12 जून 2025 को अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ सेकंड बाद एयर इंडिया का बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर (फ्लाइट AI-171) मेघानीनगर इलाके में बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस विमान में 230 यात्री और 12 क्रू मेंबर सहित कुल 242 लोग सवार थे, जिनमें से 241 की मौत हो गई। केवल एक यात्री, रमेश विश्वास कुमार, जो सीट 11A पर बैठा था, चमत्कारिक रूप से बच गया। हादसे में हॉस्टल में मौजूद 33 लोग, जिनमें 20 ट्रेनी डॉक्टर शामिल थे, भी मारे गए, जिससे कुल मृतकों की संख्या 275 हो गई। यह हादसा भारत के इतिहास के सबसे भयावह विमान हादसों में से एक है, जिसने टाटा समूह, एयर इंडिया, और बोइंग की सुरक्षा प्रक्रियाओं पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
पायलट का अनुभव और प्रबंधन की लापरवाही
विमान की कमान कैप्टन सुमीत सभरवाल के हाथ में थी, जिनके पास 8,200 घंटे की उड़ान का अनुभव था, और उनके सह-पायलट फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर के पास 1,100 घंटे का अनुभव था। कैप्टन सभरवाल एक लाइन ट्रेनिंग कैप्टन (LTC) थे, जो अन्य पायलटों को प्रशिक्षण देने के लिए अधिकृत थे। इतने अनुभवी पायलट के बावजूद हादसा होना एयर इंडिया के प्रबंधन की खामियों की ओर इशारा करता है। प्रारंभिक जांच में पता चला कि टेकऑफ के दौरान कॉन्फिगरेशन एरर (जैसे गलत फ्लैप सेटिंग, कम इंजन थ्रस्ट, या गियर न उठाना) संभावित कारण हो सकता है, जिसे 43 डिग्री सेल्सियस की गर्मी और भारी ईंधन भार ने और जटिल बना दिया। यह सवाल उठता है कि इतने अनुभवी पायलट के साथ ऐसी चूक कैसे हुई? क्या एयर इंडिया का प्रबंधन पायलटों पर अनुचित दबाव डाल रहा था, या रखरखाव और प्रशिक्षण में कमी थी? पायलट ने टेकऑफ के 27 सेकंड बाद “मेडे” कॉल दी थी, जिसमें “लॉसिंग पावर” का जिक्र था, जो तकनीकी खराबी या प्रबंधकीय लापरवाही की ओर संकेत करता है।

डीजीसीए ने दी थी बार-बार चेतावनियां
डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) ने 2022 में टाटा समूह द्वारा एयर इंडिया के निजीकरण के बाद से कई बार चेतावनी जारी की थी। डीजीसीए ने पायलट रोस्टरिंग में अनियमितताओं, कॉकपिट अनुशासन की कमी, और विमानों के रखरखाव में लापरवाही जैसे मुद्दों पर नोटिस भेजे थे। विशेष रूप से, 29 फरवरी 2024 को प्रकाशित आज तक के एक आर्टिकल के अनुसार, डीजीसीए ने एक बुजुर्ग यात्री को व्हीलचेयर देने में देरी के लिए एयर इंडिया पर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। इसके अलावा, द इकोनॉमिक टाइम्स में दिनांक 1 फ़रवरी 2025 को छपे एक आर्टिकल के अनुसार जनवरी 2025 में डीजीसीए ने एक अनुचित पायलट को उड़ान की अनुमति देने के लिए एयर इंडिया पर फिर से 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। इन चेतावनियों और जुर्मानों के बावजूद, एयर इंडिया ने अपने संचालन में सुधार नहीं किया, जिसका परिणाम इस त्रासदी के रूप में सामने आया। डीजीसीए की इन चेतावनियों को नजरअंदाज करना प्रबंधन की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है।
टाटा समूह की जिम्मेदारी
टाटा समूह ने 2022 में 2.4 बिलियन डॉलर में एयर इंडिया का अधिग्रहण किया था, वादा करते हुए कि वह इसकी छवि और सुरक्षा मानकों को बेहतर करेगा। लेकिन सोशल मीडिया पर जनता का गुस्सा इस बात को दर्शाता है कि निजीकरण के बाद एयर इंडिया की सेवाएं और सुरक्षा मानक और खराब हुए हैं। कई यात्रियों ने शिकायत की है कि विमानों का रखरखाव और सेवा स्तर पहले से भी नीचे गिर गया है। टाटा समूह के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने हादसे पर दुख जताया और मृतकों के परिवारों को 1 करोड़ रुपये के मुआवजे की घोषणा की, साथ ही घायलों के इलाज और बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल के पुनर्निर्माण का वादा किया। लेकिन क्या यह मुआवजा 275 लोगों की जान की कीमत चुका सकता है? जनता का सवाल है कि टाटा समूह ने डीजीसीए की चेतावनियों को गंभीरता से क्यों नहीं लिया, और क्या लागत कटौती के लिए सुरक्षा से समझौता किया गया?
बोइंग 787 की सुरक्षा पर सवाल
हादसे में शामिल बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर 11.5 साल पुराना था और 41,000 घंटे से ज्यादा उड़ान भर चुका था। बोइंग के इस मॉडल पर पहले भी सवाल उठ चुके हैं। 2024 में बोइंग के व्हिसलब्लोअर सैम सालेहपौर ने 787 और 777 विमानों में संरचनात्मक खामियों का खुलासा किया था, जिससे विमान की सुरक्षा और दीर्घायु पर असर पड़ सकता है। अमेरिकी फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफएए) ने इसकी जांच शुरू की थी, लेकिन अभी तक कोई अंतिम निष्कर्ष नहीं निकला। इसके अलावा, बोइंग के अन्य मॉडल, जैसे 737 मैक्स, 2018 और 2019 में क्रैश हो चुके हैं, जिसके बाद कंपनी की गुणवत्ता और सुरक्षा प्रक्रियाएं सवालों के घेरे में हैं। अहमदाबाद हादसा बोइंग 787 ड्रीमलाइनर का पहला क्रैश है, जिसने इसके सुरक्षा रिकॉर्ड को धूमिल किया है।
जांच और भविष्य के कदम
डीजीसीए ने हादसे के बाद एयर इंडिया के सभी बोइंग 787 विमानों की गहन जांच के आदेश दिए हैं, जो 15 जून 2025 से लागू होंगे। एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) ने एक ब्लैक बॉक्स (कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर) हॉस्टल की छत पर पाया, और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर की तलाश जारी है। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने एक उच्च-स्तरीय समिति गठित की है, जिसमें गुजरात सरकार, डीजीसीए, और अन्य विशेषज्ञ शामिल हैं। बोइंग ने भी जांच में सहयोग का वादा किया है।
275 मृतकों की जिम्मेदारी कौन लेगा?
इस हादसे में 275 लोगों की जान गई, जिसमें गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, 20 ट्रेनी डॉक्टर, और 61 विदेशी नागरिक शामिल थे। टाटा समूह ने 1 करोड़ रुपये के मुआवजे की घोषणा की, और मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के तहत बीमा कंपनियां भी मृतकों के परिजनों को मुआवजा देंगी, जो 25 लाख से 1.4 करोड़ रुपये तक हो सकता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या आर्थिक मुआवजा इतनी बड़ी त्रासदी की भरपाई कर सकता है? जनता का गुस्सा सोशल मीडिया पर साफ दिख रहा है, जहां लोग पूछ रहे हैं कि इतनी जानें लेने की जिम्मेदारी कौन लेगा? क्या टाटा समूह और एयर इंडिया का प्रबंधन अपनी गलतियों के लिए जवाबदेह होगा, या यह हादसा केवल आंकड़ों में सिमटकर रह जाएगा? लोग मांग कर रहे हैं कि हादसे की गहन जांच हो, और दोषियों को सजा मिले, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
हादसा है बड़ा सबक
अहमदाबाद विमान हादसा टाटा समूह, एयर इंडिया, और बोइंग के लिए एक कठोर सबक है। डीजीसीए की चेतावनियों को नजरअंदाज करना, रखरखाव में लापरवाही, और संभवतः लागत कटौती के लिए सुरक्षा से समझौता करना इस त्रासदी का कारण बना। अब जरूरत है कि सुरक्षा मानकों को और सख्त किया जाए, पायलटों के प्रशिक्षण और रोस्टरिंग में सुधार हो, और विमानों का रखरखाव प्राथमिकता बने। यह हादसा न केवल 275 परिवारों के लिए एक अपूरणीय क्षति है, बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है कि सुरक्षा से समझौता कभी स्वीकार्य नहीं हो सकता।