इस गरमी में

 चक्र सुदर्शन

नारे जिंदाबाद के, लो ये झंडे थाम,

रोटी दोनों वक्त की, खूब मिलेंगे दाम.

खूब मिलेंगे दाम, गूंज होवे आकाशी,

रट लो इसका नाम यही अपना प्रत्याशी.

चक्र सुदर्शन, झुग्गी वाले करें मना रे,

इस गरमी में केवल दो सौ, ना रे ना रे.

 अशोक चक्रधर

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