स्वास्थ्योपदेश – डायबिटीज के रोगी को ‘पेनलेस’ हार्ट अटैक भी हो सकते हैं
शिक्षाप्रद कहानियों का लंबा इतिहास रहा है. खूब लिखी, पढ़ी गई हैं. दरअसल, इतनी लिखी गई हैं कि यदि इनसे लोग वास्तव में ही शिक्षा लेने बैठ जाते तो यह दुनिया अब तक ऐसी बदल गई होती कि इसे शिक्षाप्रद कहानियों की आवश्यकता ही न रह जाती. पर दुनिया नहीं बदली मगर इसके बदलने की आशा हमेशा रहती है और इसी आशा के चलते ये कहानियां अभी भी लिखी जा रही हैं. मैं खुद भी लिख रहा हूं. कोशिश है कि ये कहानियां अपने पाठकों को बीमारियों, स्वास्थ्य, जांचों, दवाइयों, गलतियों, गलतफहमियों, अंधविश्वासों, ढकोसलों के विषय में एक नए कोण से समझ सकें. शायद इन स्वास्थ्योपदेशों से आप कुछ सबक लें. आशा तो यही है. तो इस बार की कहानी कुछ यूं है :
कहानी
यह कहानी हिंदी के एक मूर्धन्य संपादक, आलोचक, कवि की है. बेहद सुलझे व्यक्ति उम्र सत्तर के पार. डायबिटीज के पुराने रोगी. नियमित दवाएं. नियम से जांचें. अपनी डायबिटीज को पूरा कंट्रोल में रखते हैं – इस बात पर संतोष तथा गर्व भी. व्यायाम नियमित. कोई नशा नहीं. तंबाकू नहीं. ऐसे सात्विक मरीज हैं जैसे हिंदी लेखकों में देखने को तरस जाओ. ये अभी हाल ही में मध्यप्रदेश सरकार के एक कार्यक्रम में उज्जैन में थे. वहां (शायद मंच पर ही) पेट में बेचैनी और गैस-सी लगी. बढ़ी तो उठे. उठे तो आंखों के सामने अंधकार सा आया. गिरते-गिरते बचे. डॉक्टर को दिखाया. दो ईसीजी लिए गए और अंतत: गैस तथा ऐसिडिटी की दवाएं लेकर दिल्ली अपने घर आ गए. दिल्ली पहुंचकर भी वही गैस और पेट में बेचैनी. गैस इतनी कि पेट में अफारा-सा मचा है. पेट ऐसा फूला हुआ कि लेटना कठिन. रात इसी बेचैनी में उठते-बैठते बिताई. डॉक्टर का बताया एंटासिड लेते रहे. फिर सुबह छह बजे मुझे भोपाल फोन कर पूरा किस्सा बताया. मैंने फोन पर ही उन्हें तीन बातें कही –
1- कि लगता है कि उज्जैन में जो हुआ वह ‘गैस की प्रॉब्लम’ न होकर हार्ट-अटैक था.
2- कि लगता है कि हार्ट अटैक में दिल का पंप अचानक कमजोर हुआ है और बेचैनी इस कारण है कि हृदय खून को आगे पंप नहीं कर पा रहा तो खून पीछे फेफड़ों, लीवर आदि में ‘कंजेशन’ कर रहा है.
3- कि पहले ही गैस मानकर बहुत देर की जा चुकी है, तुरंत आईसीयू में भर्ती तथा एंजियोग्राफी आदि की आवश्यकता है.
वे दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में तुरंत भर्ती हुए. वहां के चीफ हार्ट सर्जन – जो मेरे मित्र हैं – ने बाद में बताया कि थोड़ी और देर जानलेवा होती. यह हार्ट अटैक ही था. दवाइयों से स्थिति नियंत्रण में करके पहले उनकी एंजियोग्राफी की गई. तीनों नलियां बंद निकलीं. बाईपास सर्जरी हुई. ईश्वर ने जैसी उनकी जान बचाई, वैसी सबकी बचाए.
शिक्षा
डायबिटीज के रोगी को प्राय: हार्ट अटैक होने पर इसी तरह के अजीब-से लक्षण हो सकते हैं जिनके बारे में यदि सचेत न हों तो डॉक्टर होते हुए भी इसे आप कुछ और ही बीमारी समझ सकते हैं. वास्तव में फिल्मों, कहानियों, नाटकों, उपन्यासों आदि में हमने हार्ट अटैक को हमेशा ही सीने में भयंकर दर्द होने, पसीने से तरबतर हो जाने, आदमी के तड़पने से जोड़ा है. ऐसे हार्ट अटैक भी होते हैं. पर याद रहे कि डायबिटीज के रोगी को ‘दर्द के बिना’ (पेनलेस) हार्ट अटैक भी हो सकते हैं क्योंकि उनकी दर्द की नसें सूख जाती हैं.
तब तो मर गए भय्या. हमें भी डायबिटीज हैं साहब, कभी ऐसा वाला हार्ट अटैक हो गया तो पता कैसे चलेगा? तो जो मैं डायबिटीज के रोगियों को हमेशा कहता हूं, वह आपको बताता हूं.
याद रखें कि यदि डायबेटिक रोगी की तबीयत अचानक ही खराब हो जाए उसे कुछ नयी चीज होने लगे, कि देखो अभी दस मिनट पहले तक तो एकदम बढ़िया थे और अभी यह होने लग गया – यह यानी चक्कर, पेट में अफारा – गैस-सी जैसे पहले कभी नहीं हुई हो, आंखों के सामने अंधकार छाना, दम सा घुटना, श्वास में अनजानी-सी ऐसी दिक्कत जो समझाई न जा सके, जरा-सा तेज चलने या सीढ़ी चढ़ने पर हांफना या दम घुटना या ऐसा लगना मानो कोई गर्दन पकड़ रहा हो, अचानक ही बेहद कमजोरी का अहसास, चलें तो अंधेरा सा लगे, पसीना आए, धड़कन तेज हो – तो याद रखें कि इस बात की आशंका है कि यह या तो हार्ट अटैक है या फिर ब्लड शुगर कम हो गई है. तुरंत डॉक्टर से मिलें, वह भी ऐसे से जो इस शिक्षा को भूल न चुका हो. हो सकता है कि हार्ट ठीक निकले और पेट में गैस, एसिडिटी आदि ही निकले परंतु यह निर्णय डॉक्टर को ही लेने दें. लक्षणों को नजरअंदाज करके घरेलू दवाइयां स्वयं ही लेकर न बैठे रहें. कितने डायबिटीज के रोगी इसी भ्रम में हार्ट अटैक होने पर भी सही डॉक्टर तक नहीं पहुंच पाते और अचानक मर जाते हैं.
तो याद रखें
1- डायबिटीज के मरीज को बिना छाती में दर्द के भी हार्ट अटैक हो सकता है. सो यदि अचानक ही, नया कुछ ऐसा लक्षण हो जो पहले कभी न हुआ हो तो सतर्क हो जाएं.
2- हिंदी आलोचक के पास भी दिल होता है.