएडा में इस मुलाक़ात के लिए दोनों की एक बैठक हुई, जिसमें रोहन ने रिपोर्टर को बताया कि मीडिया कैटेगरी में उनके लिए एक अवार्ड है, जिसकी क़ीमत 1.20 लाख रुपये है। रोहन मिश्रा ने इस बात का ख़ुलासा किया कि उसकी कम्पनी किस तरह से किस क़ीमत पर पुरस्कार दिलवाने का काम करती है।

रिपोर्टर : ये कब है, …xx सितंबर xxxx को?

रोहन : हाँ।

रिपोर्टर : किन लोगों को मिल रहा है ये?

रोहन : ये मिल रहा है बिजनेस पर्सनालिटीज को, …कुछ पर्सनल को भी।

रिपोर्टर : मीडिया वालों को मिल जाएगा?

रोहन : हाँ; कैटेगरी में मिल जाएगा।

रिपोर्टर : किस कैटेगरी में?

रोहन : पाँच कैटेगरी हैं। मैं भेज दूँगा आपको, …जो पहले वाला है, वो 5-6 लाख का है। वो तो नहीं है; सबसे कम वाला मिल जाएगा, एक लाख 20 हज़ार रुपये।

रिपोर्टर : एक लाख 20 हज़ार में?

अब ‘तहलका’ रिपोर्टर के साथ इस बातचीत के दौरान रोहन मिश्रा ने अपनी कम्पनी द्वारा प्रदान किये जाने वाले पुरस्कारों की विस्तृत मूल्य निर्धारण संरचना का ख़ुलासा किया। 1.20 लाख रुपये से लेकर 5.50 लाख रुपये तक की श्रेणियों के पुरस्कारों को लेकर रोहन ने बताया कि कम्पनी पिछले 14 वर्षों से इन पुरस्कारों का वितरण कर रही है।

रिपोर्टर : क्या-क्या रेट है वैसे इनके अवार्ड के?

रोहन : हाईएस्ट (सबसे ज़्यादा) तो 5.5 लाख का है। फिर चार लाख, तीन लाख, 1.20 लाख…। मतलब, 1.20 लाख से स्टार्ट है और हाईएस्ट 5.5 लाख का है। उसके ऊपर भी हैं, पर वो हम लेते नहीं हैं। हमारे बजट का नहीं है।

रिपोर्टर : ये कितने साल हो गये अवार्ड बाँटते हुए?

रोहन : 14 ईयर (14 साल)।

अब रोहन मिश्रा ने पुरस्कार हासिल कराने में अपनी भागीदारी के बारे में और ज़्यादा जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि कैसे उसने वर्षों से कई कम्पनियों के लिए प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाया है, जिसमें पुरस्कार बदले एक क़ीमत ली जाती है।

रिपोर्टर : आप कबसे कर रहे हो इनके साथ?

रोहन : मैंने पहला किया था …21 में।

रिपोर्टर : कहाँ की कम्पनी थी?

रोहन : दिल्ली की, एक किया था मैंने …अहमदाबाद का।

रिपोर्टर : इसकी कितनी दिलवा दी आपने?

रोहन : बहुत दिलवा दी, इस बार सात दिलवा रहा हूँ। वैसे 12-13 दिलवा दिये। …और इस बार सात दिलवा रहा हूँ। एक मेरा भी है।

रिपोर्टर : आपका भी है! पैसे देने होंगे आपको?

रोहन : क्यों नहीं, देने होंगे।

रिपोर्टर : आपसे भी लेंगे पैसे?

रोहन : क्यूँ नहीं लेंगे?

इस ख़ुलासा करने वाले आदान-प्रदान में ‘तहलका’ रिपोर्टर के सामने रोहन मिश्रा ने पुरस्कारों की बिक्री के इस व्यवसाय में अपने कामकाज को उजागर किया। रोहन के मुताबिक, उसकी कम्पनी पिछले 14 साल से अवार्ड बेच रही है। उसने ‘तहलका’ रिपोर्टर को भी अवार्ड ख़रीदने का तरीक़ा बताया। उसने कहा है कि ये बड़ी संख्या में उपस्थित लोगों को आकर्षित कार्यक्रम करते हैं, जिनमें हाई-प्रोफाइल हस्तियाँ भी शामिल होती हैं। रोहन ने बताया कि उसकी कम्पनी पूरी तरह से पुरस्कार शो और व्यापार शो आयोजित करने पर ध्यान केंद्रित करती है।

रिपोर्टर : अब बताओ, अवार्ड का क्या कह रहे थे आप?

रोहन : भेजा है आपको, चेक कर लेना।

रिपोर्टर : (रोहन का भेजा हुआ मैसेज पढ़ते हुए)- दि फोर्टींथ नेशनल xxxx अवार्ड…, क्या है यह?

रोहन : ये xxxx ग्रुप है।

रिपोर्टर : अच्छा; नाम ही है xxxxxx ग्रुप। …क्या करते हैं ये? धंधा क्या है इनका?

रोहन : वही अवार्ड शो कराते हैं।

रिपोर्टर : कम्पनी कुछ तो करती होगी?

रोहन : यही करती है, सिर्फ़ अवार्ड देती है। इनका क्या है कि अवार्ड शो करते हैं ये, ट्रेड शो कहते हैं।

रिपोर्टर : ट्रेड शो?

रोहन : हाँ; जिसमें 1,00-500 लोग आते हैं अलग-अलग जगह से। …इनके जो सेलिब्रिटीज होते हैं ना! लास्ट टाइम वो ईरानी नहीं है …3 ईडियट्स (फ़िल्म) वाले, वो आये थे।

रिपोर्टर : बोमन इरानी?

रोहन : हाँ; वो आये थे। अक्षय कुमार (फ़िल्म अभिनेता) आये थे, एज चीफ गेस्ट (मुख्य अतिथि के रूप में)।

रिपोर्टर : ये कब है, …xx सितंबर xxxx?

रोहन : इससे पहले राव आया था, वो राव नहीं है!

रिपोर्टर : राव कौन? राजकुमार राव (फ़िल्म अभिनेता)?

रोहन : हाँ; चीफ गेस्ट (मुख्य अतिथि) था वो।

रिपोर्टर : इस साल कौन है चीफ गेस्ट?

रोहन : इस साल वो होगा xxxxx…।

अब एक स्पष्ट स्वीकारोक्ति के साथ रोहन मिश्रा ने पुरस्कारों की बिक्री वाले इस धंधे के व्यापक पैमाने को उजागर करते हुए बताया कि योग्यता एक भूमिका निभाती है; लेकिन केवल 10 प्रतिशत प्राप्तकर्ताओं के लिए। बाक़ी लोग ग्राहकों की तरह भुगतान करके पुरस्कार प्राप्त कर रहे हैं, जिसका कम्पनी के दैनिक राजस्व में लगभग 10-15 करोड़ रुपये का योगदान होता है।

रिपोर्टर : ये मैरिट पर नहीं देंगे?

रोहन : देते हैं, पर वो सिर्फ़ 10 परसेंट (प्रतिशत) ही हैं।

रिपोर्टर : कितने अवार्ड देते हैं एक दिन में?

रोहन : अवार्ड तो बहुत देते हैं, एक दिन का 10-15 करोड़ होता है। …एक दिन का …200 अवार्ड देते हैं ये।

रिपोर्टर : 200 अवार्ड एक दिन में?

रोहन : हाँ; और लोग आ रहे हैं। अभी भी लोग आ रहे हैं। स्पॉन्सर्स (आयोजकों) से पैसे कमाते हैं।

अब रोहन ने पुरस्कार हासिल करने की प्रक्रिया का विस्तृत विवरण देते हुए इसके लिए शामिल सटीक लागत का ख़ुलासा करते हुए बताया कि 1.20 लाख रुपये के पुरस्कार के लिए प्रक्रिया 25,000 रुपये के चेक भुगतान के साथ शुरू होती है, बाक़ी का भुगतान नक़द में किया जाता है। उसने स्पष्ट किया कि भुगतान का आधा हिस्सा पुरस्कार समारोह से तीन दिन पहले किया जाना चाहिए और पूरी राशि उनकी कम्पनी के माध्यम से दी जानी चाहिए। रोहन ने ‘तहलका’ रिपोर्टर को यह भी बताया कि पुरस्कार का आयोजन करने वाली कम्पनी का कोई भी व्यक्ति उनसे (रिपोर्टर या पुरस्कार पाने वाले से) नहीं मिलेगा और उन्हें केवल उसके द्वारा ही आगे बढ़ने की कार्यवाही करनी होगी।

रिपोर्टर : बताइए, क्या रोट है इस बार हमारे लिए?

रोहन : 1.20 लाख रहेगा।

रिपोर्टर : एक लाख 20 हज़ार, कैटेगरी क्या रहेगी?

रोहन : भेज दूँगा आपको और पेमेंट (भुगतान) जो है, वो 20 के (20 हज़ार) प्लस जीएसटी रहेगा।

रिपोर्टर : 20 के प्लस जीएसटी?

रोहन : 25 हज़ार प्लस जीएसटी वो चेक से जाएगा, बाक़ी कैश (नक़द) में जाएगा। 24 प्लस जीएसटी वो कम्पनी को जाएगा।

रिपोर्टर : वो नॉमिनेशन फ्री (नामांकन मुफ़्त) है?

रोहन : हाँ; और बाक़ी जो है, उसमें आधा कैश (नक़द) में जाएगा। वैसे हम पूरा लेते हैं, बट (परन्तु) आपका फर्स्ट टाइम (पहली बार) है, तो आपको जो है हाफ देना होगा, …तीन दिन पहले।

रिपोर्टर : अवार्ड मिलने से तीन दिन पहले?

रोहन : हाँ।

रिपोर्टर : पेमेंट (भुगतान) किसको देना होगा?

रोहन : पेमेंट सारा हमको देना होगा।

रिपोर्टर : मैनेजमेंट (प्रबंधन) को नहीं?

रोहन : नहीं। …जो भी रहेगा, आपको लिंक हमसे रहेगा।

रिपोर्टर : हमसे कोई नहीं मिलेगा?

रोहन : कोई नहीं; जो रहेगा, हमसे रहेगा। …अगर पाँच लाख वाला लेते हैं आप, तो उनका बंदा आता है।

रिपोर्टर : पाँच लाख वाला! …उसकी गारंटी क्या होगी?

रोहन : वो हाईएस्ट है। स्टार्टअप हो जिसका।

अब रोहन ने पुरस्कारों की असाधारण प्रकृति पर प्रकाश डालते हुए ख़ुलासा किया कि कम्पनी एक करोड़ रुपये की श्रेणी भी प्रदान करती है, जिसमें पत्रिका कवर पर नाम और प्रायोजित प्रचार जैसे मीडिया एक्सपोज़र शामिल हैं। दरों के बारे में उसने बताया कि सन् 2021 में सबसे कम पुरस्कार की लागत 75,000 रुपये थी, जबकि उच्चतम पुरस्कार की क़ीमत तीन लाख रुपये थी। रोहन इस व्यवसाय के बढ़ने को लेकर संकेत देते हुए कहा कि 2023 के लिए वह अपनी ख़ुद की फ्रेंचाइजी भी शुरू कर रहा है। इस पुरस्कार देने वाले उद्यम में वह अपनी भागीदारी को और विविधता प्रदान कर रहा है।

रिपोर्टर : आपने 21 में क्या रेट लिया था इनसे?

रोहन : 21 में, …75 हज़ार।

रिपोर्टर : सबसे कम, और सबसे ज़्यादा?

रोहन : तीन लाख का था। देखिए, है तो उनके पास एक करोड़ का भी, पर हमारे पास उसका कोई पिच नहीं था।

रिपोर्टर : एक करोड़ में? …ऐसा क्या है?

रोहन : एक करोड़ में स्पॉन्सरशिप भी है। आपका बोर्ड लगाएँगे, मैगज़ीन कवर (पत्रिका के आवरण पृष्ठ) पे नाम जाएगा आपका। दो तरह का अवार्ड होता है, एक ख़ुद वाला और दूसरा इनवाइट करते हैं. जैसे पीडब्ल्यूडी वाला। …2020 या 21 वाले में पीडब्ल्यूडी वाला भी था कोई, उसका मैगज़ीन के कवर पे फोटो छपा था।

रिपोर्टर : कौन-सी मैगज़ीन?

रोहन : इनकी मैगज़ीन भी है ना! पीआर भी करते हैं अपना, …xxxx, xxxxx इस पर उनको कवर पर भी दिया जाता है। ये अपनी मैगज़ीन बनाते हैं, उसे प्रमोट करते हैं। अपनी साइट पर प्रमोट करते हैं।

रिपोर्टर : और 22 में क्या रेट था इनका?

रोहन : 22 में वही था 23 से बड़ा है। 23 में ही मैं भी ज़्यादा एक्टिव हुआ।

रिपोर्टर : यानी 12-13 अवार्ड आपने करा दिये?

रोहन : इस बार और भी करवा रहे हैं। …अभी अपनी कुछ फ्रेंचाइजी (रियायत) भी स्टार्ट कर रहे हैं, उसके लिए भी कर रहे हैं।

अब रोहन ने खुले तौर पर विभिन्न पुरस्कारों को बेचने की बात स्वीकार करते हुए बताया कि किस तरह उसने पिछले साल मेकअप उद्योग में एक व्यक्ति को ग्लैमर पुरस्कार दिलाने में मदद की थी।

रिपोर्टर : ये ही अवार्ड हैं आपके पास या और भी हैं?

रोहन : और भी हैं। मल्टीपल हैं। ग्लैमर का मैंने करवाया था पिछले साल अक्टूबर में। आई थिंक ग्लैमरस करके अवार्ड था। मेक यूपी का काम करती xxxx ख़ान, वो क्लाइंट हैं। उनको दिलवाया था मैंन ग्लैमर का अवार्ड।

इसके बाद रोहन ने ख़ुलासा किया कि वह एक ग्राहक के लिए 10 पुरस्कारों की व्यवस्था करने की प्रक्रिया में है, जिसमें पहले से ही विशिष्ट माँगें रखी गयी हैं। जब उससे फ़िल्म-सम्बन्धी पुरस्कारों के बारे में पूछा गया, तो उसने कुछ भी नहीं कहा और सुझाव दिया कि पुरस्कार उनके पास हो सकते हैं; लेकिन फ़िलहाल यह निश्चित नहीं हैं।

रिपोर्टर : तो अभी आने वाले कितने अवार्ड हैं आपके पास?

रोहन : देखना पड़ेगा, अभी एक कम्पनी आ रही है; …उसकी डिमांड है क़रीब 10 अवार्ड की, बजट बता दिया है उनको। मुझे वही सब करना है।

रिपोर्टर : कोई फ़िल्म वाला अवार्ड नहीं है आपके पास?

रोहन : देखना पड़ेगा।

जब ‘तहलका’ रिपोर्टर ने रोहन से पुरस्कार बेचने के इस आकर्षक अवैध धंधे से उसकी कमायी के बारे में पूछा, तो उसने तुरंत बात टाल दी और कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। उसकी हल्की-फुल्की प्रतिक्रिया कि ‘ये कोई बात बताने वाली होती है?’

रिपोर्टर : आपको कितना पैसा मिलता है इसमें?

रोहन : ये थोड़ी बताएँगे, हा..हा (हँसते हुए), ये कोई बात बताने वाली होती है!

अब रोहन ने अपने द्वारा आयोजित उच्च-मूल्य वाले पुरस्कारों के पीछे के संदिग्ध कार्यों पर प्रकाश डालते हुए ख़ुलासा किया कि पाँच करोड़ रुपये के पुरस्कार दिलाने वाले लोग स्टिंग ऑपरेशन होने के डर से सीधे किसी से नहीं मिलते हैं। उसने इस बात की भी पुष्टि की कि आजकल पुरस्कार योग्यता न होते हुए भी प्रायोजनों के बहाने चतुराई से पर्दे के पीछे से ख़रीदे और बेचे जाते हैं।

रिपोर्टर : अच्छा; अगर हम पाँच करोड़ वाले अवार्ड की बात करें, तो इसमें मिलने आएगा बंदा?

रोहन : ऐसे नहीं आएगा, पहले कन्फर्म करेगा। बहुत इसमें स्टिंग ऑपरेशन वग़ैरह होते हैं ना! दिखाते हैं मैरिट पर अवार्ड दे रहा हूँ मैं, बट एक्चुअल में मैरिट तो कहीं नहीं होती है। कोई अवार्ड ले लो, …मैरिट पर थोड़ी होता है। सामने नही आ रहा है, बट वो ऐसे दिखाते हैं एज अ स्पाउंसर (एक आयोजक के रूप में), इस कम्पनी ने स्पॉन्सर कर दिया; लेकिन पैसा तो जा ही रहा है ना कहीं-न-कहीं! …जिस बंदे से हमारी बात होती है ना! उस बंदे की इतनी औक़ात नहीं कि वो हमको ये बात बता पाए।

अब रोहन ने कुछ सबसे प्रतिष्ठित मीडिया हाउसों के लिए पुरस्कार बेचने में अपनी भागीदारी का लापरवाही से ख़ुलासा करते हुए बताया कि उसने एक ग्राहक के लिए 60,000 रुपये में निम्न श्रेणी के पुरस्कार की व्यवस्था की थी। रोहन ने बताया कि फोटो सत्र से लेकर वैधता का भ्रम पैदा करने के लिए छवियों को ऑनलाइन पोस्ट करने तक पुरस्कार व्यवसाय प्रक्रिया कैसे काम करती है।

रोहन : xxxx का भी आने वाला है।

रिपोर्टर : xxxx का भी करते हो आप?

रोहन : xxxx का किया है इसी साल।

रिपोर्टर : कितना लिया उनसे?

रोहन : 60,000 रुपये।

रिपोर्टर : ज़्यादा नहीं है?

रोहन : लोअर कैटेगरी है। उसमें पाँच होता है, इसमें तीन था कैटेगरी। …xxxx में पहला कैटेगरी में कुछ दिलवा दिये दूसरे में; तीसरे में कुछ गले में पहना दिया। बाद में होता है फोटो सेशन, उस फोटो को हम अपनी वेबसाइट पर लगाते हैं।

अब रोहन ने लोगों द्वारा पुरस्कार ख़रीदने के पीछे के कारणों की व्याख्या करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि पुरस्कार और फोटो आदि का उपयोग किसी की छवि को मज़बूत करने, कार्यालय आदि स्थानों को सज़ाने या पीआर रणनीति के हिस्से के रूप में वेबसाइटों पर प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। रोहन ने ऐसे पुरस्कारों के व्यापक; लेकिन छिपी हुई कालाबाज़ारी को भी स्वीकार किया।

रिपोर्टर : लोगों को फ़ायदा क्या होता है अवार्ड लेकर?

रोहन : एक तो उन्हें अपने ऑफिस में लगाना होता है, वेबसाइट पर लगाना होता है, पीआर के लिए; …हमें पता है, आपको पता है अवार्ड बिकते हैं; सबको थोड़ी न पता है।

1.20 लाख रुपये के पुरस्कार पर छूट की संभावना के बारे में पूछे जाने पर रोहन ने पुष्टि की कि 10 प्रतिशत की छोटी छूट की व्यवस्था की जा सकती है। लेकिन केवल तभी, जब ख़रीदारी में कई पुरस्कार शामिल हों।

रिपोर्टर : अच्छा; अगर मुझे 1.20 लाख वाले में पाँच अवार्ड चाहिए हों, तो मुझे डिस्काउंट (छूट) मिलेगा?

रोहन : हाँ; ज़्यादा नहीं, 10 परसेंट, पर वो बल्क (थोक) होना चाहिए।

रोहन ने आगे ख़ुलासा किया कि पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं के साथ आने वाले लोगों को समारोह में शामिल होने के लिए अलग टिकट ख़रीदने पड़ेंगे।

रिपोर्टर : अच्छा; जो अवार्ड लेने आएगा, उसके साथ कितने लोग आ सकते हैं?

रोहन : इस वाले अवार्ड में एक का।

रिपोर्टर : जो फैमिली से आएगा?

रोहन : टिकट लेना होगा।

रिपोर्टर : टिकट कितने का होगा?

रोहन : लिखा हुआ है उसमें, टिकट लेना पड़ेगा अलग से।

अब रोहन ने ‘तहलका’ रिपोर्टर से अवार्ड लेने के लिए एक सप्ताह के भीतर पुरस्कार के बदले पैसा जमा करने के लिए कहा और आश्वासन दिया कि मीडिया के माध्यम से पुरस्कार प्राप्त करने वाले की छवि और नाम को सार्वजनिक करके बढ़ावा दिया जाएगा। उसने समझाया कि निश्चित रूप से पैसा ख़र्च होगा; लेकिन कैसे किसी कार्यक्रम की रीलों को मीडिया चैनलों पर जमा करने से पुरस्कार पाने वाले की मान्यता को और बढ़ा सकता है। रोहन ने रिपोर्टर को यह सुझाव भी दिया कि वह भी पुरस्कार समारोहों में रील बनाएँ और शुल्क देकर उन्हें समाचार चैनलों पर प्रसारित करें।

रिपोर्टर : लास्ट डेट (अंतिम तिथि) क्या है पैसा देने की?

रोहन : आपको ह$फ्ते भर में क्लोज करना (देना) पड़ेगा।

रिपोर्टर : अख़बार में भी छपेगा?

रोहन : हाँ; अख़बार में पेज पर आएगा पूरा। पीआर भी करेंगे आपको अच्छे से, उसको आप चाहो तो आप भी कर सकते हो अपने लेवल पर। जैसे आपने अवार्ड ले लिया, हमने आपसे एक लाख और ले लिया, आपका रील बना दिया; …जैसे आप अवार्ड ले रहे हो, हमने पिक्चर बना लिया अवार्ड लेते हुए, वीडियो बना लिया, उसके बाद। …अच्छा; इसमें जाने का भी एक फीस होता है 1,000 रुपये का। 2,500 रुपये का, 5,000 रुपये का एट्च (इत्यादि) फॉर इन्विटेशन एज अ गेस्ट (अतिथि के रूप में निमंत्रण के लिए )। अब हम वहाँ एज ऑडिएंस (दर्शक बनकर) चले गये, वहाँ वीडियो बना लिया। हमने क्या किया, वीडियो बनाके जैसे न्यूज xxxx है, या बहुत सारे चैनल्स हैं, या लोकल चैनल्स होते हैं; …आप चाहो तो रील्स उनको दे दो। ये मेरा रील है, आप इसको चलाओ और ये रहे पैसे। ये भी चार्ज करते हैं 10,000-15,000; …तो ये अपने चैनल पर लगा देते हैं। शेयर भी कर देते हैं। लाइक भी, ट्वीट भी कर देते हैं। ऐसे बहुत-से चैनल्स हैं।

इस पड़ताल के दौरान ‘तहलका’ रिपोर्टर को विभिन्न पीआर एजेंसियों से कई कॉल प्राप्त हुईं और प्रत्येक ने पुरस्कारों के अलग-अलग नाम और उनके बदले में अपनी पुरस्कार-बिक्री की क़ीमतों की पेशकश की, जो सभी बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। एक अवसर पर एक बिचौलिये ने ‘तहलका’ रिपोर्टर को दिल्ली में एक समारोह में एक प्रतिष्ठित मीडिया हाउस पुरस्कार देने का वादा किया, जो केवल 1.75 लाख रुपये में उपलब्ध था। हालाँकि जब रिपोर्टर ने पुरस्कार राशि का भुगतान सीधे मीडिया हाउस को करने पर ज़ोर दिया, जो कथित तौर पर पुरस्कार की पेशकश कर रहा था; तो इससे मीडिया हाउस के प्रबंधन के बीच संदेह पैदा हो गया और सौदा अंतत: विफल हो गया।

इस पुरस्कार व्यवसाय की कार्यप्रणाली स्पष्ट है कि कोई भी कम्पनी सीधे अपनी पुरस्कार इच्छुक पार्टियों को नहीं बेच रही है, क्योंकि उन्हें (कम्पनी प्रबंधन को) पकड़े जाने का डर है। इसके बजाय वे वैधता का मुखौटा लगाकर पुरस्कार की वैधता बनाये रखने और किसी ख़ुफ़िया जाँच से बचने के लिए पीआर एजेंसियों के माध्यम से इस प्रकार से पुरस्कार बिक्री के लेन-देन को अंजाम दे रहे हैं। ‘तहलका’ एसआईटी की यह विशेष रिपोर्ट वास्तविक योग्य लोगों को पुरस्कृत करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता और अखंडता की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर देती है।