कर्ज की हमको दवा बताई कर्ज ही थी बीमारी, साधो! कर्मन की गति न्यारी. गेहूं उगे शेयर नगरी में खेतों में बस भूख उग रही मूल्य सूचकांक पे चिड़िया गांव शहर की प्यास चुग रही कारखानों में हाथ कट रहे मक़तल में त्यौहारी, साधो!
कर्मन की गति न्यारी. बढ़ती महंगाई की रस्सी ग्रोथ रेट बैलेन्स बनाए घट-बढ़ के सर्कस के बाहर भूखों का दल खेल दिखाए मेहनत-किस्मत-बरकत बेचे सरकारी ब्योपारी, साधो! कर्मन की गति न्यारी. शहर-शहर में बरतन मांजे भारत माता ग्रामवासिनी फिर भी राशन कार्ड न पाए हर-हर गंगे पापनाशिनी ग्लोबल गांव हुई दुनिया में प्लास्टिक की तरकारी, साधो! कर्मन की गति न्यारी. अंशु मालवीय
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