सुनील गावस्कर उन विरले खिलाड़ियों में से हैं जो पैसे का खेल खूब समझते हैं. लेकिन बॉलीवुड के सुपर स्टार शाहरुख खान ने उन्हें कहा कि बीसमबीस का खेल आप नहीं खेले हैं. यह नया खेल है. कोलकाता नाइट राइडर्स की टीम खरीदने में मैंने खूब पैसा लगाया है. अगर इसे चलाने के तरीके से किसी को कोई समस्या है तो वह अपनी टीम खरीदे और उसे जैसा चाहे चलाए. मैं तो चलाने की कोशिश किए बिना इसे नहीं छोड़ूंगा.
गावस्कर न सिर्फ क्रिकेट इतिहास के सबसे महान ओपनर हैं बल्कि सब जानते हैं कि उनने इस खेल और इसके प्रशासन पर बहुत विचार किया है
अब बीसमबीस नया खेल है और गावस्कर इसे नहीं खेले हैं. ये दोनों ही बातें सही हैं. लेकिन शाहरुख खान तो न टैस्ट खेले हैं न वन डे न बीसमबीस. वे तो प्रथम श्रेणी का क्रिकेट भी नहीं खेले हैं. और उनकी टीम के कोच जॉन बुकानन ऑस्ट्रेलिया टीम के कोच जरूर रहे हैं लेकिन वे भी टैस्ट, वन डे और बीसमबीस नहीं खेले हैं. दरअसल बीसमबीस को अभी जुम्मा-जुम्मा सात दिन भी नहीं हुए हैं. इसलिए उस पर बड़े जानकार की तरह बात करने का अधिकार किसी को नहीं है.
जो भी बात कही जाएगी वह कुल क्रिकेट के अनुभव और ज्ञान पर ही होगी और इस हालत में दुनिया में कहीं भी शाहरुख खान और जॉन बुकानन की तुलना में सुनील गावस्कर की ही बात को ज्यादा अहमियत दी जाएगी. गावस्कर न सिर्फ क्रिकेट इतिहास के सबसे महान ओपनर हैं बल्कि सब जानते हैं कि उनने इस खेल और इसके प्रशासन पर बहुत विचार किया है. वे क्रिकेट के बहुत सम्मानित कमेंटेटर और बहुत पढ़े जाने वाले लेखक हैं.
शाहरुख खान भी इस बात को जानते हैं. लेकिन यह कि बीसमबीस नया खेल है और गावस्कर इसे खेले नहीं हैं जैसी बात वे इसलिए कह गए हैं कि वे नहीं चाहते कि कोलकाता नाइट राइडर्स में जो अनेक कप्तान बनाने का प्रस्ताव आया है उसे क्रिकेट की कसौटी पर परखा जाए. शाहरुख का कहना है कि इस टीम को खरीदने में मैंने बहुत पैसा लगाया है. इसे मैं कैसे चलाता हूं यह मेरी मर्जी है. अगर आपको मेरे इसे चलाने से कोई एतराज है तो मैं उसे नहीं मानूंगा. गावस्कर पैसे लगाएं टीम खरीदें और उसे जैसा चाहे चलाएं. मेरे चलाने में दखल न दें.
यानी गावस्कर साब बीसमबीस का आईपीएल नया खेल है. इसमें क्रिकेट के खेल की नहीं चलेगी. इसमें पैसे की चलेगी. इसमें पैसे की ही लाठी चलेगी और जिसकी लाठी चलेगी वही भैंस को हकाल ले जाएगा. मैं कोलकाता नाइट राइडर्स की भैंस को अपनी लाठी से हकालूंगा. इस लाठी और भैंस को मैंने खूब पैसा लगा कर खरीदा है. बीसमबीस का जो आईपीएल इस पखवाड़े दक्षिण अफ्रीका में शुरू हो रहा है उसका यही सत्य शाहरुख खान ने समझा है. जो जितना पैसा लगाता है वैसी ही उसकी समझ बनती है.
सुनील गावस्कर चूंकि जीवन भर क्रिकेट खेले हैं इसलिए अनेक कप्तान रखने के कोलकाता नाइट राइडर्स की टीम के प्रस्ताव पर उनने एक क्रिकेट पंडित की तरह ही लिखा. टीम में यह प्रस्ताव जॉन बुकानन की तरफ से आया है जो कि टीम के कोच हैं. गावस्कर ने लिखा कि अनेक कप्तान प्रस्ताव पर विचार करना जॉन बुकानन को ऐसा महत्व देना है
गावस्कर की शिकायत यह है कि आईपीएल की टीमों के कोच और उनका सहायक स्टाफ सब ज्यादातर विदेशी हैं खास कर ऑस्ट्रेलियाई
जिसके योग्य वे नहीं हैं. सब जानते हैं कि बुकानन विश्व विजेता ऑस्ट्रेलियाई टीम के कोच थे. लेकिन उन्हें कोई पूछता नहीं था. ऑस्ट्रेलिया में खेल और खिलाड़ी को जितना महत्व दिया जाता है कोच और उसके स्टाफ को नहीं मिलता. गावस्कर ने पूछा है कि कभी आपने वॉर्न, मेकग्रा या गिलक्रिस्ट को कहते सुना है कि हमने ऐसा इसलिए किया कि हमारे कोच ने करने को कहा था? गावस्कर ने यह भी कहा कि बुकानन अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों से वे उम्मीदें करने की खाते रहे जो उनसे खुद से प्रथम श्रेणी क्रिकेट में भी कभी बनी नहीं. बुकानन टैस्ट नहीं खेले हैं और इसलिए इयन चैपल जैसे पुराने कप्तान और महान लेग स्पिनर शेन वॉर्न उनकी बातों को यों ही खारिज कर देते थे. गावस्कर का कहना है कि उस ऑस्ट्रेलियाई टीम में ऐसे और इतने महान खिलाड़ी थे कि बुकानन जैसे कोच की उन्हें जरूरत ही नहीं पड़ती थी. बुकानन के क्रिकेट ज्ञान और ऑस्ट्रेलियाई टीम को उनके योगदान की जाहिर है कि गावस्कर कोई इज्जत नहीं करते. वे मानते हैं और उनने लिखा भी है कि बुकानन को भारतीय मीडिया और प्रशासक नाहक भाव दिए रहते हैं.
गावस्कर ने बुकानन के अनेक कप्तान प्रस्ताव को तो विचार के लायक भी नहीं माना है. लेकिन इसका मूल उनने बुकानन की इस कारगुजारी में माना है जिसमें उनने कोलकाता नाइट राइडर्स की टीम के लिए एक सहायक कोच और सहायक कोच का भी एक सहायक नियुक्त कर लिया है. एक फील्डिंग कोच है, एक बॉलिंग कोच और शायद दो विकेटकीपरों के लिए भी एक कोच है. टीम को शारीरिक ट्रेनिंग दिलवाने के लिए दो ट्रेनर हैं जिनमें एक बुकानन का बेटा है. चौदह खिलाड़ियों की टीम के लिए इस तरह छह कोच और दो ट्रेनर हैं और गावस्कर का कहना है कि ये सब ज्यादातर बुकानन के राज्य क्वींसलैंड के हैं. टीम के मालिकों को अंदाजा भी नहीं है कि उन्हें किस तरह चूना लगाया जा रहा है – गावस्कर ने लिखा है. और यह बात शाहरुख खान को सबसे ज्यादा चुभी होगी क्योंकि इन छह कोचों और दो ट्रेनरों को पैसा तो वही देते हैं. इन अनेकों कोचों से ही क्या अनेक कप्तान का प्रस्ताव निकला है? गावस्कर ने पूछा है और मालिकों पर तरस खाया है.
गावस्कर की शिकायत यह है कि आईपीएल की टीमों के कोच और उनका सहायक स्टाफ सब ज्यादातर विदेशी हैं खास कर ऑस्ट्रेलियाई. अब आईपीएल भारतीय बोर्ड करवाता है और बोर्ड ही बंगलूर में नेशनल क्रिकेट अकादमी भी चलाता है. इस अकादमी से हर साल कई कोच और सहायक स्टाफ ट्रेनिंग ले कर निकलते हैं. इन्हें अगर भारतीय टीमों को कोच करने और टीमों की मदद करने का मौका नहीं मिलेगा तो वे जाएंगे कहां? इन्हें रख कर टीमों के मालिक न सिर्फ अपना पैसा बचा सकते हैं बल्कि भारतीय टीमों की मदद करने और उन्हें बेहतर करने का भी देसी प्रबंध कर सकते हैं. गावस्कर का मानना है कि हमारे टीम मालिक विदेशी के ग्लैमर के चक्कर में न तो खेल की ठीक से सेवा कर रहे हैं न भारतीयों को मौका दे रहे हैं. गावस्कर का यह भी मानना है कि बीसमबीस इतना तेज खेल है कि उसमें कोच और रणनीति की बहुत गुंजाइश ही नहीं है.
गावस्कर का यह लेख दरअसल अनेक कप्तान थ्योरी पर नहीं बुकानन की क्रिकेटीय क्षमता और शाहरुख खान के अपनी टीम को चलाने के तरीके पर है. इसलिए शाहरुख खान और बुकानन का बिदकना समझ जा सकता है. फिर भी शाहरुख का अपनी टीम का मालिक होने का अहंकार और पैसों के बल पर क्रिकेट खेलने के विचार और परंपराओं की कोई परवाह न करना क्रिकेटप्रेमियों को चेताने के लिए काफी होना चाहिए. गए साल भी बंगलूर के रॉयल चैलेंजर्स के मालिक विजय माल्या को शिकायत थी कि क्रिकेट के खेल में कप्तान की बहुत चलती है. वे अपने कप्तान राहुल द्रविड और उनकी बनवाई ‘टैस्ट टीम’ से बहुत दुखी थे. उनने टीम के सीईओ चारू शर्मा की छुट्टी की और राहुल द्रविड़ की आलोचना की. उनकी टीम चौदह में से सिर्फ चार मैच जीती दस में हारी और आठ टीमों में से सातवें नंबर पर रही. इस साल माल्या ने कोच और कप्तान दोनों बदल दिए हैं और सीधे टीम की कमान संभाल ली है.
कोलकाता नाइट राइडर्स में भी कप्तान नाम की संस्था पर ही सीधा हमला किया गया है. क्रिकेट में अब भी कप्तान ही टीम का मुखिया होता है वही सारे फैसले लेता है और उसी का आदेश चलता है. टैस्ट टीम हो या वन डे की या बीसमबीस की. सोच बुकानन के जरिए शाहरुख खान और उनके मार्केटिंग सलाहकार कप्तान को फुटबॉल और बेसबॉल का कप्तान बना देना चाहते हैं जो कोच और मालिक के निर्देशों को मैदान में अमल में लाता है. सौरभ गांगुली के साथ ऐसा बरताव वे कोलकाता में नहीं कर सकते थे इसलिए उनने प्रयोग दक्षिण अफ्रीका में करने का तय किया. वहां सौरभ गांगुली का वैसा समर्थन और दबदबा नहीं होगा जैसा कोलकाता में होता. फिर दक्षिण अफ्रीकी दर्शकों के सामने अलग-अलग कप्तान रखना और कोच को सबसे शक्तिशाली बना देने में टीम के स्थानीय समर्थन खोने का भी कोई खतरा नहीं होगा.
बुकानन क्रिकेट की परंपराओं से खेल करने को तैयार हैं क्योंकि उन्हें नाइट राइडर्स में जो पैसा, मौका और समर्थन मिला है दुनिया में कहीं और, और किसी दूसरी टीम में तो अब मिलेगा नहीं.
गए साल नाइट राइडर्स से कुछ बना नहीं था. ‘चक दे इंडिया’ फिल्म में उनने कोच का रोल किया था और भारत की महिला हॉकी टीम को विश्व कप दिला लाए थे. लेकिन अपना सारा जोर लगा कर भी शाहरुख खान अपनी टीम को सेमी फाइनल भी खेला नहीं पाए. इस साल वे बीसमबीस के नए खेल में अनेक कप्तान का प्रयोग करना चाहते हैं और चाहते हैं कि कोई जानकार, विशेषज्ञ, पंडित उनके प्रयोग में दखल न दे. यानी इस प्रयोग को क्रिकेट के खेल और उसकी परंपरा में न देखे. मैंने पैसे लगाए हैं और टीम को कमाऊ बनाने के लिए जो मुझे करना ठीक लगेगा करूंगा. ऐसा करने में क्रिकेट के कप्तान की संस्था से खिलवाड़ होती है तो हो. मैं क्रिकेट के खेल की गरिमा के लिए नहीं अपने पैसे से कमाई करने के धंधे में आया हूं. और कमाई के लिए मुझे जो भी प्रयोग करने होंगे करूंगा. शाहरुख खान ने यह संदेश गावस्कर और बाकी खिलाड़ियों को दे दिया है. आईपीएल क्रिकेट का धंधा है यह तो सब जानते थे. लेकिन इसमें पैसा क्रिकेट का यह भी करेगा शाहरुख ने बता दिया है.
आईपीएल में गावस्कर क्रिकेट के खेल और उसकी परंपराओं की चिंता न करें. मालिक और कोच खेल को कैसे चलाते हैं इसकी आलोचना करने का उन्हें अधिकार नहीं है. वे चाहें तो पैसा लगा कर टीम खरीदें और उसे चाहे जैसा चलाएं. इस खेल में पैसा ही सब कुछ लाएगा. बोल भी वही सकेगा जो पैसा लगाएगा. आईपीएल का यही खेल है. इसमें क्रिकेट पंडित गावस्कर की नहीं बॉलीवुड के अभिनेता शाहरुख खान की चलेगी.