साप्ताहिक व्यापारियों ने कहा रोजी-रोटी ना जाये पायें

 

अजीब बिडम्वना कहें, कि राजनीति की नीति का हिस्सा कि एक ओर तो केन्द्र और दिल्ली सरकार, बढ़ते कोरोना की रोकथाम को लेकर तामाम तरह से सख्ती की बात कर रही है।यानि कि कोरोना भी रूके और बाजार भी चलें।ऐसे में कोरोना को काबू पाने में मुश्किल होगा।वहीं दिल्ली में साप्ताहिक बाजारों में गाइड लाइन की धज्जियां उड़ाई जा रही है। तहलका संवाददाता ने साप्ताहिक बाजारों में जाकर देखा , बाजारों में भयंकर भीड़ और जिसमें 50 से 60 प्रतिशत लोग बिना मास्क के बाजारों में जमकर खरीददारी कर रहे है। ऐसा नहीं है कि बाजारों में पुलिस तैनात नहीं रहती है।लेकिन सब दिखावे के तौर पर । बिना मास्क पहने एकाध ही लोगों के चालान काट कर अपनी जिम्मेदारी निभा रही है।

बताते चलें दिल्ली में जहां जहां पर साप्ताहिक बाजार लगते है। उसमें जो अधिकत्तर छोटे व्यापारी दिल्ली और उत्तर प्रदेश से आकर अपना सामान बेचनें को आते है।दिल्ली के व्यापारी सुरेश गुप्ता ने बताया कि वे 14 साल से दिल्ली के कई इलाकों में साप्ताहिक बाजार लगाते रहे है। कोरोना जब 2020 में आया था । तब लाँकडाउन लगा था। सारा धंधा उनका चौपट हो गया था। जून जुलाई से साप्ताहिक बाजार के लगने से थोड़ा धंधा चलने की उम्मीद जागी थी। उनका कहना है कि साप्ताहिक बाजारों में मध्यम और गरीब वर्ग का तबका सस्ता सामान खरीदने का आता है। इस लिहाज से सैकड़ों व्यापारियों की रोजी रोटी चलती है।साप्ताहिक बाजार में काम करने वाले नीरज सिंघल ने बताया कि बाजारों में भीड़ है, तो इसका मतलब ये ना समझें कि ये व्यापारी जमकर कमा रहे है। सरकार से साप्ताहिक व्यापारियों ने अपील की है कि कोरोना के बढ़ते कहर को देखते हुये लाँकडाउन ना लगाये। बल्कि बाजारों के लिये या तो पार्क में या डीडीए के मैदान में जगह एलाँट कर दें,अन्यथा साप्ताहिक बाजार का व्यापारी को रोजी-रोटी चलाना मुश्किल हो जायेगा। क्योंकि छोटा व्यापारी वैसे ही कोरोना काल में काफी टूट चुका है।