‘जीवन एक तीर्थयात्रा है.’

मशहूर उपन्यास ‘द अलकेमिस्ट’ के लेखक पाउलो कोएलो की जिंदगी की कहानी किसी चमत्कार से कम नहीं. शायद ये भी एक वजह है कि वह चमत्कारों को अच्छी तरह से समझते हैं. उनकी किताबों की 10 करोड़ से भी ज्यादा प्रतियां बिक चुकी हैं. इसके अलावा वह एक ऐसे लेखक भी हैं जिसके काम का सबसे ज्यादा अनुवाद हुआ है. कोएलो की किताबों में आठ उपन्यास, दो संस्मरण और रहस्यमय यात्राओं के कई संग्रह शामिल हैं. ब्राजील में जन्मे 60 वर्षीय कोएलो अपने लेखन में खुद को एक खोजी और संत के रूप में पेश करते हैं. उनकी दुनिया में देवदूत हैं तो राक्षस भी, संकेत हैं और अपशकुन भी और इसके साथ ही है हर व्यक्ति के लिए एक तय नियति. अपने हर पाठक के लिए उनका एक संदेश होता है—आपको जिस भी चीज की तलाश है वो आपको मिल जाएगी. इस किताब को पढ़ें और देखें कैसे. दिलचस्प है कि जिन देशों में उनकी किताबें सबसे ज्यादा बिकती हैं वे हैं ईरान, इस्राइल और भारत. शब्दों के इस जादूगर के साथ एक मुलाकात.

आपने जिंदगी में तमाम दुश्वारियों का सामना किया. इसके बावजूद आपका काम आज दुनिया के सामने है. माता-पिता का नकारात्मक रुख, समीक्षकों की उपेक्षा, कई सालों तक लेखन के अलावा दूसरे काम….इस सबके बाद अपनी सफलता देखकर कैसा महसूस होता है?  

सफलता के साथ कई आयाम भी बदल जाते हैं मगर अंतर्मन को दूसरों के साथ बांटने की भावना अब भी मुझमें बनी हुई है. मैं उस सपने को जी रहा हूं जो मैंने अपनी युवावस्था में देखा था. लेकिन ये ऐसा सपना नहीं है जिसका कोई अंत हो. जब तक मैं जीने, सोचने और प्रेम करने लायक बना रहूंगा ये चिंगारी सुलगती रहेगी.

क्या आपको कभी ये ख्याल नहीं आता कि एक किताब समीक्षकों को खामोश करने के लिए भी लिखनी चाहिए?

मैं कोई भी नई किताब लिखने के लिए दो साल का वक्त लेता हूं. इस दौरान मैं नई कहानी रचने के लिए पर्याप्त भावनात्मक ऊर्जा इकट्ठा करता हूं.

लेखन में कुछ ऐसा जो आपको प्रेरणादायी लगा हो?

हाल ही में मैंने फिलिप जिम्बार्डो द्वारा लिखित एक दिलचस्प किताब द ल्यूसिफर इफेक्ट पढ़ी है. कुछ और भी हैं जिनमें से ज्यादातर मेरे पसंदीदा लेखकों की हैं. मैं सौभाग्यशाली रहा हूं कि मुझे उन्हें उनकी मूल भाषा, चाहे वो अंग्रेजी हो, स्पेनिश, फ्रेंच या पुर्तगाली, में पढ़ने का मौका मिला है.

आपको ऐसा क्यों लगा कि अपनी किताबों को इंटरनेट पर मुफ्त में उपलब्ध कराने से पायरेसी नाम की बीमारी आपके लिए फायदे में बदल जाएगी और इससे आखिरकार किताबों की बिक्री और पाठकों का दायरा ही बढ़ेगा? प्रकाशन उद्योग की इस पर क्या प्रतिक्रिया रही है?

किसी भी लेखक का सबसे बड़ा मकसद ये होता है कि दुनिया उसका लिखा पढ़े. पैसे का नंबर बाद में आता है. मुझे लगा कि ये एक अच्छा विचार है यानी पाठक को अपनी किताबें पढ़ने और फिर उन्हें खरीदने या न खरीदने का फैसला करने का मौका देना. इस विचार के बाद ही मुझे लगा कि क्यों न अपने सारे काम को इंटरनेट पर डाल दूं इसलिए मैंने द पाइरेट कोएलो (piratecoelho.wordpress.com) के नाम से एक वेबसाइट बनाई. जहां तक उद्योग का सवाल है तो मेरे सभी प्रकाशकों ने मेरा समर्थन किया है. उदाहरण के लिए हार्पर कॉलिंस ने फैसला किया है कि वह पाठकों को हर महीने मेरी एक किताब मुफ्त में पढ़ने के लिए उपलब्ध करवाएगा. मैं अपनी किताबों को अपने ब्लॉग (www.paulocoelhoblog.com) में भी डाल रहा हूं.  

आपके शब्दों में आप मौत को अपने बगल में बैठी किसी खूबसूरत औरत की तरह देखते हैं. मौत के बारे में आपके और क्या विचार हैं? क्या इनका आपके लेखन पर भी कोई असर पड़ता है?

जीवन एक तीर्थयात्रा है जिसका हर दिन अलग है. हर दिन में एक जादुई क्षण छिपा हो सकता है जिस पर हम गौर ही नहीं कर पाते. भले ही हमें ये सुनना अच्छा न लगे मगर सच यही है कि हम सभी एक तीर्थयात्रा पर हैं और इसकी मंजिल है मौत. आपको यात्रा से जितना संभव हो सके हासिल करना चाहिए क्योंकि आखिर में आपके पास अगर अपना कुछ बचता है तो वो है यही यात्रा. पैसा बटोरने के लिए भागने का कोई महत्व नहीं क्योंकि आखिर में आपको मरना ही है. तो क्यों न हम जीना सीखें? जब आपको ये महसूस हो जाता है तो आपका डर खत्म हो जाता है और यही  आध्यात्मिक खोज के सफर का पहला कदम होता है.

आप निर्विवादित रूप से दुनिया के कुछ सबसे सफल लेखकों में से एक हैं. मगर फिर भी आपकी विश्वसनीयता पर प्रश्न उठता रहता है. आज दुनिया में आपका जो मुकाम है उसके बारे में आप क्या सोचते हैं?

ये दिलचस्प है कि आपने ये सवाल पूछा क्योंकि मैंने इस बारे में एक स्तंभ भी लिखा है. अपनी किताब द विच ऑफ पोर्टोबेलो की रिलीज के दौरान मैं लिस्बन में था और कुछ ही घंटों बाद किताब पुर्तगाल और लैटिन अमेरिका के बाजार में आनी थी. मैं इस शानदार शहर की गलियों में घूमता हुआ उस व्यक्ति के बारे में सोच रहा था जिसके हाथों में सबसे पहले ये किताब जाएगी. मैं बहुत रोमांचित था और मुझे महसूस हुआ कि कई किताबों के प्रकाशित होने के बाद भी मेरे भीतर ठीक वैसा ही रोमांच और उत्साह मौजूद है जैसा पहली किताब द पिलग्रिमेज के जारी होने के वक्त था.

मेरी किताबें सिर्फ मेरे अनुभवों को बयान करती हैं मेरी बुद्धिमत्ता को नहीं. ऐसा इसलिए क्योंकि मैं बुद्धिमान नहीं हूं. ईश्वर भेदभाव नहीं करता और इसलिए मैं मानता हूं कि या तो सभी सब कुछ जानते हैं या फिर कोई कुछ नहीं जानता. आपके पास अगर बांटने के लिए अपना कुछ है तो वह है आपका अनुभव. मैं अब भी अपनी आत्मा, अपना प्यार और अपने अनुभव बांटने की कोशिश कर रहा हूं.

एनेस्टेशिया गुहा