संकरी गलियों की भूलभुलैया वाला इलाहाबाद का करेली मोहल्ला. मुसलिम बहुल इसी मोहल्ले की एक गली में तकुआ इस्लामिक स्कूल है जहां हमें वेदों और कुरान की शिक्षा एक साथ देने वाली शिक्षिका असमा शम्स मिलती हैं. वे कहती हैं, ‘सभी धर्म एक ही मंजिल की ओर इशारा करते हैं. यदि आप भगवद गीता, वेद, उपनिषद या फिर कुरान से सुरे इख्लास, सुरे फातेहा पढ़ें तो आप पाएंगे कि इन सबमें एक समानता है. ये सभी ईश्वर की एकता की बात कहते हैं. यही बात स्वामी दयानंद द्वारा लिखी गई किताब सत्यार्थ प्रकाश और ब्रह्मसूत्र में भी कही गई है.’
मदरसे में बच्चों को अच्छी शिक्षा के साथ विभिन्न धर्मों के बीच मौजूद खाई को पाटने की तालीम भी मिलती हैइस इलाके में मदरसों की भरमार है. परंतु इस स्कूल का मिजाज इन मदरसों से बिलकुल जुदा है. नाम भले ही इस्लामिक स्कूल हो लेकिन यहां हर मजहब के बच्चों का स्वागत है. स्कूल इस्लामिक एजुकेशन एंड रिसर्च संस्थान (ईरो) द्वारा चलाया जाता है. पेशे से कंप्यूटर प्रोग्रामर जिया-उस-शम्स इस संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष हैं. अप्रैल 2010 में इस स्कूल की शुरुआत करने वाले जिया कहते हैं कि वे ऐसा संस्थान शुरू करना चाहते थे जहां बच्चों को अच्छी शिक्षा के साथ ही विभिन्न धर्मों के बीच मौजूद खाई को पाटने और भाईचारे को बढ़ावा देने की तालीम दी जाए.
ईरो की स्थापना जनवरी, 2008 में जागरूक नागरिकों के एक समूह ने विभिन्न धर्मों के बीच संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से की थी. इस्लाम के बारे में फैली भ्रांतियां दूर करना भी इसकी स्थापना की एक मुख्य वजह थी. तभी से यह संस्थान शांति और विभिन्न धर्मों में सामंजस्य बैठाने की दिशा में अनथक प्रयास कर रहा है. जिया बताते हैं, ‘यहां एक अनूठी लाइब्रेरी भी है जहां आपको कुरान, हदीस, बाइबिल, गीता और वेद एक साथ रखे हुए मिल जाएंगे. यहां विभिन्न भाषाओं में धर्म ग्रंथ उपलब्ध हंै ताकि आम जनता उन्हें आसानी से पढ़ और समझ सके. यहां आप बाइबिल और भगवद गीता उर्दू में या फिर कुरान अंग्रेजी में पढ़ सकते हैं. हमारा मकसद लोगों को सिर्फ अपने धर्म के बारे में पढ़ने और समझने के लिए प्रेरित करना नहीं बल्कि दूसरे धर्मों को समझना और उसके बारे में फैली गलतफहमियों को दूर करना भी है. ‘जिया के इस कदम को अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है. वे अब ऐसे और स्कूल खोलने की भी सोच रहे हैं. उनके मुताबिक विभिन्न धर्मों के बीच फैले वैमनस्य की मुख्य वजह गलतफहमी और अविश्वास है. वे कहते हैं, ‘विभिन्न धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करने पर कोई भी आसानी से यह निष्कर्ष निकाल सकता है कि सभी धर्म एक ही बात कहते हैं. शांति, सामंजस्य और इंसानियत ही सभी धर्मों का सार है. हम चाहे उसे जिस नाम से बुलाएं या जिस तरीके से उसकी इबादत करें. परंतु वह एक है.’ स्कूल में पढ़ने वाली अल शिफा कहती हैं ‘शिक्षा ही लोगों को शांति और एकता की राह दिखा सकती है. अगर सब आपस में प्यार से रहें तो धरती ही जन्नत बन जाएगी.’
ईरो द्वारा समय-समय पर भाईचारे और आपसी विश्वास को बढ़ावा देने के लिए बैठकें, परिचर्चा और गोष्ठियां भी आयोजित की जाती हैं. इन आयोजनों में सभी समुदायों के बुद्धिजीवी और धार्मिक नेता भाग लेते हैं और एक मंच से शांति के प्रसार और विभिन्न धर्मों के बारे में फैली भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास करते हैं.
आधुनिक विज्ञान के साथ संस्कृत और अरबी पढ़ते तकुआ इस्लामिक स्कूल के बच्चे आश्वस्त करते लगते हैं कि वे आगे जाकर सभी धर्मों को समझने वाले और उनका आदर करने वाले जिम्मेदार नागरिक जरूर बनेंगे.
सैफ उल्लाह खान