पूर्व की भाजपा सरकार ने पाँच साल तक भ्रष्टाचार को ज़ीरो टॉलरेंस बोलकर शासन किया। रघुवर दास के नेतृत्व में बनी भाजपा सरकार का चुनाव के समय दावा रहा कि पाँच साल में एक भी भ्रष्टाचार का मामला सामने नहीं आया। विपक्ष भी सरकार पर कोई आरोप नहीं लगा सकी। पिछले वर्ष 28 दिसंबर को सत्ता परिवर्तन हुआ।
झामुमो के नेतृत्व में कांग्रेस और राजद के सहयोग से गठबन्धन की सरकार बनी। सत्ता पलटते ही पिछले 10 महीने में पूर्व की सरकार के कई घोटाले सामने आने लगे। कुर्सी सँभालने के 10 महीने के अन्दर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 10 से अधिक मामलों में जाँच का आदेश दे चुके हैं। कई मामले भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) को जाँच के लिए दिये गये। घोटाला हुआ है या नहीं, इसका खुलासा जाँच रिपोर्ट आने के बाद ही होगा। फिलहाल सत्ता पटलते ही पूर्व की सरकार पर जाँच का साया मँडराने लगा है। इसे लेकर राज्य की राजनीतिक माहौल गरम है।
सरकार के साथ पार्टियों के तेवर सख्त
सरकार के साथ-साथ सत्ता पक्ष में शामिल पार्टियों के तेवर भी सख्त हैं। पिछले दिनों झरखण्ड में दो सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव में सत्ता पक्ष ने दोनों सीटों पर कब्ज़ा जमाया। नतीजन उनका मनोबल बढ़ा हुआ है।
सरना कोड को लेकर बुलाये गये विधानसभा के विशेष सत्र में सरकार के सख्त तेवर का नज़ारा देखने के लिए भी मिला। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सदन में कहा कि कितने घोटाले किये वह सामने आ रहा है। इसलिए जनता ने विपक्ष में बैठाया है। अभी भी उप चुनाव में जनता ने साथ नहीं दिया। वहीं झामुमो व कांग्रेस के पार्टी पदाधिकारी भी भाजपा को किसी स्तर पर घेरने का मौका नहीं चूक रहा है।
भाजपा ने दी सफाई
भाजपा के वर्तमान विधायक और पार्टी पदाधिकारी अपनी पूर्व की सरकार को बचाव करने में लगे हैं। वे अब भी भ्रष्टाचार को ज़ीरो टॉलरेंस की बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि पूर्व की सरकार ने राज्य में कई विकास के काम किये। सरकार को जो सही और जनहित में लगा, वह कदम उठाया। कहीं घोटाला हुआ या गड़बड़ी हुई है, तो वर्तमान सरकार जाँच कराने के लिए स्वच्छंद है।
उन्होंने कहा कि सरकार जाँच कराये, लेकिन रिपोर्ट आने से पहले ही राजनीतिक माइलेज लेने के लिए घोटाला होने की बात न करें। रिपोर्ट आने का इंतज़ार करे।
जमकर हुई लूट, जाँच में होगा खुलासा
झामुमो महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि हेमंत सरकार विद्वेश भावना से जाँच नहीं करा रही। कई मामले जाँच के लिए पहले से पड़े थे, तो कई में गड़बड़ी सामने आयी है। पूर्व की सरकार में जमकर लूट हुई। पूर्ववर्ती सरकार के एक-एक कामकाज की जाँच होगी। जाँच में सभी बातों का खुलासा हो जाएगा।
सरकार ने फिलहाल 10 मामलों की जाँच के आदेश दिये हैं, जो निम्न प्रकार हैं :-
- स्किल समिट घोटाला : पूर्व सरकार ने वर्ष 2018 और 2019 में स्किल समिट का आयोजन किया था। इन दो आयोजनों में सरकार ने विभिन्न विभागों के ज़रिये 1.33 हज़ार युवाओं को रोज़गार देने का दावा किया। इसकी जाँच एसीबी से कराने का आदेश दिया गया।
- छात्रवृत्ति घोटाला : अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति देने के मामले में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। फर्ज़ी छात्रों के नाम पर केंद्र से मिलने वाली राशि का गबन किया गया है। मुख्यमंत्री ने मामले की एसीबी से जाँच का आदेश दिया है।
- बनहरदी कोल ब्लॉक ड्रिलिंग घोटाला : बनहरदी कोल ब्लॉक ड्रिलिंग घोटाले का खुलासा मार्च, 2019 में हुआ था। एसीबी ने इस मामले में पूर्ववर्ती सरकार से जाँच की अनुमति माँगी थी, लेकिन मंज़ूरी नहीं मिली। वर्तमान सरकार ने पिछले महीने इस मामले में भी जाँच की मंज़ूरी दे दी।
- टॉफी और टी-शर्ट घोटाला : 15 नवंबर, 2016 में राज्य स्थापना दिवस के मौके पर बच्चों को टॉफी और टी-शर्ट बाँटी गयी थीं। एक दिन पहले यानी 14 नवंबर को पाँच लाख बच्चों को टॉफी और टी-शर्ट की आपूर्ति हुई और दूसरे दिन ही इन्हें बाँट दिया गया। लेकिन सीएजी की रिपोर्ट में इसमें भी गड़बड़ी का खुलासा हुआ। सरकार इस मामले की भी जाँच करवा रही है।
- कंबल घोटाला : राज्य के झारक्रफ्ट द्वारा कंबल खरीद में घोटाला का मामला पूर्ववर्ती सरकार के समय ही उजागर हुआ था। पानीपत से कंबल बनाने के लिए धागा मँगाने और बुनकरों के देने में घोटाला हुआ। तत्कालीन सरकार ने समिति बनाकर जाँच का आदेश दिया था, लेकिन मामले का पूरी तरह खुलासा नहीं हुआ। अब हेमंत सरकार इसकी जाँच करा रही है।
- मैनहर्ट नियुक्ति घोटाला : यह मामला 2005 का है। पिछली सरकार के मुख्यमंत्री रघुवर दास उस समय नगर विकास मंत्री थे। रांची के सिवरेज-ड्रेनेज निर्माण में कम्पनी नियुक्ति में अनियमितता का मामला सामने आया। मामले की जाँच हुई और यह बन्द भी हो गया। पूर्व मंत्री सह विधायक सरयू राय ने इस पर किताब लिखी और मामले की जाँच कराने का आग्रह किया। वर्तमान सरकार ने मैन हर्ट घोटाले की जाँच का ज़िम्मा एसीबी को दे दिया।
- दवा मामले की जाँच : राज्य में 2018 में 50 करोड़ की दवा खरीदी गयी। यह दवा गोदाम में ही रखे-रखे खराब हो गयी। इस दवा को बगैर ज़रूरत खरीदा गया था। इस मामले में भी हेमंत सरकार ने एसबी को जाँच करने और पीआई दाखिल करने की मंज़ूरी दी है।
- ज्रेडा घोटाला : झरखण्ड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (ज्रेडा) में 170 करोड़ की अनियमितता के मामले सामने आये। अधिकारियों ने शर्त पूरा नहीं करने वाली कम्पनी को काम दिया था। एसीबी ने तत्कालीन निदेशक समेत पाँच अधिकारियों के खिलाफ सरकार से जाँच की अनुमति माँगी। हेमंत सरकार ने पिछले दिनों इसकी भी अनुमति दे दी।
- सहकारी बैंक राशि अनियमित्ता : झरखण्ड राज्य सहकारी बैंक की रांची और सरायकेला शाखा में वित्तीय अनियमितता का मामला इस वर्ष मई में सामने आया। दोनों बैंकों में 15 करोड़ रुपये से अधिक की राशि के गबन और दुरुपयोग की बात सामने आने के बाद सरकार ने एसीबी से जाँच कराने का आदेश दिया।
- मोमेंटम झरखण्ड घोटाला : पूर्व सरकार ने निवेशकों को लुभाने के लिए मोमेंटम झरखण्ड का आयोजन सन् 2017 में किया था। इस मामले में 100 करोजड रुपये के घोटाले की शिकायत एसीबी के पास की गयी है। मौज़ूदा सरकार ने इस मामले को भी गम्भीरता से लिया है और इसकी भी जाँच कराने की तैयारी है।