महंगाई और बेरोजगारी से लोगों के बीच निराशा
राजीव दुबे
भले ही सरकार तामाम दावे करें, कि देश में रोजगार
मुहैया कराये जा रहे है। पर धरातल पर सब कुछ उल्टा
है। ना तो लोगों के पास रोजगार है और ना ही काम-
धंधे सही चल रहे है। दिल्ली के युवाओं ने तहलका
संवाददाता को बताया कि एक ओर तो देश में महगांई हर
रोज आसमान को छू रही है। वहीं काम धंधे और रोजगार
ना होने के कारण घर का खर्चा चलाना मुश्किल हो रहा
है। दिल्ली व्यापार मोर्चा के पवन अरोड़ा का कहना है कि
कोरोना काल के पहले ही देश में युवाओं को रोजगार नहीं
थे। सरकार अब भले ही कह रही है कि कोरोना के चलते
रोजगार की दिक्कत हुई है। जबकि सच्चाई ये है कि
कोरोना काल के पहले 2018 से देश में बेरोजगारी बढ़ी
है। तामाम आँकडे इसके गवाह है। कि सरकार रोजगार
मुहैया कराने में असफल रही है। रहा सवाल महंगाई तो
आने वाले दिनों में सरकार की उदासीनता और निजीकरण
के बढ़ते प्रभाव के कारण देश में महंगाई बढ़ेगी।खाना-पीने
के सामान आसमान छू रहे है। डीजल –प्रेट्रोल के दामों में
बृद्दि के चलते आना-जाना और खाना –पीना सब कुछ
महंगा हो गया है। फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री से जुड़े अनिल
अग्रवाल ने बताया कि कोरोना काल में दवा का कारोबार
जमकर बढ़ा है। साथ ही दवाईयों के दामों में इजाफा होने
से गरीब मरीजों को बाजार से दवा खरीदनें में आर्थिक
तंगी का सामना करना पड़ रहा है। अगर देश को स्वस्थ्य
चाहिये तो, महंगाई के साथ दवा को सस्ता करना करना
होगा। अन्य़था दवा के अभाव में लोगों को इलाज करवाने
में दिक्कत होगी। अनिल अग्रवाल का कहना है कि
महंगाई और बेरोजगारी से देश में निराशा का माहौल बन
रहा है।