देश भर में 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के होने, न होने की चर्चा गरम है। पिछले साल से बोर्ड परीक्षाएँ रुकने से बच्चों का भविष्य ख़राब हो रहा है। स्वयं प्रधानमंत्री ने सीबीएसई की 12वीं की परीक्षा रद्द कर दी है। लेकिन इसमें भी एक विकल्प यह है कि जो छात्र परीक्षा देना चाहें, वे दे सकते हैं। परिणाम कई राज्यों के बोर्डों ने परीक्षा की तैयारी भी कर ली है, तो कई सरकारों ने सीबीएसई की तर्ज पर बोर्ड परीक्षाओं को रद्द कर दिया है। इस बीच छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने 12वीं कक्षा की परीक्षा घर बैठे कराकर एक बेहतर पहल की है। क्योंकि इससे 12वीं व इससे पूर्व की कक्षाओं में पढऩे वाले विद्यार्थियों का साल ख़राब नहीं होगा। सभी राज्यों की सरकारों को इससे सीख लेनी चाहिए। क्योंकि कोरोना वायरस का प्रकोप कब तक रहेगा, यह कोई नहीं जानता। देश भर में 12वीं की परीक्षा को लेकर चल रही उथल-पुथल पर मंजू मिश्रा की रिपोर्ट :-
इन दिनों कोरोना महामारी के चलते सभी बोर्ड परीक्षाएँ टलती जा रही हैं। अधिकतर राज्यों में 10वीं की परीक्षा रद्द की जा चुकी है और उसके परिणाम तैयार किये जा रहे हैं। कहीं-कहीं रिज्लट घोषित भी हो चुके हैं। ये परिणाम छात्रों के पिछले तीन साल के परीक्षा परिणाम के रिकॉर्ड के हिसाब से तैयार किये जा रहे हैं। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) समेत कुछ राज्यों के बोर्डों द्वारा ऐसा ही कुछ 12वीं के बच्चों के लिए भी सोचा जा रहा है। इसमें समस्या यह है कि कुछ बच्चों को अच्छे अंक मिल सकते हैं, तो वहीं कुछ के साथ अन्याय भी हो सकता है। कोरोना महामारी के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ख़ुद सीबीएसई की परीक्षा रद्द करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि छात्रों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। इसके बाद सोशल मीडिया और मीडिया चैनल्स पर लोग सवाल उठाने लगे कि जब देश में सब कुछ चल रहा है। तालाबंदी (लॉकडाउन) में भी काफ़ी हद तक छूट दी जा चुकी है। कोरोना महामारी के बीच तमाम राज्यों में चुनाव भी हुए, जिनमें ख़ुद प्रधानमंत्री और उनके मातहत नेता लाखों की भीड़ जुटाकर रैलियाँ करते रहे; तो बच्चों की परीक्षाएँ क्यों रद्द की जा रही हैं?
इस बीच छत्तीसगढ़ सरकार और छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीजीबीएसई) ने एक अलग ही पैटर्न पर 12वीं की परीक्षा करा ली है। सीजीबीएसई ने घर बैठे अभ्यर्थियों की 12वीं कक्षा की परीक्षा ले ली है। इस परीक्षा के लिए सीजीबीएसई ने अभ्यर्थियों को पाँच प्रश्न पत्र और उत्तर पुस्तिकाएँ घर ले जाकर पाँच दिन में हल करके छठे दिन अपने-अपने विद्यालय / कॉलेज में उत्तर पुस्तिकाएँ लाकर जमा करने की छूट दी थी। छत्तीसगढ़ में सीजीबीएसई के अंतर्गत आने वाले सभी माध्यमिक विद्यालयों और कॉलेजों ने 01 जून से 05 जून तक सुबह 10 :00 बजे तक शाम 4:00 बजे तक परीक्षा सामग्री बाँटी गयी, जबकि 06 जून से 11 जून तक उत्तर पुस्तिकाएँ छात्र-छात्राओं ने जमा कीं। लेकिन सूचना मिली है कि कई बच्चों ने घर पर प्रश्न पत्र हल करने की छूट पर भी दो पन्ने में ही सभी प्रश्नों के उत्तर दे दिये हैं।
किस-किस बोर्ड ने रद्द कीं परीक्षाएँ
देश में जारी कोरोना संकट के बीच सीबीएसई समेत कई राज्य बोर्डों ने अपने-अपने यहाँ 12वीं की परीक्षा रद्द कर दी हैं। सीबीएसई की परीक्षा रद्द करने के निर्णय के बाद काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) और इंडियन स्कूल सर्टिफिकेंट (आईएससी) के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गोवा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी ने भी 12वीं बोर्ड की परीक्षाएँ रद्द कर दी हैं, जिसकी सूचना काउंसिल की ओर से जारी कर दी गयी है। इनसें से कई राज्य के बोर्ड 12वीं के नतीजे घोषित करने की तैयारी कर रहे हैं। 10वीं यानी हाई स्कूल के परिणाम कई बोर्ड पिछले तीन वर्ष के छात्र-छात्राओं के रिकॉर्ड के हिसाब से घोषित कर चुके हैं और बाक़ी भी यही करेंगे।
12वीं की परीक्षा रद्द होने के बाद अब सबसे बड़ा सवाल परिणाम-2021 के फॉर्मूले को लेकर है। सीबीएसई ने परिणाम का फॉर्मूला तैयार करने के लिए 13 सदस्यीय समिति का गठन किया है, जिसने 12वीं के छूटे हुए विद्यार्थियों के लिए प्रोजेक्ट और प्रैक्टिकल ऑनलाइन माध्यम से कराने और 28 जून तक अंक जमा करने के निर्देश दिये। बता दें कि देश भर में सीबीएसई 12वीं की परीक्षा देने वाले छात्रों की संख्या 14 लाख 30 हज़ार से भी अधिक है। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शिक्षामंत्री और अधिकारियों के साथ बैठक के बाद यह निर्णय लिया 12वीं में लगभग आठ लाख परीक्षार्थियों की परीक्षा फीस वापस की जाएगी। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड में प्रदेश भर में कुल 2,544 परीक्षा केन्द्रों पर क़रीब 6,67,234 परीक्षार्थियों को शामिल होना था। गुजरात माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तहत 6.83 लाख विद्यार्थियों को 12वीं की परीक्षा देनी थी। सभी राज्यों के बोर्डों के छात्रों को मिला लिया जाए, तो कुल परीक्षार्थियों की संख्या क़रीब 1.5 करोड़ है।
पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड (पीएसईबी) की 12वीं परीक्षा 2021 के आयोजन या रद्द होने के सम्बन्ध में अब तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गयी है। लेकिन यहाँ भी 12वीं बोर्ड परीक्षा रद्द की जा सकती है। ग़ौरतलब है कि पंजाब बोर्ड ने 10वीं की परीक्षा रद्द कर दी थी। बोर्ड ने आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर 10वीं कक्षा का परिणाम तैयार किया था। परिणाम की घोषणा 17 मई, 2021 को की गयी थी। वहीं बिहार के शिक्षा मंत्री ने केंद्र सरकार को सुझाव दिये हैं कि सीबीएसई और बिहार बोर्ड की परीक्षाएँ ऑनलाइन संचालित करायी जाएँ, तो ज़्यादा बेहतर होगा।
क्या होगा 12वीं परिणाम का फार्मूला
जिस-जिस बोर्ड की 12वीं की परीक्षा रद्द की गयी है, वहाँ सीधे परिणाम घोषित किये जाएँगे, जो कि विद्यार्थी के तीन साल के परीक्षा रिकॉर्ड के आधार पर होंगे। लेकिन इस तरह परीक्षा परिणाम घोषित करने पर जहाँ कई बच्चों को योग्यता से अधिक अंक मिलने की उम्मीद बढ़ जाएगी, वहीं कई प्रतिभा सम्पन्न विद्यार्थियों का कम अंक आने की वजह से भविष्य ख़राब हो सकता है; क्योंकि हायर एजुकेशन में जाने के लिए 10वीं और 12वीं में अंकों का फ़ीसद बहुत मायने रखता है। कई तरह के कोर्सेज और डिग्री, डिप्लोमा ऐसे हैं, जिनमें कम अंक वाले विद्यार्थियों को प्रवेश मिलता ही नहीं है। ऐसे में यदि किसी विद्यार्थी के पूर्व की कक्षाओं में किसी कारणवश कम अंक आये हैं और उसने इस साल बहुत अच्छी तैयारी की है, तो उसे इस बार भी अच्छे अंक नहीं मिल सकेंगे, जिससे उसे मनचाहे विषय या क्षेत्र में प्रवेश नहीं मिल सकेगा। अमूमन होता यही है कि पिछली कक्षाओं में कम अंक लाने वाले बहुत-से बच्चे अगली परीक्षा की तैयारी कड़ी मेहनत के साथ करते हैं। इसके अलावा यह भी सम्भव है कि कुछ अध्यापक जातिवाद, क्षेत्रवाद देखकर विद्यार्थियों को अंक दें। क्योंकि भेदभावपूर्ण व्यवहार करने वाले अध्यापक विद्यार्थियों का नाम देखकर उन्हें अंक दे सकते हैं।
जैसा कि सभी जानते हैं कि पूरे देश में 10वीं की बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम जारी कर दिये हैं, जबकि कुछ बोर्ड परीक्षा परिणाम जल्द ही जारी करेंगे। माना जा रहा है कि सभी परिणाम 15 जुलाई तक आ सकते हैं। सीबीएसई जल्द ही 10वीं का परिणाम घोषित करेगा। इवैल्यूएशन क्राइटेरिया के अनुसार, 10वीं कक्षा में विद्यार्थी का मूल्यांकन कुल 100 अंकों के लिए किया जाएगा, जिसमें 20 अंक इंटरनल असेसमेंट के लिए और 80 अंक स्कूल द्वारा साल भर में आयोजित की गयी विभिन्न परीक्षाओं में उसकी परफॉर्मेंस के आधार पर दिये जाएँगे। इसी तरह 12वीं बोर्ड की परीक्षा रद्द करने वाले बोर्ड भी परिणाम घोषित करेंगे, ताकि 12वीं के विद्यार्थी अपना भविष्य बना सकें।
सीबीएसई बोर्ड में कार्यरत वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि देश में कोरोना वायरस ने शिक्षा को तहस-नहस कर दिया है। लेकिन उन बच्चों के पास अब भी परीक्षा देने का विकल्प है, जो परीक्षा देना चाहते हैं। सीबीएसई की ओर से इसके लिए एक अधिसूचना भी जारी की गयी है। लेकिन परीक्षा की तिथि तय नहीं है। शायद कोरोना ख़त्म होने तक परीक्षा न हो। वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय ने परीक्षा को रद्द करने के लिए केंद्र के फ़ैसले पर सन्तोष जताया है। लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि अब इस मामले में और देर न की जाए। न्यायालय ने यह भी पूछा है कि विद्यार्थियों को अंक या ग्रेड देने का क्या मापदण्ड (क्राइटएरिया) है? इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय ने दो सप्ताह का समय दिया है। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अदालत के दिशा-निर्देश पर परीक्षा परिणाम जल्द-से-जल्द घोषित किये जाने की तैयारी चल रही है, ताकि विद्यार्थी आगे की पढ़ाई कर सकें।
कुछ विद्यार्थियों ने जतायी आपत्ति
10वीं के परिणाम को लेकर कई बोर्डों के लाखों विद्यार्थी अपने अंकों को लेकर असन्तुष्ट हैं और उन्होंने आपत्ति जतायी है। कुछ विद्यार्थियों का दावा है कि उनके अंक बहुत कम आये हैं। ऐसे बहुत-से विद्यार्थियों ने उन्हें उनकी योग्यतानुसार अंक देने या फिर बहुतों ने उनकी परीक्षा लेने को कहा है। कुछ बोर्डों ने इस बात को स्वीकार करते हुए परीक्षा दोबारा लेने की बात कही है। लेकिन परीक्षा की कोई तारी$ख निर्धारित नहीं की है। अगर सब कुछ ठीक रहा, तो सीबीएसई के असन्तुष्ट विद्यार्थियों की परीक्षा 15 जुलाई से 26 अगस्त हो सकती है। वहीं परीक्षा न होने से कुछ विद्यार्थी, जिनके फेल होने की उम्मीद थी, वे पास हो सकते हैं; बल्कि अच्छे अंकों से भी पास हो सकते हैं।
छत्तीसगढ़ में घर बैठे परीक्षा
छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीजीबीएसई) द्वारा घर बैठे पाँच दिन में 12वीं के विद्यार्थियों से परीक्षा लेने की योजना लोगों को हैरान कर सकती है। लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार और सीजीबीएसई की इस पहल को एक बेहतरीन $कदम माना जाना चाहिए। क्योंकि कोरोना महामारी की इस घड़ी में यही एक विकल्प बेहतर हो सकता था। हालाँकि राज्य के भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा (भाजयुमो) के सदस्यों ने इस पर कड़ी आपत्ति जतायी है और इस तरह घर पर ली गयी परीक्षा को रद्द करने के लिए एक ज़िलाधिकारी के माध्यम से वहाँ की राज्यपाल अनुसूइया उइके को ज्ञापन सौंपा है।
बता दें कि सीजीबीएसई ने 10वीं के छात्रों के आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर कक्षा 10 का परिणाम पहले ही घोषित कर दिया है। इस साल प्रदेश के सभी 4 लाख 61 हज़ार 093 छात्र यानी 100 फ़ीसदी छात्र उत्तीर्ण हुए हैं। बोर्ड ने परीक्षा में प्राप्त अंकों से असन्तुष्ट बच्चों से अगले साल की परीक्षा में बैठने की सलाह दी है। सूत्र बताते हैं कि इस बार की अंक तालिकाओं में कोरोना और घर बैठे परीक्षा का ज़िक्र होगा।
इधर छत्तीसगढ़ में हुई अनोखी परीक्षा के बारे में वरिष्ठ पत्रकार और समाजसेवी विकास वर्मा ने कहा कि प्रतिभा परीक्षा की मोहताज नहीं होती। बताया कि उन्होंने इस अजब-गजब परीक्षा को जीवन में पहली बार देखा और बड़े नज़दीक से इसके बारे में जाना। विकास वर्मा कहते हैं कि ऐसा पहली बार देखकर पहले तो यही ख़्याल आया कि काश हमारे समय में भी ऐसा हुआ होता, तो हमने भी गद्गद् होकर परीक्षा दी होती।
शासकीय बहुउद्देशीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, अंबिकापुर, छत्तीसगढ़ के प्रिंसिपल एच.के. जायसवाल ने बताया कि छत्तीसगढ़ में क़रीब 12वीं के 2 लाख 86 हज़ार छात्र हैं। अगर इस तरह परीक्षा का निर्णय शिक्षा मंत्रालय और बोर्ड नहीं लेता, तो इतने बच्चे उच्च शिक्षा में जाने से वंचित रह जाते। क्योंकि इसके अलावा कोई चारा न तो सरकार के पास था और न शिक्षा विभाग के पास और न कॉलेजों के पास। प्रिंसिपल एच.के. जायसवाल ने बताया कि उनके कॉलेज में 12वीं के क़रीब 350 विद्यार्थी हैं और सभी परीक्षा दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि हमने हमेशा बच्चों को बहुत अच्छी तरह पूरी ईमानदारी से शिक्षा दी है। लेकिन कोरोना वायरस के चलते उचित तरीक़े से बच्चों की शिक्षा नहीं पायी है, फिर भी ऑनलाइन पढ़ाई लगातार जारी रही है और हमारे सभी टीचरों ने बड़ी मेहनत से कोरोना-काल में बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाया है। हमने परीक्षा से पहले भी बच्चों को पूरी ईमानदारी से प्रश्न-पत्र हल करने को कहा था और हमें उम्मीद है कि हमारे कॉलेज के बच्चों ने घर पर भी पूरी ईमानदारी से प्रश्न-पत्र हल किये होंगे। घर पर नक़ल करने की सम्भावना पर प्रिंसिपल एच.के. जायसवाल ने कहा कि देखिए नक़ल की सम्भावना से पूरी तरह तो इन्कार नहीं किया जा सकता, मगर बच्चों को यह भी मालूम है कि केवल एक परीक्षा नक़ल से पास कर लेने से भविष्य नहीं बनता। इसलिए ज़्यादातर बच्चों ने पूरी ईमानदारी से यह परीक्षा दी होगी। उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन तो होगा ही। अध्यापक भी काफ़ी अनुभवी होते हैं, उत्तर पुस्तिका देखकर पता चल जाता है कि किस विद्यार्थी ने कितनी ईमानदारी से प्रश्न-पत्रों को हल किया है। इस तरह की परीक्षा का प्रयोग पिछले साल ओपन बोर्ड भी कर चुका है; क्योंकि तब भी कोरोना-काल के चलते स्कूलों-कॉलेजों में परीक्षाएँ नहीं हो सकी थीं।
शासकीय बहुउद्देशीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, अंबिकापुर, छत्तीसगढ़ के वायोलॉजी के लेक्चरर डॉ. विनोद दुबे, ने बताया कि देश में कोरोना वायरस का प्रकोप कब तक रहेगा? यह कोई भी नहीं बता सकता। अभी कोरोना की दूसरी लहर ख़त्म नहीं हुई है और तीसरी लहर का डर लोगों को सता रहा है। देश की सरकार और राज्यों सरकारों में भी इसे लेकर काफ़ी भय साफ़ दिखायी दे रहा है। ऐसे में पढ़ाई और परीक्षाओं को बहुत लम्बे समय तक स्थगित करना तो उचित नहीं है। क्योंकि इससे विद्यार्थियों का भविष्य ख़राब होगा। इसलिए छत्तीसगढ़ सरकार और बोर्ड के इस फ़ैसले की सराहना की जानी चाहिए। डॉ. विनोद दुबे कहते हैं कि एक मात्र 12वीं की परीक्षा रुक जाने से नीचे की सभी कक्षाओं के बच्चों का साल ख़राब होता और जितने साल इन बच्चों को रोका जाता, उतनी ही देरी बाक़ी बच्चों को अगली कक्षा में लाने में होती। ऐसे में कक्षाएँ ख़ाली न होने से नर्सरी और कक्षा एक में नये बच्चों को भी प्रवेश नहीं मिलता, जिससे इन बच्चों का भविष्य भी ख़तरे में पड़ता।
“छात्रों का स्वास्थ्य और उनकी सुरक्षा सबसे महत्त्वपूर्ण है और इससे किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं किया जा सकता।”
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
“मुझे ख़ुशी है कि सीबीएसई 12वीं की परीक्षा रद्द कर दी गयी है। हम अपने बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर काफ़ी चिन्तित थे। परीक्षा रद्द होने से बहुत बड़ी राहत मिली है।”
अरविंद केजरीवाल,
मुख्यमंत्री, दिल्ली