खेल खतम, पैसा हजम

मोदी और उनके मित्रों के लिए परेशानियां और भी हैं. इस बात की भी जांच हो रही है कि 2008 में हुई पहली आईपीएल नीलामी के दौरान कहीं उन्होंने कुछ चुनिंदा लोगों को यह तो नहीं बताया था कि वे कितनी बोली लगाएं कि टीम उनकी हो जाए 21 मार्च, सुबह 10 बजकर 28 मिनट, मुंबई के छत्रपति शिवाजी हवाई अड्डे से एक विमान ने तीन मुसाफिरों के साथ चेन्नई के लिए उड़ान भरी. ये तीन कोई आम लोग नहीं थे. इनमें पहले थे वेणुगोपाल धूत, वीडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन, दूसरे थे सुरेश चेलाराम (नाइजीरिया स्थित एक कारोबारी और आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी के साढ़ू) के चचेरे भाई मनोज जैन और तीसरी थीं जैन की पत्नी और स्वर्गीय अभिनेता राज कपूर की बेटी रीमा. ये सभी इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की एक नई टीम को खरीदने की हसरत लिए चेन्नई जा रहे थे. दोपहर साढ़े तीन बजे के करीब यह फ्लाइट वापस मुंबई पहुंची तो तब तक इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की दो नई टीमों के लिए नीलामी पूरी हो चुकी थी. वीडियोकॉन के हाथ इसमें कुछ नहीं आया था. रीमा जैन काफी नाराज थीं और बताया जाता है कि उस शाम एक पार्टी में उन्होंने अपने दिल की भड़ास निकालते हुए अपने दोस्तों को बताया कि क्यों उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा.

यहां से उठी आरोपों की कानाफूसी हाईप्रोफाइल पार्टियों  के सर्किट में घूमती हुई जब  आईपीएल के मुखिया ललित मोदी तक पहुंची तो जवाब में उन्होंने अपने ब्लैकबेरी फोन से सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर टिप्पणी यानी ट्वीट करना शुरू किया. ऐसी सात टिप्पणियों के बाद मोदी के सितारे गर्दिश में आ गए. क्रिकेट पर लिखने वालों ने ट्विटर की वजह से मोदी पर आए संकट की तुलना प्रसिद्ध गोल्फर टाइगर वुड्स से की जिनकी निजी जिंदगी एक फायर हाइड्रेंट की वजह से काफी चर्चा में आ गई थी. मोदी अब आईपीएल मुखिया के पद से बर्खास्त कर दिए गए हैं. उन पर सट्टेबाजी और काले धन को सफेद करने जैसे गंभीर आरोप हैं. अब वे जी-जान से जुटे हैं कि मामला किसी तरह संभल जाए. 15 अप्रैल की दोपहर वे चुपचाप रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुखिया और मुंबई इंडियंस के मालिक मुकेश अंबानी के दफ्तर पहुंचे. एक घंटे तक चली बातचीत में मोदी ने भारत के सबसे अमीर और प्रभावशाली कारोबारी को यह समझाने की भरसक कोशिश की कि उन्हें परेशान किया जा रहा है और ऐसे में उन्हें मदद की जरूरत है.

लेकिन कुछ नहीं हुआ. मोदी को विनम्रता से बताया गया कि अगर आईपीएल टीमों में हुआ निवेश साफ है तो उन्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं और अगर इसमें कोई गड़बड़झाला है तो वे मुश्किल में पड़ सकते हैं. इस घटना के गवाह रहे लोग बताते हैं कि मोदी बहुत नर्वस लग रहे थे.
इसके कुछ ही दिन बाद आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय ने मोदी से गहन पूछताछ की. मोदी फिर से अंबानी से मिलने दौड़े. मगर इस बार टीवी न्यूज चैनलों को इसकी भनक लग चुकी थी. स्क्रीन पर यह खबर ब्रेकिंग न्यूज वाली पट्टियों में दौड़ने लगी. मोदी इस बार भी खाली हाथ ही वापस आए. हां, यह जरूर हुआ कि आईपीएल की टीमों के कुछ मालिकों ने उनके समर्थन में इक्का-दुक्का बयान दे दिए. विजय माल्या, शिल्पा शेट्टी और शाहरुख खान इनमें शामिल थे और इन सभी का कहना था कि आईपीएल भारत में अब तक का सबसे बड़ा खेल ब्रांड है.

मोदी के पिता केके मोदी भी उनके समर्थन में कूदे जिन्होंने दिल्ली में कुछ पत्रकारों से कहा कि ललित मोदी को बीसीसीआई को भूलकर अपनी एक अलग लीग बनानी चाहिए. हालांकि वे यह भूल गए कि इसके लिए खिलाड़ी कहां से आएंगे. अगर मोदी जी टेलीफिल्म्स के सुभाष चंद्रा द्वारा चलाई गई इंडियन क्रिकेट लीग (आईसीएल) में खेलने वाले खिलाड़ियों पर प्रतिबंध लगवाकर उस लीग की हवा निकाल सकते हैं तो उनके साथ भी तो ऐसा हो सकता है. संक्षेप में मोदी के लिए संदेश साफ था. उन्हें साबित करना था कि वे पाक-साफ हैं. अंदर की जानकारी रखने वाले लोग बताते हैं कि यही वजह थी कि भारत का सबसे ताकतवर कारोबारी एक ऐसे मामले पर सरकार की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहता था जिसका केंद्रीय मुद्दा ही भ्रष्टाचार है. मोदी से स्पष्ट तौर पर कह दिया गया कि वे खुद को पाक-साफ साबित करें.

‘एजेंसियों को देश और विदेश से बहुत-सी जानकारियां मिल रही हैं और उम्मीद है कि जल्दी ही आईपीएल से जुड़े कुछ अहम लोगों के खिलाफ पक्के सबूत मिल जाएंगे’

मगर उनके लिए यह आसान नहीं है. इस मामले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग के अधिकारियों ने उस भव्य नौका की फंडिंग के बारे में पक्के सबूत जुटा लिए हैं जिसका ऑर्डर मोदी ने दो साल पहले दिया था. यह नौका माल्टा से मंगाई गई थी और जल्दी-ही यह भारत पहुंचने वाली भी थी. यही नहीं, मोदी का निजी विमान भी संदेह के घेरे में है क्योंकि प्रवर्तन निदेशालय के पास इसके सबूत हैं कि उत्तर भारत के एक राज्य के मुख्यमंत्री ने भी इसका इस्तेमाल किया है. मोदी की इस मुख्यमंत्री के साथ घनिष्ठता बताई जाती है.

मोदी और उनके मित्रों के लिए परेशानियां और भी हैं. इस बात की भी जांच हो रही है कि 2008 में हुई पहली आईपीएल नीलामी के दौरान कहीं उन्होंने कुछ चुनिंदा लोगों को यह तो नहीं बताया था कि वे कितनी बोली लगाएं कि टीम उनकी हो जाए. 2008 के चैंपियन राजस्थान रॉयल्स का ही मामला लें. विजेता और हारने वाले की बोली का अंतर तीन लाख डॉलर था. यानी छह करोड़ 70 लाख डॉलर की विजेता बोली का महज 0.45 फीसदी. प्रवर्तन निदेशालय अब इस बात की पड़ताल कर रहा है कि क्या जीतने वाला समूह (जिसके मुख्य प्रमोटर चेलाराम थे) जानता था कि इसके प्रतिस्पर्धी ने कितनी रकम की बोली लगाई है. बीती मार्च में हुई नई नीलामी में सामने आई कथित अनियमितताओं के बाद तो निदेशालय के पास संदेह करने के लिए सारे कारण हैं.

निदेशालय मल्टी स्क्रीन मीडिया (एमएसएम पूर्व में सोनी एंटरटेनमेंट) द्वारा वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप (डब्ल्यूएसजी) को दी गई उस आठ करोड़ डॉलर की रकम के बारे में भी पड़ताल कर रहा है जो सुविधा शुल्क के तौर पर दी गई. डब्ल्यूएसजी को 91.8 करोड़ डॉलर में आईपीएल के दस साल के प्रसारण अधिकार मिले थे. मगर यह कांट्रैक्ट रद्द हो गया और आईपीएल और एमएसएम के बीच नौ साल के लिए 1.69 अरब डॉलर का एक नया कांट्रैक्ट हुआ. इसके एवज में एमएसएम ने डब्ल्यूएसजी को आठ करोड़ डॉलर दिए.

अब प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी इसकी पड़ताल कर रहे हैं कि क्या इस आठ करोड़ में से ढाई करोड़ डॉलर मोदी, उनके साथियों और कुछ नेताओं के अवैध खातों में गए और क्या मोदी ने इस पैसे का इस्तेमाल केमैन आइलैंड्स की एक कंपनी के मार्फत अपना कॉरपोरेट जेट खरीदने में किया. दिलचस्प यह भी है कि मोदी की कई परिसंपत्तियां ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स या फिर केमैन आइलैंड्स में स्थित कंपनियों के जरिए खरीदी गई हैं और जैसा कि सूत्र बताते हैं कि ‘यही तरीका कई आईपीएल टीमों ने भी अपनाया है.’

जो जयपुर आईपीएल क्रिकेट प्राइवेट लि, राजस्थान रायल्स की मालिक है, उस पर मॉरिशस स्थित ईएम स्पोर्ट्स होल्डिंग्स लि का स्वामित्व है. ईएम स्पोर्ट्स में 44.15 प्रतिशत हिस्सेदारी ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स के ट्रेस्को इंटरनेशनल लि के पास है, जिसके मालिक चेलाराम हैं और जो ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स की दो कंपनियों काबु होल्डिंग्स और वेस्टफील्ड्स कंसल्टेंट के जरिए ट्रेस्को पर स्वामित्व बनाए हुए हैं.
ईएम स्पोर्ट्स में 11.74 फीसदी की एक और हिस्सेदारी हांगकांग स्थित ब्लू वाटर एस्टेट लि के पास है, जिसका नियंत्रण लेकलैन मर्डोक के हाथ में है, जो रुपर्ट मर्डोक के बेटे हैं. राज कुंडरा के परिवार के पास बहामास के कुवी इंवेस्टमेंट्स के जरिए 11.70 प्रतिशत की हिस्सेदारी है. ईएम स्पोर्ट्स में बची हुई हिस्सेदारी मनोज बादले की ब्रिटेन स्थित कंपनी इमर्जिंग मीडिया के पास है.

सूत्रों के मुताबिक जांच की जा रही है कि हिस्सेदारियों का यह जटिल ताना-बाना कहीं हवाला के जरिए काले धन को सफेद करने के लिए तो नहीं बुना गया है. इसकी भी जांच हो रही है कि क्या ऐसी फंडिंग के लिए जरूरी मंजूरी ली गई थी. मोदी को भी अहसास है कि लड़ाई मुश्किल और लंबी है. शायद इसलिए वे 28 अप्रैल की दोपहर मशहूर वकील राम जेठमलानी से मिले और उन्हें अपनी अदालती लड़ाई का जिम्मा सौंपा. लेकिन राजनीतिक हलकोें और दिल्ली के ताकतवर मीडिया को मनाना उनके लिए बहुत मुश्किल है. सूत्र बताते हैं कि मोदी भारत के एक बड़े अखबार के मालिक के बेटे को भी नाराज कर चुके हैं जिन्हें मोदी के आदमियों ने मुंबई में एक आईपीएल मैच के दौरान बॉक्स में उनकी सीट से हटा दिया था. दिल्ली के एक दूसरे बड़े अखबार के साथ भी मोदी के परिवार के मतभेद हैं. इस तरह से उन्हें ज्यादा मदद नहीं मिल पा रही.

विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि ज्यों-ज्यों घोटाले पर संदेह की परत गहराती जा रही है, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह खुद इसमें रुचि लेने लगे हैं. सुनने में आया है कि इंटेलीजेंस ब्यूरो, आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय और डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआई)  के प्रमुख रोज प्रधानमंत्री को इस मामले की प्रगति से जुड़ी ताजा जानकारियां दे रहे हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय के एक सूत्र के शब्दों में ‘एजेंसियों को देश और विदेश से बहुत-सी जानकारियां मिल रही हैं और उम्मीद है कि जल्दी ही आईपीएल से जुड़े कुछ अहम लोगों के खिलाफ पक्के सबूत मिल जाएंगे.’ हर मामले की तरह इस मामले का भी राजनीतिक पहलू है. इस घोटाले पर नजर रखने वाले कुछ वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं का मानना है कि अगर मंत्री- खास तौर से चुनावी सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सदस्य- भ्रष्ट पाए जाते हैं तो उन्हें भी खुद को पाक-साफ साबित करना होगा. यह संकेत इससे भी मिलता है कि मोदी के खिलाफ की जा रही जांच के दायरे में धीरे-धीरे और लोग भी आ रहे हैं.

केंद्रीय कृषि, खाद्य व उपभोक्ता मामलों के मंत्री शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के पति सदानंद सुले का ही मामला लें. सुप्रिया सुले ने शुरू में कहा कि उनके परिवार ने आईपीएल में कोई निवेश नहीं किया है, लेकिन बाद में थोड़ी हिचक के साथ यह माना कि उनके पति की एमएसएम में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी है जिसके पास सभी आईपीएल मैचों के टीवी प्रसारण के अधिकार हैं. सुप्रिया के मुताबिक उनके पति को यह हिस्सेदारी अपने पिता बीआर सुले से पावर ऑफ अटार्नी के जरिए हासिल हुई थी. सूत्र बताते हैं कि इसका पता लगाने के लिए जांच चल रही है कि क्या सुले द्वारा उस फ्रेंचाइजी में हिस्सेदारी की पेशकश हुई थी जिसे वीडियोकॉन हासिल करने की उम्मीद कर रहा था. सूत्र के शब्दों में, ‘मामला सुलझाने के लिए हमें गुम फाइल ढूंढ़ने की जरूरत है.’
यह जांच का एक हिस्सा है. प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी बताते हैं कि जांच के दौरान कई ऐसी जानकारियां भी मिली हैं जिनके तार आईपीएल से सीधे नहीं जुड़ते. ऐसी एक जानकारी राकांपा नेता और नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल और उनकी बेटी नियति के ससुर उत्सव पारेख के बीच सीधा संबंध जोड़ती है. पारेख उस एसएमआईएफएस कैपिटल मार्केट्स के प्रमोटर चेयरमैन हैं जो एक बड़े शेयर मार्केट घोटाले में लिप्त रही थी. अब खबरों के अनुसार वे सिंगापुर के चंगी एयरपोर्ट ग्रुप के साथ मिलकर पश्चिम बंगाल के बर्दवान जिले में 3,500 एकड़ में बन रहे विवादास्पद अंडाल एयरपोर्ट टाउनशिप के निर्माण के लिए लगाई गई बोली के पीछे हैं. पारेख नागपुर के पास गोंदिया में एक हवाई अड्डे के विकास से भी जुड़े हैं. लखनऊ के पास भी वे एक हवाई अड्डे का निर्माण कर रहे हैं. दिलचस्प यह है कि उनके कंसोर्टियम का नाम आईपीएल ब्रह्मपुत्र कंसल्टेंसी लिमिटेड है.

मुंबई स्थित प्रवर्तन निदेशालय के सूत्र तहलका को बताते हैं कि पारेख और उनके सहयोगी हाल ही में एक वित्तीय प्रकरण में फंसे थे. पिछले हफ्ते ही सुप्रीम कोर्ट ने निवेश फर्म मैकेर्टिक कंसल्टेंसी सर्विस (जो स्टुअर्ट एंड मैकेर्टिक या एसएमआईएफएस ग्रुप का हिस्सा है) द्वारा दायर एक याचिका खारिज की है. इस फर्म को एक साल के लिए प्रतिभूति कारोबार से प्रतिबंधित कर दिया गया है, क्योंकि इसने डीएसक्यू बायोटेक लि की शेयर कीमतों में धांधली की थी. इस फर्म पर पारेख और उनके एक सहयोगी का नियंत्रण है.

आईपीएल में गैरक्रिकेटीय कार्यक्रमों के आयोजन की जिम्मेदार पटेल की एक दूसरी बेटी पूर्णा भी नकारात्मक वजहों से सुर्खियों में हैं. मैचों के बाद होने वाली पार्टियों में रौब गांठने और एयर इंडिया के हवाई जहाज को अपनी मर्जी से चलवाने के लिए उनकी काफी आलोचना हुई है. मोदी के साथ अपने संबंधों के कारण प्रवर्तन निदेशालय की निगाह रमेश गोवानी पर भी है, जो मुंबई में फोर सीजंस होटल के मालिक हैं, जहां मोदी नियमित तौर पर ठहरते थे. अधिकारी इसकी वजहों की तलाश कर रहे हैं कि क्यों एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री ने होटल में 2009 और 2010 के बीच छह महीने के लिए सुईट बुक कराया था. इसकी भी जांच हो रही है कि क्यों होटल में हर दूसरे दिन बेहद खास तरह से सफाई होती थी. सूत्र बताते हैं कि फाइव स्टार होटल आम तौर पर इस तरह से सफाई नहीं करते. गोवानी रियल एस्टेट के बड़े कारोबारी तथा मुंबई स्थित कमला मिल्स कॉम्प्लेक्स के मालिक हैं. वे पिछले साल तब खबरों में आए थे जब उनके बेटे की शादी में सलमान खान और प्रियंका चोपड़ा नाचने आए थे. अब लगता है सबके लिए जश्न का दौर फिलहाल थम गया है.