एनआरसी और सीएए को लेकर देश भर में हिंसात्मक प्रदर्शन हुए और उनको नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने जो कार्रवाई की उसे लेकर काफी बहस और विवाद अब भी जारी है। दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हुए प्रदर्शन रोकने को पुलिस ने जो ‘दमनकारी’ तरीका अपनाया, उसको लेकर लोगों में खासकर युवाओं और छात्रों में काफी गुस्सा था। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन आने वाली दिल्ली पुलिस की उस कार्रवाई पर देश के गृह मंत्री अमित शाह ने एक न्यूज़ चैनल पर बयान दिया है।
इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा कि अगर देश में सड़कों पर हिंसा होगी तो उपद्रवियों को रोकने के लिए पुलिस गोली चलाएगी। एक सवाल कि देश में हुए हिंसात्मक प्रदर्शन से क्या साबित होता है? क्या ये पुलिस की विफलता थी? इसके जवाब में अमित शाह ने कहा कि जो लोग ऐसा पूछ रहे हैं मैं उनसे कहना चाहूंगा कि वो एक दिन के लिए पुलिस की वर्दी पहन लें और सारी जिम्मेदारी उठाएं। देश में जो कुछ हुआ उसपर कोई ये क्यों नहीं पूछ रहा कि सड़कों पर प्रदर्शनकारियों ने बसें क्यों जलाईं, गाड़ियां क्यों फूंकीं, दुकाने क्यों तोड़ीं, आगजनी क्यों की। इन सब पर आखिर बात क्यों नहीं होती? सड़कों पर चलती बसों को रोक लोगों को उतारकर बसें जलाई गईं तो पुलिस गोली चलाएगी ही। जब दंगे भड़कते हैं तो पुलिस को टारगेट किया जाता है। पुलिस भी तो अपनी जान बचाएगी। हिंसा के समय पुलिस को अपनी भी और लोगों की जान बचानी होती है।
पीपुल्स फ़्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफ़आई) पर लगे आरोपों पर उन्होंने कहा कि ये कोई राजनेता नहीं कह रहा है, ये राज्य पुलिस की रिपोर्ट है।
बता दें कि दिसंबर में जामिया के पास हिंसक प्रदर्शन के बाद दिल्ली पुलिस के जवानों ने यूनिवर्सिटी में घुसकर लाइब्रेरी और बाथरूम में तक घुसकर निहत्थे छात्रों पर लाठीचार्ज किया था, जिसमे कई छात्र चोटिल हुए थे। हॉस्टल में भी बिना वीसी की अनुमति के घुसकर दर्जनों छात्रों को उठा लिया था। इसके बाद दिल्ली की कई यूनिवर्सिटी के छात्रों ने पुलिस मुख्यालय का घेराव कर धरना दिया था।