सरकार पर चोर दरवाजे से सीमेंट कारखानों के आवंटन की कोशिश का आरोप लगाते हुए हिमाचल में विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने बुधवार को कहा कि सीमेंट के कारख़ाने बंद कमरे में समझौता ज्ञापनों से नहीं किये जा सकते। उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार को अंतराष्ट्रीय स्तर पर निविदाएं (ग्लोबल टेंडर) मंगवानी होंगी।
”तहलका” से बातचीत में वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा – ”केंद्र सरकार क़ानून में संशोधन कर चुकी है जिस में ख़ासतौर पर सीमेंट कारखानों के आवंटन के राज्य सरकारों को पहले मिले विशेष अधिकार अब ख़त्म हो चुके हैं। राज्य सरकारें चोर दरवाज़े से सीमन्त कारख़ाने नहीं दे सकती और इसके लिए निविदाएं (टेंडर) जारी करना बहुत ज़रूरी है।”
मीडिया रिपोर्ट्स में डालमिया ग्रूप के साथ चंडीगढ़ में २५०० करोड़ के करार ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने की रिपोर्ट्स पर प्रतिक्रया देते हुए विपक्ष के नेता ने कहा कि चंबा के सीमेंट कारख़ाने के लिए भी इसीलिए ग्लोबल टेंडर हुए हैं क्योंकि उनके लिए कोई ख़रीदार नहीं मिला। मुकेश ने कहा – ”यह कारख़ाना पहले जेपी कंपनी के पास था। काम न करने के कारण इसे रद्द करना पड़ा। देश के नये क़ानून को देखते हुए उसे विज्ञापित किया गया।”
उन्होंने कहा कि इसी तरह डालमिया ने भी एमओयू (मेमो आफ अंडरस्टैंडिंग) के ज़माने में एक सीमेंट कारख़ाने का क़रार किया था। बार-बार अवसर मिलने के बावजूद उन्होंने काम शुरू नहीं किया। ”इसलिए उस में भी नए क़ानून को देखते हुए निविदाएँ इन्वाइट की जानी चाहियें।”
अग्निहोत्री ने कहा कि निवेश के प्रस्ताव भारी भरकम दिखाने के चलते पुराने निवेश को भी नया दिखाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि सोलर क्षेत्र में भी समझौता ज्ञापनों का रूट सही नहीं है। ”प्रतिस्पर्धा के दौर में इस का रास्ता भी टेंडर प्रक्रिया ही है।” कांग्रेस नेता ने कहा कि लैंड बैंक को लेकर सरकार जो बयान दे रही है उसे लेकर भी सच यह है कि इनमें पंडोगा और कंदरोड़ी के औद्योगिक क्षेत्र पिछले कांग्रेस शासन में विकसित हुए। ”मौजूदा शासकों को भी इस बारे में क़दम उठाने चाहिए। निवेश के नाम पर प्रदेश में बिल्डरों और प्रॉपर्टी डीलरों को न्योता देने के प्रयासों से राज्य को बहुत नुक़सान होगा।’