कानून की रखवाली

औघट घाट

घाटे पानी सब भरे औघट भरे न कोय।

औघट घाट कबीर का भरे सो निर्मल होय।। 

अब तो कोई संदेह नहीं है साधो कि अपनी देवभूमि उत्तर प्रदेश को कानून की जबरदस्त रखवाली मिल गई है-मायावती! देखो उनने अपने ही एक मंत्री जमुना निषाद को पहले तो मंत्रिमंडल से निकाल बाहर किया. फिर जब वे मायावती के घर एक बैठक में भाग लेने आ रहे थे तो उत्तर प्रदेश की पुलिस ने उन्हें भरे बाजार सड़क पर रोका और गिरफ्तार करके थाने ले गए. यह सब मायावती के सख्त हुक्म के बिना तो हो ही नहीं सकता था. उत्तर प्रदेश में तो मंत्री क्या एमएलसी भी ऐसे घूमा करते थे कि जैसे उनसे बड़ा कोई कानून है ही नहीं. वही सबसे बड़े हैं और उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता. मायावती मुख्यमंत्री बनते ही हंटर फटकार कर कानून लागू करने में लग गईं. और अब देखो, मछुआरों के इतने बड़े नेता को लखनऊ से पकड़कर उसी महाराजगंज थाने में भेज दिया गया है जिसे उनके लोगों ने घेर लिया था और एक पुलिसवाले को मार गिराया था. 

साधो, मायावती लोकतंत्र और कानून को मानने वाली हैं. प्रधानमंत्री का पद उनका इंतजार कर रहा है. वो मछुआरों के वोटों की चिंता करती रहीं और जमुना निषाद जैसे जाति नेताओं को अपनी वाली करने की छूट देती रहीं तो देश, कानून और संविधान का क्या होगा!

साधो ये बड़ी हिम्मत की बात है. मुख्यमंत्री चाहे तो उसकी पुलिस किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है. फिर ये जमुना निषाद तो मायावती के बनाए ही मंत्री बने थे और तभी तक बने रह सकते थे जब तक कि बहनजी की मेहरबानी होती. लेकिन ये निषाद मामूली आदमी नहीं है. उत्तर प्रदेश में मछुआरों का अच्छा भला समाज है. कोई तीन दर्जन विधानसभा सीटों पर उनके वोट से उलटफेर हो सकता है. जमुना निषाद उनके ऐसे नेता हैं कि जब रामजन्मभूमि की लहर चल रही थी तब वे भाजपा के साथ अयोध्या में राम मंदिर बनवा रहे थे. फिर समाजवाद लाने के लिए मुलायम सिंह यादव सत्ता में आए तो निषाद समता लाने के लिए उनके साथ हो गए. वहां भी उनकी तूती बोलने लगी. फिर बहुजन का राज चलाने के लिए मायावती आई तो दलित राज निषाद उनके साथ हो गए. विधायक हुए, मंत्री हुए और वही मछली पालन का विभाग लिया जिससे अपने मछुआरे समाज की सेवा कर सकें. जमुना निषाद का ऐसा पव्वा है इसीलिए तो भाजपा, समाजवादी और बहुजन समाज सभी उनकी सेवाएं ग्रहण करने को तैयार बैठे रहते हैं.

ऐसे नेता को गिरफ्तार करना या मंत्रिमंडल से बाहर बैठाना ही साधो बड़ा मुश्किल होता है. ये जमुना निषाद अपने चुनाव क्षेत्र गए थे कि वहां के लोगों ने कहा कि अपने समाज की एक लड़की के साथ बलात्कार हुआ है और पुलिस उस पर लीपापोती कर उसे रफा-दफा करने में लगी है. निषाद को अपने लोगों के साथ जाना पड़ा. किन लोगों ने थाना घेरा और किसने कांस्टेबल कृष्णानंद राय को मारा वे नहीं जानते. पुलिस वालों ने झूठा केस बनाकर उन्हें फंसा दिया है. मायावती ने सुना और कहा कि जब तक जांच नहीं हो जाती किसी को पकड़ा कैसे जा सकता है? मायावती कानून को मानने वाली हैं साधो! उनने अपने मंत्री जमुना निषाद को सिर्फ इस्तीफा देने को कहा. इस्तीफा हो गया. लेकिन यह कांस्टेबल के थाने में मारे जाने का मामला था साधो. पुलिसवाले भी बहुत गुस्से में थे. फिर मंत्री की अगुवाई में ही लोग थाने पर हमले करने औऱ पुलिस को मारने लगे तो कानून का क्या होगा! मायावती के प्रधानमंत्री बनने का क्या होगा.

साधो, मायावती लोकतंत्र और कानून को मानने वाली हैं. प्रधानमंत्री का पद उनका इंतजार कर रहा है. वो मछुआरों के वोटों की चिंता करती रहीं और जमुना निषाद जैसे जाति नेताओं को अपनी वाली करने की छूट देती रहीं तो देश, कानून और संविधान का क्या होगा! मायावती ने अपने लोगों को साफ कह दिया है. थानों में मत जाओ. जो भी शिकायत है मेरे पास लाओ. पुलिस से काम करवाना मेरा काम है. मैं उत्तर प्रदेश में अच्छा शासन चलाऊंगी तभी तो देश पर शासन चला सकूंगी. उनके मंत्रियों ने कहा ठीक ही बहनजी! आप प्रधानमंत्री बनेंगी तो हम भी केंद्र में मंत्री बनेंगे ना!

प्रभाष जोशी

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