हिमाचल प्रदेश में प्रदेश शिक्षा विभाग में कथित तौर पर करोड़ों रूपये के बजीफा घोटाले में शिक्षा विभाग ने एफआईआर दर्ज कर दी है। यह मामला प्रदेश से बाहर पढ़ने वाले हिमाचल के उन एससी/एसटी/ओबीसी छात्रों (जिनकी सालाना आमदन २.५० लाख से काम थी) के बजीफे में धोखाधड़ी से जुड़ा है, जिन्होंने अपना आधार से लिंक अकाऊंट नंबर सम्बंधित शिक्षण संस्थाओं को तो दिया लेकिन उनके बजीफे के पैसे उसमें जमा नहीं हुए।
इस सम्बन्ध में शिमला पूर्व पुलिस थाना में भादंसं की धाराओं ४१९, ४६५ और ४७१ के तहत मामला एसआईआर दर्ज की गयी है। इसकी शिकायत शक्ति भूषण जो कि एसपीएम और एनयूआई में प्रोजेक्ट अधिकारी हैं, की तरफ से हुई है। उनकी एफआईआर के मुताबिक उन्हें प्रदेश सरकार के शिक्षा सचिव की तरफ से स्कालरशिप में कथित गड़बड़ की जांच के लिए नियुक्त किया गया था। जुलाई में इसकी जांच शुरू हुई थी और अगस्त में पूरी हुई थी।
अपनी एफआईआर में शक्ति भूषण ने कहा है कि मामले की जांच के दौरान उन्होंने पाया कि काँगड़ा जिले के करीब २५० छात्रों ने कर्नाटक और लवली यूनिवर्सिटी के फतेहपुर और बडूखर केंद्रों में दाखिला लिया था। फ़ार्म भरवाते समय उपरोक्त यूनिवर्सिटी प्रवंधन ने घोषणा की थी की ऐसे एससी/एसटी (अनुसूचित जाति, ओवीसी और अनुसूचित जनजाति) छात्रों जिन्होंने अपना आधार नंबर बैंक अकाऊंट से लिंक कर दिया है को, स्कालरशिप दी जाएगी। हालाँकि जाँच में सामने आया की इन संस्थानों ने छात्रों को स्कॉलरशिप दी ही नहीं। जांच में चौंकाने वाली बात सामने यह आई क़ि स्कॉलरशिप का यह पैसा इन छात्रों के अकॉउंट में जमा न करवाकर उनकी आधार नंबर का दुरूपयोग कर फ़र्ज़ी खातों में जमा कर गोल कर दिया गया। एफआईआर दर्ज होने के बाद इस मामले की जांच का जिम्मा एसआई अश्वनी को सौंपा गया है।
अब सम्भावना जताई जा रही है कि एफआईआर दर्ज होने के बाद इस बड़े घोतके का पूरा सच सामने आ पायेगा। करोड़ों के भ्रष्टाचार वाले इस मामले की जांच का जिम्मा प्रदेश सरकार ने हाल ही में सीबीआई को सौंपा था। बाद में सीबीआई ने यह कह कर फाइल लौटा दी कि पहले सरकार अपने स्तर पर एफआईआर दर्ज करे।
सूत्रों के मुताबिक यह मामला २५० करोड़ से भी ज्यादा की स्कॉलरशिप का है और इसमें जांच होने के बाद और बड़े खुलासे हो सकते हैं।