नैशनल हेरल्ड के प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को दिल्ली हाई कोर्ट से गुरूवार को झटका लगा है। कोर्ट ने एजेएल की दलीलों को खारिज करते हुए हेरल्ड हाउस को खाली करने के पिछले आदेश को बरकरार रखा है।
एजेएल पिछले आदेश के खिलाफ कोर्ट में गयी थी लेकिन गुरूवार को उसे निराशा हाथ लगी। हालांकि, कोर्ट ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि भवन को कब तक खाली करना है। इससे एजेएल को वक्त मिला है कि वह सर्वोच्च न्यायालय में इस फैसले के खिलाफ अपील कर सके।
मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति वीके राव की पीठ ने १८ फरवरी को केंद्र और एजेएल की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले एजेएल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें पेश करते हुए कहा था कि कंपनी के बहुसंख्यक शेयर यंग इंडिया को हस्तांतरित होने से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी यहां स्थित हेरल्ड इमारत के मालिक नहीं बन जाएंगे।
सिंघवी ने यह भी दलील दी थी कि केंद्र ने जून २०१८ से पहले हेरल्ड इमारत में प्रिंटिंग गतिविधियों की कमी का कभी मुद्दा नहीं उठाया, तब तक जब इसके कुछ ऑनलाइन संस्करणों का प्रकाशन शुरू हो चुका था।
केंद्र की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी थी कि जिस तरह से शेयरों का हस्तांतरण हुआ उसमें अदालत को यह देखने के लिए एजेएल पर पड़े कॉरपोरेट पर्दे के उस पार झांकना होगा कि ‘हेरल्ड हाउस’ का स्वामित्व किसके पास है।