अमित शाह : सबसे लंबे समय गृह मंत्री रह कर रचेंगे इतिहास

यदि वर्तमान राजनीतिक निरंतरता बनी रहती है तो अमित शाह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करने के लिए तैयार हैं- भारत का सबसे लंबे समय से कार्यरत केंद्रीय गृह मंत्री बने रहने की उपल​ब्धि। 31 मई, 2019 को शपथ लेने के बाद, शाह 30 मई, 2025 तक अपने लगातार छह वर्ष पूरे कर लेंगे और अपने दो पूर्ववर्तियों को छोड़कर सभी के कार्यकाल के रिकॉर्ड को पार कर लेंगे। संभावना है कि वह जुलाई 2025 तक, लालकृष्ण आडवाणी (6 वर्ष, 64 दिन) और गोविंद बल्लभ पंत (6 वर्ष, 56 दिन) दोनों को पीछे छोड़ देंगे।

शाह के कार्यकाल की विशेषता घरेलू मामलों पर पैनी व लगातार नजर है। अपने पूर्ववर्तियों के विपरीत, उन्होंने एक भी आधिकारिक विदेश यात्रा नहीं की है, जो आंतरिक शासन और भाजपा की संगठनात्मक रणनीति में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी घरेलू मामलों के प्रबंधन के लिए शाह पर बहुत अधिक निर्भर हैं। सरकार के भीतर उनका प्रभाव उनके मंत्रालय से परे भी है; उन्हें व्यापक रूप से भाजपा के मुख्य रणनीतिकार और प्रमुख संकटमोचक के रूप में जाना जाता है। दिलचस्प बात यह है कि ‘भगवान शिव के उत्साही भक्त’ शाह ने अपनी धार्मिक मान्यताओं को काफी हद तक निजी रखा है। नई दिल्ली में राजनयिक हलकों में शाह को एक ऐसे नेता के रूप में वर्णित किया जाता है, जिनकी बात का वजन होता है – उन्हें अक्सर प्रधानमंत्री के सबसे करीबी विश्वासपात्र के रूप में देखा जाता है, जो बिना किसी ताकीद की आवश्यकता के प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में सक्षम हैं।

प्रमुख आंतरिक सुरक्षा अभियानों के संचालन में उनकी भूमिका, साथ ही पुलिसिंग और सीमाओं के प्रबंधन में सुधार ने प्रशंसा अर्जित की है। हालांकि आगे कई चुनौतियां हैं, जैसे मणिपुर में अशांति को दूर करना और लंबे समय तक जातीय हिंसा के बाद पूर्वोत्तर में विश्वास बहाल करना; बढ़ते राजनीतिक ध्रुवीकरण के बीच सांप्रदायिक तनाव को प्रबंधित करना और संतुलित कानून प्रवर्तन सुनिश्चित करना; नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को संवेदनशीलता के साथ लागू करना, विशेष रूप से असम और पश्चिम बंगाल में; सीमा पार से घुसपैठ और मादक पदार्थों की तस्करी को रोकना, विशेष रूप से पंजाब और पूर्वोत्तर में दुर्गम सीमाओं के माध्यम से तथा राज्यों में भारत के पुलिस बल का आधुनिकीकरण करना। जैसे-जैसे वह एक ऐतिहासिक मील के पत्थर की ओर बढ़ रहे हैं, आने वाला साल न केवल उनका रिकॉर्ड बनता देखेगा, बल्कि तेजी से बदलते भारत में स्थायी आंतरिक स्थिरता को सुरक्षित करने की उनकी क्षमता का भी परीक्षण होगा।