गुंडागर्दी का सांस्कृतिक समारोह

‘हमलों को लेकर हर कोई इतना शोर क्यों मचा रहा है? हमने जो किया वो हिंदू संस्कृति की रक्षा करने के लिए किया. पब जाने वाली ये लड़कियां हमारी परंपरा को नष्ट करने का प्रयास कर रहीं थीं’ – ये शब्द अब तक लगभग गुमनाम से एक हिंदू कट्टरपंथी संगठन श्रीराम सेना के अध्यक्ष प्रमोद मुतालिक ने अपनी गिरफ्तारी से कुछ घंटे पहले ही कहे थे. संदर्भ उस घटना का था जिसमें मुतालिक के संगठन के कार्यकर्ताओं ने 24 जनवरी 2009 को कर्नाटक के मैंगलोर में एक पब और बाद में एक घर पर हमला बोला था और वहां मौजूद लड़कियों के साथ मारपीट की थी. कार्यकर्ताओं का दावा था कि कम कपड़े पहने ये लड़कियां इन जगहों पर आपत्तिजनक अवस्था में थीं. दो दिन बाद ये मुद्दा राष्ट्रीय खबर बन गया. 6 महीने में ये दूसरी बार है जब मैंगलोर और तटीय कर्नाटक हिंदू कट्टरपंथियों की वजह से चर्चा में आया है. यहां सितंबर 2008 में चर्चों पर हमले किए गए थे.

कई स्थानीय पत्रकारों को पहले से ही इस घटना की जानकारी थी. सेना के कार्यकर्ताओं ने घटना से आधा घंटा पहले उन्हें फोन कर कहा था कि अगर वे पब में आएंगे तो उन्हें घटना की एक्सक्लूसिव तस्वीरें मिलेंगी

उधर, हर तरफ से बढ़ते दबाव के बावजूद साफ लगता है कि कर्नाटक की भाजपा सरकार ने कार्रवाई के नाम पर बस खानापूरी कर दी है. हमला करने वाले करीब 40 लोगों में से कइयों को अब  तक  गिरफ्तार नहीं किया गया है. स्थानीय मीडिया ने इस घटना की व्यापक कवरेज की मगर पुलिस और प्रशासन का रवैया अब तक ढुलमुल ही रहा है. हालांकि मुतालिक पर पहले से ही कई मामले दर्ज हैं मगर अब तक प्रशासन कभी उसके फरार होने और कभी उस तक न पहुंच सकने की बात कह कर उसकी गिरफ्तारी को टालता रहा था. मगर इस बार आखिरकार उसे गिरफ्तार कर ही लिया गया.

वैसे कई स्थानीय पत्रकारों को पहले से ही इस घटना की जानकारी थी. सेना के कार्यकर्ताओं ने घटना से आधा घंटा पहले उन्हें फोन कर कहा था कि अगर वे पब में आएंगे तो उन्हें घटना की एक्सक्लूसिव तस्वीरें मिलेंगी. एक स्थानीय फोटोग्राफर राकेश भट्ट कहते हैं, ‘यहां अक्सर इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं. हमने सोचा कि ये भी इसी तरह का कोई मामला होगा. मगर किसे पता था कि ये इतनी बड़ी खबर बन जाएगा.’

भट्ट गलत नहीं कह रहे. 24 जनवरी की घटना से कुछ दिन पहले ही शहर के एक सुपरस्टोर में भी ऐसी एक घटना हुई थी. इससे पहले 26 दिसंबर 2008 को मैंगलोर के एक कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाले बच्चों को लेकर जा रही बस पर हमला हुआ और कुछ बच्चों की सिर्फ इसलिए पिटाई की गई कि वे बस में सवार दूसरे धर्म के बच्चों के साथ यात्रा कर रहे थे. 20 दिसंबर 2008 को श्रीराम सेना के कार्यकर्ताओं ने शहर में हो रहे एक फैशन शो में ये कहते हुए उत्पात मचाया था कि युवा पीढ़ी को गुमराह किया रहा है.

श्रीराम सेना का गठन 2007 में हुआ था. मुख्य रूप से कर्नाटक के तटीय जिलों और मुतालिक के गृहनगर बगलकोट में सक्रिय इस संगठन का मानना है कि हिंदुत्व का प्रचार हिंसा का सहारा लिए बिना हो ही नहीं सकता. ये संगठन तो संघ परिवार का हिस्सा नहीं है पर इसके अध्यक्ष प्रमोद मुतालिक का संघ से पुराना नाता है. मुतालिक ने 2004 में बजरंग दल के दक्षिण भारत संयोजक का पद छोड़ दिया था. इसकी वजह थी गौवध के मुद्दे पर दिए गए उसके भड़काऊ भाषण जिनके कारण संगठन को सार्वजनिक तौर पर उससे संबंध स्वीकारने में संकोच होने लगा था. बजरंग दल से नाता तोड़ने के बाद मुतालिक शिवसेना में आ गया और उसने 2005 में शिवसेना की कर्नाटक इकाई की स्थापना की. मगर कुछ ही महीने बाद उसने बेलगाम जिले को महाराष्ट्र में मिलाने के मुद्दे पर शिवसेना भी छोड़ दी. श्रीराम सेना को एक तरह से उसका मुख्यधारा में लौटने का प्रयास कहा जा सकता है. मुतालिक ने 2008 में राष्ट्रीय हिंदुस्तान के नाम से एक राजनीतिक पार्टी भी लांच की थी. इसने राज्य में पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में आठ उम्मीदवार खड़े भी किए थे जिनमें बगलकोट से लड़ रहा मुतालिक भी था पर सभी बुरी तरह हार गए.

गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के दौरान हुबली में हुए बम धमाकों के सिलसिले में पिछले महीने जिन नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया उनमें से कइयों के मुतालिक और श्रीराम सेना से सीधे संबंध पाए गए. राज्य के आईजी के मुताबिक 24 साल का नागराज जंबागी हुबली कोर्ट परिसर में धमाके और धारवाड़-बेलगाम रेलवे लाइन पर बम रखने के लिए जिम्मेदार गैंग का अहम सदस्य है. जंबागी को कई सार्वजनिक आयोजनों में मुतालिक  के साथ देखा गया है. बगलकोट के कई लोग भी ये बताते हैं कि जंबागी, मुतालिक का दायां हाथ था. मुतालिक ने खुद भी जंबागी को कानूनी मदद देने की बात मानी है. हालांकि उसका दावा है कि जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उन्होंने धमाके करने से पहले ही श्रीराम सेना छोड़ दी थी. मगर इस दावे की असलियत इसी बात से जाहिर हो जाती है कि ये संगठन अपने सदस्यों का कोई लिखित रिकॉर्ड रखता ही नहीं है.

उधर, सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र पुलिस भी शुरुआत में अनदेखी करने के बाद अब मालेगांव धमाकों से मुतालिक के संबंध की खोजबीन करने लगी है क्योंकि पुरोहित से पूछताछ के दौरान पुलिस ने उसे मुतालिक से काफी प्रभावित पाया था. मुतालिक को अपने भाषणों में साध्वी प्रज्ञा की प्रशंसा  के साथ और धमाके करने की बात कहते भी पाया गया है.

बंगलुरू धमाकों के बाद सितंबर 2008 में मुतालिक ने मैंगलोर में ऐलान किया कि श्रीराम सेना के 700 सदस्यों को आत्मघाती हमले करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. उसने ये भी दावा किया कि वो आतंकवाद के खिलाफ एक सेना बनाएगा जिसमें एक साल के भीतर ही 5000 लोगों को भरती कर लिया जाएगा. मुतालिक ने हिंदू युवकों से आत्मघाती दस्ते में शामिल होने की भी अपील की थी.

कर्नाटक में भाजपा ने पहली बार सरकार बनाई है और इसके कुछ ही समय बाद उसकी जो किरकरी होनी शुरू हुई तो वो अब तक रुकने का नाम नहीं ले रही. सितंबर 2008 में चचरें पर हमलों को लेकर केंद्र ने राज्य सरकार को तगड़ी फटकार लगाई थी. अब मुतालिक ने नई मुसीबत पैदा कर दी है. पार्टी फिलहाल खुद को मुतालिक से अलग करने की कोशिशों में जुटी है. राज्य के गृहमंत्री वी एस आचार्य उन्हें बेलगाम तोप कह रहे हैं तो पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह का कहना है कि राजनीतिक विरोधियों को आरएसएस-बीजेपी फोबिया हो गया है.

उधर, मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ये तो कहते हैं कि किसी को भी कानून हाथ में नहीं लेने दिया जाएगा पर लगे हाथ पब संस्कृति के खिलाफ अपना विरोध भी जाहिर करना नहीं भूलते. यही रवैया सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करता है.