लता मंगेशकर, उम्र: 80, लोकप्रिय गायिका
उम्र का सफर भले ही आठ दशक पूरे कर चुका हो मगर लता मंगेशकर की आवाज सुनकर ऐसा नहीं लगता. वे आज भी गाती हैं और लोग मंत्रमुग्ध होकर सुनते हैं. जितना वे अपनी सम्मोहक आवाज के लिए जानी जाती हैं उतना ही अपने संकोची स्वभाव के लिए भी. पिछले कुछ साल से उनकी दुनिया अपने और संगीत तक ही सीमित हो गई है. जाने-माने गायक सुरेश वाडकर कहते हैं, ‘उनका गाया हर गीत ईश्वर के साथ संवाद जैसा है.’ गायक और संगीतकार शंकर महादेवन कहते हैं, ‘इतनी तजुर्बेकार होने के बावजूद लताजी में कभी भी अतिआत्मविश्वास नहीं दिखता.’
शायद काम के प्रति इस तरह समर्पण और श्रोताओं का प्यार ही लताजी को रिटायर नहीं होने देता.
ईशा मनचंदा
अविरत योगी
‘काम से रिटायर होने के बाद कुछ लोग ताश तो कुछ गोल्फ खेलकर वक्त बिताते हैं. ईश्वर की कुछ ऐसी कृपा रही है कि मेरे लिए मेरा काम ही मेरा शौक रहा है. हर कोई ये नहीं कर सकता’
बीकेएस अयंगार, उम्र: 92
जाने-माने योग शिक्षक
14 किताबें लिख चुके हैं.पश्चिमी दुनिया को योग से परिचित कराने का श्रेय इन्हें ही दिया जाता है. रोज आधे घंटे तक शीर्षासन और 20 मिनट तक सर्वांगआसन करते हैं. योग की शिक्षा के लिए आज भी उनका विदेश आना-जाना होता रहता है
लेखन कार्य और पत्रों का जवाब देने के लिए योगाचार्य बीकेएस अयंगार हर दोपहर पुणे स्थित अपनी लाइब्रेरी में बैठते हैं. नजदीक ही पड़ी मेजों पर कुछ छात्र भी होते हैं. इनमें से कुछ जब अयंगार से कोई सवाल पूछते हैं तो योगाचार्य के गंभीर चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है. वे हर तरह के सवाल का जवाब मुस्कराते हुए देते हैं. अयंगार का काफी बड़ा परिवार है. उनका दिन तड़के ही शुरू हो जाता है. सबसे पहले स्नान करने के बाद वे कॉफी पीते हैं और फिर प्राणायाम करते हैं. सवा नौ बजे उनका निजी योगाभ्यास शुरू होता है. दिन और रात के भोजन में वे सादी दाल, चावल और दही लेते हैं. सोने से पहले उन्हें टीवी पर खबरें देखने की आदत है.
अयंगार और योग का साथ बचपन से ही रहा है. औपचारिक रूप से उन्होंने योग प्रशिक्षण 1984 में छोड़ दिया था मगर उनके निजी योगाभ्यास के घंटों में आज भी कोई कमी नहीं आई है. जैसा कि वे कहते हैं, ‘पहले मैं योग करता था और सिखाता भी था. योग अब भी करता हूं मगर अब सिखाने की जगह ऐसी नई चीजें सीखने की गतिविधि ने ले ली है जो मैं अपने छात्रों तक पहुंचा सकूं.’ उम्र के नौ दशक पूरे कर लेने के बाद भी उनकी आवाज और चाल में कोई बदलाव नहीं आया है. कुछ महीने पहले वे रूस में थे जहां उन्होंने 840 छात्रों की एक कक्षा को योग सिखाया. उनकी याद्दाश्त बहुत तेज है. वे कहते हैं, ‘अगर मैं कहने लगूं कि मुझसे चला नहीं जा रहा या मैं खड़ा नहीं हो सकता तो ये नकारात्मक तनाव होगा. मैं अब भी यही कहता हूं कि मैं युवा हूं और यही सोच मुझे सुखी रखती है.’
वेद अग्रवाल
हरियाली का हरकारा
‘अगर आपने अपने अहं को बढ़ने दिया तो ये आपका नाश कर देगा. ये आपके विकास में रोड़े अटकाता है. मैं अपनी 19 साल की पोती से भी काफी कुछ सीखता हूं’
एमएस स्वामीनाथन, उम्र: 84
कृषि वैज्ञानिक
श्रीलंका की सरकार ने हरित क्रांति के जनक स्वामीनाथन को अपने यहां आमंत्रित किया था ताकि वह उनकी विशेषज्ञता का लाभ उठा सके. मगर तमिलनाडु में इसके विरोध में प्रदर्शन हुए जिसके बाद उन्होंने वहां जाने से मना कर दिया. भारतीय हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन से जब कोई सफलता का मंत्र पूछता है तो उनका एक ही जवाब होता है, जो भी करें, उसमें अपने प्रयास को सर्वश्रेष्ठ रखें, कोई भी काम सिर्फ पुरस्कार या पैसे के लिए न करें.
गीता से निकला यह दर्शन 84 की उम्र में भी स्वामीनाथन को युवाओं जैसा गतिमान रखे हुए है. राज्य सभा सांसद और चेन्नई स्थित एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन के इस मुखिया का दिन सुबह तड़के चार बजे शुरू हो जाता है. सुबह वे आधे घंटे तक सैर करते हैं और इस दौरान वे श्लोकों का पाठ करते रहते हैं जो कि उनके मुताबिक उनके अहं पर लगाम लगाकर रखता है. वे कहते हैं, ‘अगर आपने अपने अहं को बढ़ने दिया तो ये आपका नाश कर देगा. ये आपके विकास में रोड़े अटकाता है. मैं अपनी 19 साल की पोती से भी काफी कुछ सीखता हूं.’
स्वामीनाथन की दिनचर्या बहुत व्यस्त रहती है. कई आयोजनों में हिस्सा लेने के लिए उन्हें नियमित रूप से अंतर्राष्ट्रीय यात्राएं भी करनी पड़ती हैं. इसके बावजूद उन्होंने कामकाजी और निजी जीवन के बीच तालमेल बनाकर रखा है. ज्यादा मात्रा में भोजन करने से बचने वाले स्वामीनाथन बताते हैं, ‘मैं शाम अपने परिवार के साथ बिताता हूं. मेरी जीवन-शैली सादी है.’
इस जाने-माने कृषि वैज्ञानिक के बारे में सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात है काम के प्रति उनका जुनून. हम उनसे उनके जीवन-दर्शन के बारे में पूछते हैं और उनका जवाब आता है, ‘मुझे जिंदगी में किसी से कोई शिकायत नहीं रही. मेरे मन में किसी के लिए कोई कड़वाहट नहीं.’
पीसी विनोज कुमार
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