हाथरस मामले में सीबीआई के पूछताछ करने के 24 घंटे के भीतर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में दो अस्थायी चिकित्सा अधिकारियों को हटाए जाने पर बड़ा विवाद पैदा हो गया है। एएमयू प्रशासन ने भले चिकित्सा अधिकारियों की सेवा समाप्ति पर सफाई दी है, लोगों को एक बार फिर इस मामले में आशंकाओं ने घेर लिया है।
एएमयू प्रशासन के फैसले को कनिष्ठ चिकित्सक गलत बता रहे हैं। मामला मंगलवार को प्रकाश में आया जब मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में अस्थायी चिकित्साधिकारी के तौर पर काम कर रहे डॉक्टर मोहम्मद अजीमुद्दीन और डॉक्टर उबैद इम्तियाज की सेवाएं समाप्त करने की बात कही।
बता दें हाथरस मामले की जांच कर रही सीबीआई की टीम ने सोमवार को जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल जाकर पूछताछ की थी। हाथरस मामले की पीड़िता शुरुआत में इसी अस्पताल में भर्ती कराई गई थी। यहां से उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर किया गया था, जहां इलाज के दौरान 29 सितंबर को उसकी मौत हो गई थी।
अब रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने एएमयू के कुलपति को लिखे पत्र में उनसे दो डॉक्टरों की बर्खास्तगी का आदेश वापस लेने का आग्रह किया है। पत्र में कहा गया है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो एसोसिएशन 24 घंटे के अंदर अपनी बैठक बुलाकर भविष्य की रणनीति तय करेगा। एएमयू प्रशासन अस्थायी ने चिकित्सा अधिकारियों की सेवा समाप्ति को लेकर जताई जा रही आशंकाओं को बेबुनियाद और काल्पनिक करार देते हुए इसे नियमित प्रक्रिया का हिस्सा बताया है।
बर्खास्त किए गए डॉक्टर अजीमुद्दीन और इम्तियाज का कहना है कि उन्होंने हाथरस मामले में कोई भी बयान नहीं दिया है। सेवा समाप्ति से पहले उन्हें अपनी सफाई देने तक का मौका नहीं दिया गया। दोनों ने कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।
एएमयू के प्रवक्ता प्रोफेसर शाफे किदवई ने इस बारे में पूछे जाने पर बताया कि उन दोनों डॉक्टरों को पिछली 9 सितंबर को एक महीने के लिए नौकरी पर रखा गया था। उसके बाद उन्हें स्थिति के बारे में पूरी तरह अवगत कराया गया था। अब उन्हें हटाया जाना एक सामान्य प्रक्रिया है। सीबीआई के पूछताछ के बाद दोनों की सेवा समाप्त किया जाना महज एक संयोग है।
बता दें इन डाक्टरों में से एक की तरफ से कहा गया था कि पीड़िता का सैम्पल 11 दिन बाद लाने से सही रिपोर्ट सामने नहीं आ सकती क्योंकि इसके लिए 96 घंटे के भीतर सैम्पल काना जरूरी होता है क्योंकि उसके बाद सैम्पल के तत्व सही रिपोर्ट नहीं दे पाते।