विरेंदर सहवाग वैसी ही पारी बार-बार खेलना चाहते हैं जिसकी वजह से उन्हें मुल्तान का सुल्तान कहा जाने लगा. वह पारी उन्होंने 2004 में खेली थी. आज पांच साल बाद ये विस्फोटक बल्लेबाज जिसे क्रिकेट के महानायक तेंदुलकर ने अपनी शैली के सबसे करीब बताया था, रिबन काटने वाले आयोजनों और फिटनेस पर बार-बार पूछे जाने वाले सवालों से थक चुका है. हाल में स्थानीय खेल प्रशासकों द्वारा दिल्ली की टीम में अपने नाते-रिश्तेदारों को थोपने के विरोध में राज्य की टीम छोड़ने की धमकी देने वाले सहवाग को भरोसा है कि ऑस्ट्रेलिया सीरीज तक वे पूरी तरह से फिट हो जाएंगे. वे इसी महीने हो रही ईरानी ट्रॉफी में मुंबई के खिलाफ शेष भारत की अगुवाई के लिए भी तैयार हैं. शांतनु गुहा रे से बातचीत में उन्होंने जोर देकर कहा कि अभी उनके सामने सिर्फ दो ही लक्ष्य हैं-कुछ बड़े स्कोर और राष्ट्रीय टीम में पक्की जगह. उन्हें पता है कि कप्तान धोनी उनकी विस्फोटक बल्लेबाजी की कमी शिद्दत से महसूस कर रहे हैं.
आपने दिल्ली डेयरडेविल्स की कप्तानी क्यों छोड़ दी?
मुझे समझ में नहीं आ रहा कि मीडिया ने इस फैसले पर इतना बखेड़ा क्यों खड़ा कर दिया. ऐसे तमाम उदाहरण हैं जब खिलाड़ी ने अपने प्रदर्शन को सुधारने के लिए कप्तानी छोड़ी है. इस तरह के ढेरों उदाहरण भरे पड़े हैं तो फिर मेरे ही ऊपर उंगली क्यों? कुछ लोग तो ये तक पूछ रहे हैं कि क्या मैं कभी भी राष्ट्रीय टीम का कप्तान बनने के बारे में नहीं सोचूंगा. ये बड़ी ही अजीब और बेतुकी बात है. मुझे कप्तान बन कर खुशी होगी लेकिन टीम धोनी के नेतृत्व में बढ़िया प्रदर्शन कर रही है. इसलिए कोई मेरे बारे में विचार क्यों करेगा और मैं इस दौड़ में क्यों शामिल होऊं? मैं वरिष्ठता में जिस स्तर पर हूं वहां मैं भला क्यों धोनी के बाद कमान संभालने के बारे में सोचूंगा? मेरे लिए कप्तानी की इच्छा रखना महत्वपूर्ण नहीं है. बल्कि मेरी चाह उस टीम का हिस्सा बनने की है जो पूरी दुनिया को हराने में सक्षम हो. देखा जाए तो उपकप्तानी की भूमिका भी उसी खिलाड़ी को दी जानी चाहिए जिसे भविष्य में कप्तान बनाने के लिए तैयार किया जा रहा हो ताकि वो लंबे समय तक इस भूमिका को निभा सके. किसी वरिष्ठ खिलाड़ी को उपकप्तानी सौंपना ठीक नहीं.
मेरा रिलायंस से कोई करार नहीं हुआ है. मैं सिर्फ जेपी अत्रे टूर्नामेंट के लिए रिलायंस की टीम से खेला था. वहां मेरी और नीता अंबानी की साथ-साथ फोटो खींच ली गई और इसी फोटो के आधार पर मीडिया ने आधारहीन खबरें छापीं. मैं इस पर कुछ नहीं कर सकताये अजीब नहीं है कि आप कप्तानी के बोझ से बल्लेबाजी खराब हो जाने से डर रहे हैं? अगर ऐसा होता तो सारे कप्तान खराब बल्लेबाज नहीं होते?
नहीं, मैं एक उदाहरण दे रहा हूं. दिल्ली डेयरडेविल्स की कप्तानी से मेरे इस्तीफे को ही लीजिए. ये अपनी जिम्मेदारी को स्वीकार करने वाला कदम है. दो सीजन कप्तानी करने के बाद भी मेरी टीम फाइनल में नहीं पहुंच सकी. इसलिए मैंने मालिकों से कहा कि वो किसी और आजमा सकते हैं क्या पता उसकी किस्मत काम कर जाए क्योंकि मेरी तो नहीं कर रही थी. मेरा फैसला काफी सोचा-समझ था. मेरी सोच है कि जरूरत पर रन बनाओ, टीम के लिए निर्धारित लक्ष्य हासिल करो और मैच जीतो. मेरी सोच में क्या असामान्य है. मैं तो बिल्कुल सीधे-सरल तरीके की बात कर रहा हूं.
आपने खुद को भारतीय टीम की कप्तानी की दौड़ से बाहर क्यों रख दिया है?
आप फिर से वही बात करने लगे. मैंने ऐसा नहीं किया है. परिस्थितियों के संदर्भ में देखिए. जब राहुल द्रविड़ ने इस्तीफा दिया तो मैं कहां था? मैं तो टीम में अपनी जगह बचाने के लिए संघर्ष कर रहा था. तो फिर कप्तान बनने का सवाल ही कहां पैदा होता है. उसके बाद से टीम लगातार बढ़िया प्रदर्शन कर रही है. तो फिर बार-बार मेरी व्यक्तिगत इच्छाओं की बात क्यों? मुझे इसमें मत फंसाइए. फिलहाल भारत धोनी की अगुवाई में दुनिया की सबसे मजबूत टीम नजर आ रही है. इसके पास नंबर एक बनने और उस पायदान पर लंबे समय तक जमे रहने की काबिलियत है. मैं कहना चाहता हूं कि गौतम के अंदर क्लब, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कप्तानी करने की क्षमता है. चैंपियंस ट्रॉफी में वो उपकप्तानी कर भी रहे हैं. ये इस बात का साफ संकेत है कि वो एक दिन भारतीय टीम की कप्तानी कर सकते हैं. वो अच्छे और चतुर खिलाड़ी हैं और उनके नेतृत्व में दिल्ली रणजी ट्रॉफी (2007-08) भी जीत चुकी है.
रिलायंस के साथ करार की क्या वजह रही?
मीडिया को अटकलें लगाने का बहुत शौक है क्योंकि उन्हें हमेशा खबरों की जरूरत रहती है. लेकिन उन्हें इस तरह की फूहड़ कहानियां लिखने से पहले सोचना चाहिए. मेरा रिलायंस से कोई करार नहीं हुआ है. मैं सिर्फ जेपी अत्रे टूर्नामेंट के लिए रिलायंस की टीम से खेला था. वहां मेरी और नीता अंबानी की साथ-साथ फोटो खींच ली गई और इसी फोटो के आधार पर मीडिया ने आधारहीन खबरें छापीं. मैं इस पर कुछ नहीं कर सकता.
क्या आपके दिल्ली छोड़कर मुंबई की टीम से जुड़ने की कोई संभावना है?
मैंने पहले ही इसका जवाब दे दिया है. दिल्ली छोड़ने का मेरा कोई इरादा नहीं है और आईपीएल में मैं दिल्ली डेयरडेविल्स का प्रतिनिधित्व करता रहूंगा.
आप आईपीएल में डेयरडेविल्स का प्रतिनिधित्व करें और कार्पोरेट टूर्नामेंट में रिलायंस का. क्या इसमें हितों का टकराव नहीं होता?
भारत में खेलों का क्षेत्र इस तरह के विरोधाभासों से भरा पड़ा है. एक टूर्नामेंट में रिलायंस का प्रतिनिधित्व करने भर से दिल्ली डेयरडेविल्स में मेरी भूमिका पर फर्क नहीं पड़ता. अगर ऐसा होता तो इसका निश्चित रूप से विरोध होता.
आप करीब चार महीने से कंधे में चोट के कारण क्रिकेट से बाहर हैं. इस चोट से आप कैसे निपट रहे हैं?
मैं इलाज के लिए फिजियो का सहारा ले रहा हूं और खुद को चुस्त-दुरुस्त रखने की कोशिश कर रहा हूं और बोरियत से बचने के लिए भिन्न-भिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहा हूं. आज कल मैं शारीरिक व्यायाम पर बेहद ध्यान दे रहा हूं. कोई और चोट न लग जाए इसके लिए मैं बेहद सावधानी बरत रहा हूं.
आप इंग्लैंड में हुए टी-ट्वेंटी विश्वकप, वेस्टइंडीज के साथ हुई एकदिवसीय सीरीज, श्रीलंका में हुई त्रिकोणीय सीरीज और चैंपियंस ट्रॉफी से बाहर रहे. काफी क्रिकेट छूट गया. इस नुकसान की भरपाई कैसे करेंगे?
मुझे बहुत बुरा लग रहा है. कोई भी इतने समय के लिए क्रिकेट से बाहर नहीं रहना चाहता विशेषकर तब जब वो इतने लंबे समय तक टीम का स्थायी हिस्सा रह चुका हो. पर चोट ऐसा मुद्दा है जिससे क्रिकेटर को वापसी से पहले पूरी तरह निजात पाना जरूरी होता है अन्यथा ये बार-बार परेशान करती रहती है. मुझे पता है कि अभी भी मैं बाउंड्री से गेंद नहीं फेंक पाऊंगा, ईरानी ट्रॉफी और चैंपियंस लीग के दौरान मुझे घेरे के भीतर ही फील्डिंग करनी होगी. लेकिन ऑस्ट्रेलियाई टीम के दौरे तक मैं पूरी तरह से फिट हो जाऊंगा. मुझे इस बात का अहसास है कि मैंने बहुत से मैच गंवा दिए हैं लेकिन मुझे उम्मीद है कि मैं और भी नए रिकॉर्डस बनाऊंगा.