शेर सिंह राणा का जिक्र आते ही एक के बाद एक, तीन ऐसी घटनाएं जेहन में आती हैं जब देश भर के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कैमरे अचानक इस शख्स की तरफ ऐसे मुड़ गए थे जैसे देश-दुनिया में कुछ और चल ही न रहा हो. अखबारों, पत्रिकाओं और समाचार चैनलों में तब दूसरी खबरों के लिए बहुत ही कम स्पेस रह गया था और हर जगह इन्हीं घटनाओं की चर्चा थी. ऐसा होना इस लिए भी लाजमी था क्योंकि एक तो इन घटनाओं के सिरे एक दूसरे से बहुत गहरे जुड़े थे और दूसरा यह कि इन घटनाओं के केंद्र में एक ही शख्स था. ये तीन घटनाएं थीं, चंबल के बीहड़ से निकल कर संसद तक पहुंचने वाली दस्यु सुंदरी फूलन देवी की हत्या, उनकी हत्या के आरोप में गिरफ्तार शेरसिंह राणा का तिहाड़ जेल से फरार होना और दो साल बाद दोबारा पकड़े जाने पर यह दावा करना कि वह अफगानिस्तान स्थित पृथ्वीराज चौहान की समाधि से उनकी अस्थियां लेकर आया है. इन तीनों ही घटनाओं ने तब समाचार चैनलों की ब्रेकिंग न्यूज बनकर भयंकर सनसनी मचा दी थी.
मीडिया द्वारा बंपर तरीके से कवर की गई घटनाओं का सिलसिलेवार जिक्र करने के क्रम में सबसे पहले 25 जुलाई, 2001 की घटना का जिक्र आता है. उस दिन सुबह के वक्त खबर आई कि फूलन देवी के नई दिल्ली स्थित सरकारी बंगले के बाहर कुछ नकाबपोश बदामाशों ने उनकी गोली मार कर हत्या कर दी है. देश की राजधानी के सबसे महफूज इलाकों में से एक में हुई इस हत्या ने सभी को सन्न कर दिया. फूलन देवी के हत्यारों और हत्या के कारणों को लेकर देश भर की मीडिया तरह-तरह की बातें कह ही रही थी कि इस बीच शेर सिंह राणा नाम के एक युवक का नाम इस हत्याकांड में सामने आ गया. दिल्ली पुलिस के मुताबिक फूलन देवी को गोली मारने वाले नकाबपोश बदमाशों में से एक उत्तराखंड के रुड़की शहर का रहने वाला युवक शेर सिंह राणा था. इस वारदात के दो दिन बाद शेर सिंह ने देहरादून पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया और फूलन देवी की हत्या में शामिल होने की बात स्वीकार कर ली. इस हत्या को अंजाम देने का जो कारण तब सामने आया उसने देश के अंदर सदियों से मौजूद जातीय अस्मिता और उसको लेकर होने वाले खूनखराबे की असलियत सामने लाकर रख दी. पुलिस को दिए अपने बयान के मुताबिक शेर सिंह ने फूलन देवी की हत्या इसलिए की क्योंकि डकैत रहते हुए फूलन देवी ने जितनी भी हत्याएं की उनमें अधिकतर ठाकुर समुदाय के थे. बेहमई हत्याकांड तो खास चर्चित है. तब फूलन देवी ने बेहमई नाम के गांव में ठाकुर समुदाय के 20 लोगों को गोलियों से भून दिया था. पुलिस का कहना था कि इन्हीं ठाकुरों की हत्या का बदला लेने के लिए शेर सिंह राणा ने फूलन देवी की हत्या की. हालांकि बाद में वह इससे मुकर गया था. अपनी किताब ‘जेल डायरी’ में उसने पुलिस पर ऐसा बयान देने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया है. साल 2012 में शेर सिंह के छोटे भाई विजय राणा ने उसे पूरी तरह निर्दोष बताया था. लगभग 12 साल बाद जमानत पर जेल से छूटे विजय राणा ने कहा कि पुलिस ने उसे फर्जी तरीके से इस मामले में फंसाया और पूरी उम्मीद है कि वह बेगुनाह साबित होगा.
फूलन देवी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार होने के बाद शेर सिंह राणा को तिहाड़ जेल में डाला गया और उस पर मुकदमा भी शुरू हो गया था. लेकिन समाचार चैनलों की ब्रेकिंग न्यूज वाली पट्टियों पर एक बार फिर से उसका नाम आना अभी बाकी था. तीन साल के अंतराल के बाद 17 फरवरी, 2004 को उसके तिहाड़ जेल सेे फरार हो जाने के साथ ही यह भी हो गया. उस दिन शेर सिंह राणा तिहाड़ की चाकचौबंद व्यवस्थाओं को धता बताते एकदम फिल्मी अंदाज में तिहाड़ जेल से फरार हो गया. तिहाड़ जैसी मजबूत जेल से किसी कैदी का पुलिस को चकमा देकर भाग जाना अपने आप में बहुत बड़ी बात थी, लिहाजा मीडिया ने भी इस मामले को हाथों हाथ लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
कुछ समय बाद यह मामला कुछ ठंडा सा पड़ गया और मीडिया के कैमरे दूसरी खबरों की तरफ मुड़ गए. लेकिन इस बीच शेर सिंह की तलाश के लिए गठित स्पेशल पुलिस की टीम को बड़ी कामयाबी मिल गई.17 मई, 2006 की रात उसने शेर सिंह को कोलकाता से धर दबोचा और इसके साथ ही टीवी स्क्रीन पर एक बार फिर से उसका चेहरा दिखने लगा.
शेर सिंह की पुलिस गिरफ्तारी से बड़ी खबर यह थी की वह कथित तौर पर अफगानिस्तान से पृथ्वीराज चौहान की अस्थियां वापस लाया है
शेर सिंह को गिरफ्तार करने का पुलिस का यह कारनामा काफी सराहनीय था, लेकिन जब तक मीडिया शेर सिंह राणा को गिरफ्तार करने वाली पुलिसिया कामयाबी का जिक्र करता तब तक शेर सिंह राणा ने एक ऐसा दावा कर दिया जिसने समाचार चैनलों को सबसे बड़ी टीआरपी बटोरने का सुनहरा मौका दे दिया. दरअसल कोलकाता से गिरफ्तार होने के साथ ही उसने दावा किया कि जेल से फरारी के बाद वह बांग्लादेश होते हुए अफगानिस्तान पहुंचा था. उसने यह भी कहा कि वह वहां स्थित पृथ्वीराज चौहान की समाधि से उनकी अस्थियां भारत लेकर आया है. अपने इस कारनामे को हिंदू अस्मिता से जोड़ते हुए उसने खुद को सच्चा देशभक्त बताने का दावा किया. इस घटना की सत्यता साबित करने के लिए तब शेर सिंह ने एक वीडियो रिकॉर्डिंग भी पेश की जिसने टीवी चैनलों के लिए लंबे समय तक खाद पानी का काम किया.
2006 में हुए इस वाकये के बाद शेर सिंह राणा का नाम फिलहाल समाचार चैनलों के लिए अप्रासंगिक हो चुका है. शेर सिंह ने उसके बाद क्या किया, फूलन देवी हत्यांकाड के तहत उसके खिलाफ चल रहे मुकदमे की सुनवाई कहां तक पहुंची जैसी जानकारियों को लेकर मीडिया ने उतनी कवरेज फिर कभी नहीं की. कई लोगों के मुताबिक इन वर्षों में देश और दुनिया में बहुत सी दूसरी घटनाएं ऐसी रहीं जो टीवी चैनलों के मिजाज के अनुरूप ब्रेकिंग न्यूज के लिए ज्यादा मुफीद रही. बावजूद इसके इस जिज्ञासा से इनकार नहीं किया जा सकता कि शेर सिंह राणा का हालिया स्टेटस क्या है.
पिछले साल आठ सितंबर को शेर सिंह राणा को अंतिम बार सार्वजनिक रूप से देहरादून की जिला अदालत परिसर में देखा गया. दिल्ली पुलिस की टीम उसे वहां डेढ़ दशक पुराने कार लूट के एक मामले में पेशी के लिए लाई थी. उस दिन देहरादून पुलिस ने शेर सिंह के खिलाफ उस मामले में आरोप पत्र दाखिल किया था. इस मामले की सुनवाई देहरादून की अदालत में चल रही है. शेर सिंह पर आरोप है कि उसने 1997 में देहरादून के रहने वाले एक व्यक्ति कपिल शर्मा के साथ मारपीट करके उसकी कार लूट ली थी. कपिल शर्मा ने राणा को तब पहचाना था जब फूलन देवी की हत्या में उसका नाम आने पर टीवी चैलनों में उसकी तस्वीर दिखी थी. इसके अलावा शेर सिंह राणा ने 2012 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने की इच्छा भी जताई थी.
फूलन देवी हत्या कांड के मुकदमे में फैसला आते ही शेर सिंह राणा का एक बार फिर चर्चा में आना तय है, चाहे वह दोषी साबित हो या नहीं
अब बात फूलन देवी हत्याकांड के मुकदमे की करें तो दिल्ली स्थित पटियाला हाउस कोर्ट में चल रहा यह मुकदमा अपने अंतिम चरण में है. इस मामले में ट्रायल लगभग पूरा हो चुका है. इस मामले में शेर सिंह राणा सहित 12 लोगों को आरोपी बनाया गया है. एक आरोपी की मौत होने के कारण उसके खिलाफ मामला बंद हो चुका है. उम्मीद जताई जा रही है कि इस साल के अंत तक इस मामले में फैसला आ जाएगा. शेर सिंह राणा के भाई राजू राणा कहते हैं, ‘बहुत जल्द मेरा भाई बाइज्जत बरी होकर सलाखों के बाहर होगा.’ राजू राणा शेर सिंह राणा को तिहाड़ से भगाने की साजिश रचने के जुर्म में आरोपित है और तकरीबन साढे़ ग्यारह हालों तक जेल में रहने के बाद पिछले साल ही जमानत पर बाहर आया है.
बहरहाल भले ही शेर सिंह राणा समाचार चैनलों से गायब है, लेकिन इतना तय है कि फूलन देवी हत्या कांड के मुकदमे में फैसला आते ही समाचार चैनलों की ब्रेकिंग न्यूज वाली पट्टियां एक बार फिर उसके नाम को लेकर सरपट दौड़ती हुई दिखेंगी. चाहे वह दोषी साबित हो या बेगुनाह.