चक्र सुदर्शन
डैमोक्रैसी ग्रीक से, निकली सदियों पूर्व, भारत में यह ठीक से, चलती दिखे अपूर्व। चलती दिखे अपूर्व, चलाते हैं अपराधी, जब भी संकट आया, इसकी डोरी साधी। चक्र सुदर्शन, आम जनों की ऐसी–तैसी, गर्व करो तुम, बची हुई है डैमोक्रैसी। अशोक चक्रधर |