नई दिल्ली: वोटर आईडी को आधार से लिंक करने के लिए चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला लिया है। मंगलवार को हुई एक अहम बैठक में देश के निर्वाचन आयोग ने इन दोनों को आपस में जोड़ने की अनुमति दे दी है। आयोग ने साफ किया कि यह प्रक्रिया पूरी तरह संविधान और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत ही होगी।
चुनाव आयोग की ओर से बयान जारी कर कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 23(4), 23(5) और 23(6) के अनुसार ईपीआईसी को आधार से जोड़ा जाएगा। इससे पहले सरकार ने पैन कार्ड को आधार से जोड़ने का फैसला किया था। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि आधार कार्ड सिर्फ पहचान का प्रमाण है, नागरिकता का नहीं। इसलिए आधार से लिंक करने की प्रक्रिया यह सुनिश्चित करेगी कि सिर्फ भारतीय नागरिक ही मतदाता सूची में दर्ज हों। आयोग ने कहा, “संविधान के अनुसार, मतदान का अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को ही मिल सकता है। आधार सिर्फ व्यक्ति की पहचान साबित करता है, उसकी नागरिकता नहीं। इसलिए इस प्रक्रिया को कानूनी दायरे में रखा जाएगा और सुप्रीम कोर्ट के सिविल के फैसले के अनुरूप आगे बढ़ाया जाएगा।” चुनाव आयोग और आधार कार्ड जारी करने वाली संस्था यूआईडीएआई के तकनीकी विशेषज्ञ जल्द ही इस पर काम शुरू करेंगे। इस पूरी प्रक्रिया को साइबर सुरक्षा और डेटा प्राइवेसी का ध्यान रखते हुए किया जाएगा, ताकि कोई भी नागरिकता से जुड़ा भ्रम न फैले।
दरअसल, चुनाव आयोग ने हाल ही में फैसला लिया था कि वो अगले तीन महीने के भीतर डुप्लिकेट नंबर वाले वोटर आईडी को नए EPIC नंबर जारी करेगा। चुनाव आयोग ने कहा थआ कि डुप्लिकेट नंबर होने का मतलब फर्जी वोटर नहीं है। आधार को EPIC से जोड़ने के पीछे का मुख्य उद्देश्य वोटर लिस्ट में गड़बड़ी को दूर करना और उसे साफ सुथरा बनाना है. चुनाव आयोग का मानना है कि इस कदम से फर्जी वोटरों की पहचान करने में मदद मिलेगी।