एक बार फिर ‘बिग बॉस’ का घर सज गया है. हमेशा की तरह ‘बिग बॉस’ के इस नए संस्करण ने भी पर्याप्त विवादों को जन्म दिया है. शो में विवादास्पद यहां तक कि आपराधिक मामलों में आरोपित कथित सेलिब्रिटियों की मौजूदगी पर सवाल उठ रहे हैं. कहा जा रहा है कि इससे अच्छा होता कि ‘बिग बॉस’ का सेट तिहाड़ जेल में लगाया जाता और वहीं की शूटिंग दिखाई जाती.
दूसरी ओर, शिव सेना और एमएनएस ने ‘बिग बॉस’ के घर में दो पाकिस्तानी कलाकारों- वीना मलिक और बेगम नवाजिश अली को शो से तुरंत निकालने की मांग की है. इस मांग को न मानने पर सेना ने इस शो को बंद करने की धमकी भी दी है. लोनावाला जहां बिग बॉस की शूटिंग चल रही है, वहां सेना के आह्वान पर एक दिन का बंद हो चुका है.
मतलब यह कि ‘बिग बॉस’ सुर्खियों में है. चैनल को और क्या चाहिए? कुछ मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, ‘बिग बॉस’ की जिस दिन शुरुआत हुई, उस दिन उसने टीआरपी की दौड़ में कॉमनवेल्थ खेलों के भव्य उद्घाटन समारोह को भी पीछे छोड़ दिया. असल में, सारा खेल ही टीआरपी के लिए है. टीआरपी के लिए जरूरी है कि विवाद और हंगामे हों. इससे सुर्खियां मिलती हंै. सुर्खियों से दर्शक आकर्षित होते हैं और उससे टीआरपी बढ़ती है.
रियलिटी शो की ‘रियलिटी’ हमेशा से सवालों के घेरे में रही है, वैसे ही उनसे जुड़े विवादों की ‘वास्तविकता’ भी किसी से छिपी नहीं है
इस तरह, किसी शो की सफलता का फॉर्मूला यह बन गया है कि जितना बड़ा विवाद, उतनी अधिक टीआरपी. और उसी अनुपात में बढ़ता चैनल का मुनाफा. इसलिए, हर चैनल और उसके रियलिटी शो विवादों को न सिर्फ पसंद करते हैं बल्कि विवाद पैदा करने के लिए हर जुगत भिड़ाते हैं. सच पूछिए तो जैसे रियलिटी शो की ‘रियलिटी’ हमेशा से सवालों के घेरे में रही है, उसी तरह से उनसे जुड़े विवादों की ‘वास्तविकता’ भी किसी से छिपी नहीं है.
यही नहीं, चैनल और उनके शो खासकर बिग बॉस जैसे रियलिटी शो अपनी लोकप्रियता बनाए रखने के लिए लगातार विवादों को हवा देते रहते हैं, नए-नए विवाद पैदा करते हैं और ‘विवाद’ रचने में भी पीछे नहीं रहते हैं. आश्चर्य नहीं कि ‘बिग बॉस’ सीजन-4 के लिए ऐसे लोगों को चुना गया है जो पहले से ही किसी न किसी विवाद में रहे हैं और जिनका ‘सेलिब्रिटी’ स्टेटस विवादों पर ही टिका है. जैसे चैनल विवादों के बिना नहीं रह सकते हैं, उसी तरह से ये सभी देवियां और सज्जन बिना विवादों के नहीं रह सकते हैं. दोनों एक-दूसरे की जरूरत हैं. एक-दूसरे की मदद से ही इनका शो बिजनेस चलता है.
ऐसा लगता है कि इनका मंत्र है- ‘मनोरंजन के लिए कुछ भी करेगा’ लेकिन बिग बॉस-4 में तो हद ही हो गई है. ऐसे-ऐसे लोगों को चुना गया जिन्हें शामिल करने का तर्क शायद शो के निर्माताओं के पास भी नहीं होगा. सवाल है कि उनके जरिए ‘बिग बॉस’ क्या संदेश देना चाहते हैं क्या यह अपराध और अनैतिक कार्यों को महिमा मंडित (ग्लैमराइज) करने की कोशिश नहीं है? माफ कीजिएगा, बिग बॉस का घर कोई सुधार गृह नहीं है और न ही वहां कोई सुधरने के लिए लाया गया है. सच तो यह है कि वे सुधरना भी चाहें या अपने को एक बेहतर व्यक्तित्व के रूप में पेश करना चाहें तो चैनल उन्हें ऐसा करने नहीं देगा.
असल में, यह इस शो की अलिखित स्क्रिप्ट का हिस्सा है. इस शो के प्रतिभागियों से अनैतिक, अभद्र, अश्लील, आक्रामक और अटपटे व्यवहार की अपेक्षा की जा रही है. इसके शुरुआती एपिसोडों से यह दिखने भी लगा है. प्रतिभागियों के बीच धड़ल्ले से द्विअर्थी संवाद बोले जा रहे हैं, कृत्रिम प्रेम संबंध रचे जा रहे हैं, एक-दूसरे के खिलाफ षड्यंत्र चल रहे हैं, एक-दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश की जा रही है, झगड़े हो रहे हैं, रोना-गाना चल रहा है और अश्लीलता के नए मानदंड रचे जा रहे हैं. इससे साफ है कि इस शो का मकसद दर्शकों का मनोरंजन करने से अधिक उनकी बुद्धि के सबसे निम्नतम स्तर (लोएस्ट कॉमन डिनोमिनेटर) को सहलाना है.
असल में, ‘बिग बॉस’ जैसे रियलिटी शो दर्शकों को इन कथित सेलिब्रिटियों के आपसी झगड़ों, षड्यंत्रों, अश्लीलताओं, रोने-गाने, प्रेम-नफरत और घर से विदाई में एक परपीड़क आनंद देते हैं. इससे भी बढ़कर वे दर्शकों को चौबीसों घंटे इन सेलिब्रिटीज के घर में ताक-झांक का मौका देते हैं जिससे उन्हें एक खास तरह का रतिसुख मिलता है. यह कहना गलत नहीं होगा कि बिग बॉस जैसे कार्यक्रम दर्शकों को परपीड़क और रतिसुख के आदी बना रहे हैं.
इस तरह, बिग बॉस जैसे कार्यक्रम एक ऐसा मध्यवर्गीय दर्शक वर्ग पैदा कर रहे हैं जो उदात्त मानवीय भावनाओं को आगे बढ़ाने कीे बजाय दूसरों के दुख और कष्ट में लुत्फ लेता है, जो दूसरों के घरों में अनुचित ताक-झांक करने में संकोच नहीं करता, जो दूसरों के झगड़ों में मजा लेता है और जो पीठ पीछे निंदा, चुगली, चापलूसी और षड्यंत्र करने को सफलता के लिए जरूरी मानता है.
इसे ही मनोरंजन कहते हैं? अगर यह मनोरंजन है तो यह ‘मनोरंजन से मौत’ (डेथ बाई इंटरटेनमेंट) का उदाहरण भी है.