बहुचर्चित हाथरस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जांच की निगरानी इलाहाबाद हाईकोर्ट करेगा। दलित युवती के साथ हैवानियत के बाद हत्या मामले की सीबीआई जांच शुरू हो चुकी है। हाथरस की युवती के साथ ही हैवानियत के दो हफ्ते बाद वह जिंदगी की जंग हार गई थी, जिसके बाद देशभर में सियासी बवाल हो गया था। बावजूद इसके यूपी की पुलिस का रवैया पीड़िताओं के साथ नाइंसाफी भरा ही दिखा।
इसके बवाल बढ़ने पर योगी सरकार ने खुद ही मामले की जांच की सिफारिश सीबीआई से कराने की कर दी। पर पीड़ित परिवार इससे सहमत नहीं था, वह चाहता था कि मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निरानी में हो इसका ट्रायल दिल्ली में हो यानी यूपी से बाहर। परिवार को यूपी पुलिस और प्रशासन पर रत्ती भर भरोसा नहीं है, शायद इसका अंदाजा यूपी सरकार को भी है, इसीलिए उसने पहले ही सर्वोच्च अदालत में हलफनामा देकर कहा था कि वह अपनी निगरानी में जांच करवाए।
सुप्रीम कोर्ट में कई संगठनों व सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर वीरवार को सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उत्तर प्रदेश में फेयर ट्रायल मुमकिन नहीं है क्योंकि जांच में कथित तौर पर लीपापोती की गई है। इन चिंताओं को दूर करते हुए चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे की अगुआई वाली पीठ ने कहा, हाईकोर्ट को इसे देखने देते हैं। अगर कोई समस्या हुई तो हम यहां हैं।
देश की सर्वोच्च अदालत में हुई सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अलावा हरीश साल्वे, इंदिरा जय सिंह और सिद्धार्थ लूथरा जैसे दिग्गज वकीलों की फौज अलग-अलग पक्षों की तरफ से पेश हुई। इनके अलावा भी कई वकील थे जो बहस करना चाहते थे, पर कोर्ट ने कहा कि हमें पूरी दुनिया की मदद की जरूरत नहीं है।
पीड़िता की ओर से वकील इंदिरा जयसिंह ने यूपी में निष्पक्ष जांच और ट्रायल नहीं हो पाने की दलील दी। उन्होंन परिवार के साथ ही गवाहों की सुरक्षा की भी मांग की। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यूपी सरकार की तरफ से कल दाखिल किए गए हलफनामे का जिक्र किया जिसमें पीड़ित परिवार और गवाहों को दी गई सुरक्षा के बारे में जानकारी दी गई है।
इस बीच, सीबीआई की जांच भी तेजी से हाथरस में बढ़ गई है। बुूधवार को जहां जांच एजेंसी ने हाथरस में पीड़िता के पिता और दोनों भाइयों से पूछताछ की थी तो वीरवार को आरोपियों के परिजनों से भी लंबी पूछताछ की है। यूपी के डीजीपी की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि पीठ से यह गुजारिश की गई है कि गवाहों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल को तैनात किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अदालत जिसे भी सुरक्षा देना चाहती है, उसे सुरक्षा दी जा सकती है। साल्वे ने कहा कि इसे यूपी पुलिस पर टिप्पणी न माना जाए, बल्कि राज्य मामले में पूरी तरह निष्पक्ष है।
बिटिया की परिवार की तरफ से वकील सीमा कुशवाहा ने मांग की कि जांच के बाद मुकदमे की कार्यवाही दिल्ली की अदालत में की जाए। उन्होंने कहा कि सीबीआई को कहा जाना चाहिए कि वह अपनी जांच पर स्टेटस रिपोर्ट को सीधे सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करे।