के.रवि (दादा)
अरब सागर के किनारे बसा मुंबई शहर जिनता ख़ूबसूरत है, उतनी ही डरावने अपराध मायानगरी नाम से मशहूर इस शहर में होते हैं। मुंबई में समुद्र के रास्ते से पाकिस्तानी जासूसों, लोगों और आतंकवादियों की घुसपैठ की उड़ती ख़बरें कई बार सामने आयी हैं। साल 2008 में 26-29 नवंबर तक 10 लश्कर-ए-तैयबा के क़रीब 10 आतंकवादियों ने मुंबई में हमला बोला था, जिसमें 164 लोग मारे गये थे और 300 से ज़्यादा लोग घायल हो गये थे। इसके बाद 26/11 के हमले को कौन भूल सकता है, जिसमें एक ज़िन्दा आतंकवादी कसाब पकड़ा गया था। इसके अलावा क़रीब छ: साल पहले भी पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने मुंबई में बने बंदरगाह पर हमला किया था। आतंकवादियों के लिए समुद्री रास्ता आसान हो जाता है; क्योंकि समुद्र में चप्पे-चप्पे की निगरानी संभव नहीं है। फिर भी हमारे नेवी के जवान और सीमाओं पर तैनात पुलिस और सेना के जवान समुद्री रास्ते से अवैध घुसपैठ को रोकने में ज़्यादातर कामयाब रहते हैं। पर समुद्री रास्ते से अवैध आयात-निर्यात होने पर रोक लगाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है, जिसके चलते ड्रग्स और हथियारों की तस्करी की ख़ुफ़िया जानकारियाँ कई बार सामने आ चुकी हैं।
अब इन अवैध आयात-निर्यात और गलत लोगों के मुंबई में आने को रोकने के लिए राजस्व ख़ुफ़िया निदेशालय ने ऑपरेशन डीप मैनिफेस्ट नाम से एक मुहिम चलायी है। इस मुहिम का मक़सद मुंबई में दुबई, यूएई और पाकिस्तानी मूल के सामान के अवैध रूप से आयात और अवैध लोगों को आने से रोकना है। पिछले कुछ ही दिनों में इस मुहिम के ज़रिये पुलिस ने 39 कंटेनर ज़ब्त करके क़रीब 1,115 मीट्रिक टन अवैध सामान बरामद किया है, जिसकी क़ीमत क़रीब नौ करोड़ रुपये से ज़्यादा है। इस मामले में मुंबई पुलिस ने इंपोर्टिंग फर्म के एक सहयोगी को भी गिरफ़्तार किया है। मुंबई के बंदरगाहों पर अवैध आयात-निर्यात आयात-निर्यात नीति की शर्तों और क़ानूनी प्रतिबंधों का उल्लंघन करके होता है, जिससे बड़े पैमाने पर कालाबाज़ारी को बढ़ावा मिलता है।
बता दें कि अब पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद 02 मई, 2025 को भारत सरकार ने पाकिस्तान से आने वाली वस्तुओं के निर्यात पर व्यापक प्रतिबंध लगा दिया था। ये वस्तुएँ शिपिंग डॉक्यूमेंट्स में हेरफेर करके अवैध तरीक़े से लाखों टन वस्तुएँ हर साल मुंबई के रास्ते देश में भेजी जाती हैं, जिनमें अनुमान यह है कि ड्रग्स बड़ी मात्रा में आती है। गौतम अडाणी के मुंद्रा पोर्ट पर दो साल पहले पकड़ी गयी करोड़ों की क़रीब 3,000 किलो ड्रग्स इसका जीता-जागता उदाहरण है।
प्रिवेंटिव कमिश्नरेट के हिस्से के रूप में सन् 1970 में स्थापित हुई मुंबई कस्टम्स की रम्मेजिंग एंड इंटेलिजेंस (आर एंड आई) विंग देश की सीमाओं की सुरक्षा और आर्थिक हितों की रक्षा में अहम भूमिका निभाती है। समुद्र में नेवी और पुलिस भी तैनात रहती है। बंदरगाहों पर भी पुलिस और कस्टम विभाग की पैनी नज़रें लगी रहती हैं। पर अवैध आयात-निर्यात फिर भी नहीं रुक पाता है और बहुत कम मामले पकड़ में आते हैं। ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि बंदरगाहों पर नियुक्त कुछ सरकारी अधिकारी और कर्मचारी भ्रष्ट हैं और अवैध आयात-निर्यात को बढ़ावा देते हैं। मुंबई के बंदरगाहों के ज़रिये 1960 के दशक के उत्तरार्ध में तस्करी में ख़तरनाक तरीके से बढ़ी थी। अवैध तस्करी से निपटने के लिए सन् 1970 में निवारक आयुक्तालय बनाया गया। पर तस्करी और अवैध आयात-निर्यात पर पूरी तरह रोक नहीं लग सकी। कुछ महीने पहले ही भारतीय नौसेना ने पश्चिमी भारतीय महासागर में 2,500 किलोग्राम से अधिक नशीले पदार्थों को ज़ब्त किया था। भारतीय समुद्रों के तटों पर नशीले पदार्थ पकड़े जाने के कई मामले हर साल आते हैं।
तटीय मार्गों से तस्करी और अवैध आयात-निर्यात को रोकने के लिए देश की व्यापक समुद्री सीमाओं की निगरानी और सुरक्षा के लिए समुद्री और निवारक विंग की स्थापना की गयी थी, जिसे सन् 1970 में निवारक आयुक्तालय में एकीकृत कर दिया गया। आज मुंबई बंदरगाह को 152 साल हो चुके हैं, जिसके ज़रिये हर दिन हज़ारों टन माल आयात-निर्यात होता है। अंग्रेजों ने इस बंदरगाह के ज़रिये भारत को लूटकर ख़ूब सामान और रुपया-पैसा ढोया था। आज तो इतना आधुनिकीकरण हो चुका है कि समुद्र में अंडरग्राउंड सड़क बन रही है। पर समुद्र के रास्ते से होने वाले अवैध आयात-निर्यात और गलत लोगों की घुसपैठ एक चिंताजनक विषय है, जिस पर महाराष्ट्र सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी ध्यान देना चाहिए और समुद्री निगरानी बढ़ानी चाहिए।