बंटी

बंटी

तिरुवनंतपुरम सेंट्रल जेल में अपना वक्त गुजार रहे देवेंद्र सिंह उर्फ ‘बंटी चोर’ के नामों की फेहरिस्त इतनी लंबी है कि वह शायद खुद भी भूल चुका है. यही वजह है कि अदालत में जमा किए गए शपथपत्र के हर परिच्छेद में उसका एक नया नाम लिखा हुआ है.

खैर, उसके असली नाम की गुत्थी सुलझाने में तो वक्त लग सकता है लेकिन दुनिया के लिए तो वह ‘बंटी चोर’ ही है. वह शख्स जो चोरी के अपने अलहदा अंदाज और हर बार पुलिस को चकमा देने के लिए कुख्यात है.

बंटी को चोरी करने और पुलिस को छकाने की बुरी लत है. इसी लत के चलते वह सुर्खियों को सुर्ख करता रहा. यह कहना मुश्किल है कि बंटी को खबर में बने रहने की आदत है या मीडिया उसे खबर बनाए बगैर नहीं रह पाता. सबसे पहले 2004 में बंटी को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था. उसकी कुख्याति ने उसे 2010 में बिग बॉस के चौथे सीजन में जगह दिलवाई. लेकिन यह शायद उसकी एक जगह न टिकने की आदत ही थी कि वह उस घर में भी एक दिन से ज्यादा नहीं टिक पाया. हिंसा और बदसलूकी की वजह से बंटी को दूसरे ही दिन घर से निकाल दिया गया.

इसके बाद साल 2012 में बंटी का नाम हरियाणा के पलवल में हुई एक चोरी से जुड़ा जिसके चलते उसे भोपाल पुलिस ने धर दबोचा. बाद में उसे दिल्ली पुलिस के हवाले कर दिया गया. पुलिस ने बंटी से पुराने समय के कुछ कीमती गहने और चांदी का सामान बरामद किया था. इन्हें बेचने के लिए वह एक सुनार की दुकान पर गया था, लेकिन अफसोस कि दुकानदार ने बंटी को पहचान लिया और पुलिस को खबर कर दी.

पिछले साल यानी 2013 में एक बार फिर बंटी को अखबारों में जगह मिली जब वह एक बार फिर पुलिस के हत्थे लगा. इस बार उसको पकड़ने का सेहरा केरल पुलिस के सर पर बांधा गया. बताया गया कि तिरुवनंतपुरम में एक एनआरआई के घर में हाथ साफ करने के बाद बंटी ने पुणे में अपना डेरा जमाया था जहां एक लॉज में पुलिस ने उसे धर दबोचा और केरल पुलिस के हवाले कर दिया.

खबरों के मुताबिक पुलिस जब बंटी के कमरे में दाखिल हुई तब वह न्यूज चैनल पर केरल में किए गए अपने कारनामे के बारे में ही देख रहा था. सुनने में यह भी आया कि पहली बार में तो बंटी ने केरल पुलिस को भी चकमा दे दिया था, लेकिन इस बात में कितनी सच्चाई है, इसका खुलासा आज तक नहीं हो पाया है. वैसे भी बंटी के कारनामों में दिलचस्पी लेने वाले लोग कई बार अतिउत्साह में आकर कुछ ऐसी बातें भी कह जाते हैं जिनका सच्चाई से कोई लेनादेना नहीं होता. शायद बंटी को दिया गया ‘सुपर चोर’ का खिताब उसके ऐसे ही ‘प्रशंसकों’ की देन है.

केरल पुलिस के हिरासत में लिए जाने के बाद बंटी अचानक सुर्खियों से गायब हो गया. मीडिया को भी एक्शन की ही तलाश होती है और फिलहाल बंटी ऐसा कुछ मसालेदार नहीं परोस पा रहा है क्योंकि वह तिरुवनंतपुरम सेंट्रल जेल में बेहद ही कड़ी सुरक्षा के बीच समय काट रहा है. न्यायालय के अगले आदेश तक बंटी को चाक-चौबंद सुरक्षा के बीच इस जेल में रखा गया है.

तहलका से बातचीत में तिरुवनंतपुरम सेंट्रल जेल के वेलफेयर अधिकारी जॉय एस बताते हैं, ‘अभी बंटी का बर्ताव ठीक है. वह समय पर खाता है, ठीक से बात करता है, पुलिस अधिकारियों का सहयोग करता है, लेकिन बीच-बीच में वह यह जाहिर करने से नहीं चूकता कि वह भगवान कृष्ण का अवतार है. अपनी गिरफ्तारी के बाद बंटी ने मीडिया से बातचीत में भी कहा था कि उसे भगवान कृष्ण द्वारा धरती पर भेजा गया है और वह उनका पांचवां अवतार है.

जाहिर है कि ऐसी दिलचस्प बातें बताते हुए वेलफेयर अधिकारी जॉय भी हंसे बिना नहीं रह पाते. ऐसी अजीबोगरीब बातें करके बंटी, न्यायालय और पुलिस को उलझाने की कोशिश करता है. वैसे अपने इस रवैये की वजह से बंटी को जेल से बाहर निकालकर कुछ दिन मानसिक चिकित्सालय में भी बिताने पड़े थे, लेकिन कुछ दिनों बाद उसे वहां से छुट्टी मिल गई. फिलहाल वह जेल में ही अपनी निराली बातों से सबके आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

बंटी का जेल में बर्ताव ठीक है, लेकिन वह बार-बार खुद को भगवान कृष्ण का अवतार कहता रहता है

बंटी पर देशभर में चोरी के 500 से भी ज्यादा आरोप दर्ज हैं. केरल पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद कई वकीलों ने उसके केस में दिलचस्पी दिखाई थी, लेकिन जॉय एस की मानें तो बंटी के अजीब रवैये और हर बार अलग जानकारी देने की वजह से उनमें से कई वकील अब पीछे हट गए हैं. वैसे जहां तक जेल में बंटी के व्यवहार की बात है तो वह काफी अच्छा है. जेल अधिकारी के मुताबिक बंटी पूरी कार्रवाई में काफी सहयोग कर रहा है लेकिन भाषा की वजह से उसकी बात समझने और समझाने में थोड़ी दिक्कत जरूर आती है. कभी-कभी तो एक बात को समझाने में आधा घंटा लग जाता है.

बदनामी में भी नाम है – इस बात को काफी हद तक सच साबित करने वाले बंटी के कारनामों को देखते हुए मलयालम फिल्म उद्योग भी उसके नाम को भुनाने में लगा हुआ है. केरल में की गई चोरी के बाद बंटी को लेकर दक्षिण भारत में भी लोगों की रुचि बढ़ने लगी और ऐसी खबरें आईं थीं कि 2013 में बंटी के ऊपर दो मलयालम फिल्में बनाई जा रही हैं. गौरतलब है कि बॉलीवुड में तो 2008 में ही बंटी पर आधारित ‘ओए लकी, लकी ओए’ फिल्म बन गई थी जिसे काफी सराहा गया था. फिल्म का निर्देशन दिबाकर बनर्जी ने किया था और मुख्य भूमिका में अभय देओल थे.

ब्रेकिंग न्यूज ने कइयों को पहचान दिलाने का काम किया है लेकिन बंटी ने जिस पेशे का चुनाव किया उसके साथ अपनी पहचान जाहिर न होने की अनिवार्य शर्त जुड़ी हुई थी. अफसोस कि  खबरों में रहने और नाम हासिल करने के बाद अब यही पहचान बंटी के पेशे में रुकावट का सामान बनती जा रही है.