चक्र सुदर्शन
क्या आज्ञा आका बता, झुककर बोला जिन्न, देख जिन्न को सामने, मन हो गया प्रसन्न. मन हो गया प्रसन्न, मिटा दे मन का रगड़ा, आज विपक्षी दल में, तू करवा दे झगड़ा. चक्र सुदर्शन, जिन्न कहे, कांग्रेसी आका! हूं अदना सा जिन्न, मुझे जिन्ना समझा क्या?
अशोक चक्रधर |